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सीएचसी सीयर बनी पैथालॉजी अल्ट्रासाउंड केंद संचालकों, चिकित्सको व आशाओं के नापाक गठजोड़ का अड्डा,जांच के नाम पर हो रहा है आर्थिक शोषण



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद के सरकारी अस्पतालों में पैथालॉजी संचालकों,अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालकों (पंजीकृत व झोला छाप दोनों) और चिकित्सकों के अनैतिक गठजोड़ से अब आम मरीज कराहने लगा है । अस्पतालों के चिकित्सक कमीशनखोरी के चक्कर मे अनाप शनाप जांच लिख कर गरीब मरीजों का इलाज के नाम पर आर्थिक शोषण कर रहे है । बलिया में चाहे जिला मुख्यालय हो या तहसील मुख्यालय हो या सीएचसी/पीएचसी हो,के इर्दगिर्द सैकड़ो की संख्या मे फर्जी पैथालॉजी सेंटर व अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालित हो रहे है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी,और अस्पतालों के चिकित्सकों की मिलीभगत से इनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नही होती है और ये अप्रशिक्षित पैथालॉजी वाले या अल्ट्रासाउंड केंद्र वाले मरीजों की जांच कर रिपोर्ट दे रहे है जिसके आधार पर चिकित्सक दवाइयां लिख रहे है ।




सीएचसी सीयर में इन दिनों आशा बहुओ की मिलीभगत से प्रसूता मरीजों के परिजनों का खुलेआम शोषण जारी है। अस्पताल के लापरवाही कहे या मिलीभगत से प्राइवेट जांच के नाम पर जमकर कमीशन का खेल चल रहा है। साथ ही आशा बहुओ के सेटिंग के तहत 6 हजार में प्राइवेट पैथोलॉजी पर खुलेआम भ्रूण जांच करायी जा रही है। उक्त शिकायत करते हुए एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू के प्रतिनिधि रविशंकर सिंह पिक्कू ने  प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, स्वास्थ्य निदेशक, जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अस्पताल में तीन आशा बहुओं की मिलीभगत से पैथोलॉजी पर भ्रूण जांच करायी जा रही है।  श्री पिक्कू ने अस्पताल में चल रहे डॉक्टर और पैथोलॉजी संचालको के द्वारा मरीजो के शोषण के गोरखधंधा की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मामले में  अंजान बने हुए है।




श्री  पिक्कू सिंह ने अपने पत्र में आरोप है कि बिल्थरारोड के पैथोलॉजी संचालक स्वयं ही अस्पताल के डॉक्टर के चेंबर में बैठे रहते है और हर दिन सैकड़ों मरीजों का  बेमतलब की जांच लिखवाकर मरीजों का आर्थिक शोषण करते है। कमीशनखोरी के चक्कर मे डॉक्टर भी अनाप शनाप जांच की पर्ची मरीजो को पकड़ा देते है। जिससे आमजनता परेशान है। उनका आरोप है कि हाल ही में एक महिला का अस्पताल के डॉक्टर ने 36 सौ रुपए का जांच लिखा। जिसकी शिकायत के बाद गरीब महिला को पैसा वापस कर कार्रवाई के बजाए विभाग द्वारा मामले की लीपापोती कर दी गई।