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पटाखों का धुआं हो सकता है जानलेवा, ना करें अनदेखी-- डॉ सिद्धार्थ

 



बलिया ।। दीपावली के पटाखे आमजन को तमाम तरह की समस्याओं से ग्रसित कर देते हैं। इन समस्याओं में प्रमुख तौर पर वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण होता है जोकि बच्चों, वृद्धजन, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। यह  बातें जिला महिला अस्पताल स्थित प्रश्नोत्तर केंद्र(पीपीसी)पर कार्यरत वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ मणि दुबे ने कहीं। डॉ दुबे ने बताया कि दीपावली पर जिन पटाखों का प्रयोग होता है उन्हें सल्फर, फास्फोरस समेत अन्य खतरनाक पदार्थों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इन पटाखों के फोड़ने के बाद निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। 






पटाखों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस वातावरण को प्रदूषित कर देती है। वातावरण में ऐसी गैसों की अधिकता होने पर छोटे बच्चों एवं सांस के मरीजों  की परेशानी बढ़ जाती है। पटाखों के फूटने पर तेज आवाज होने से ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। ऐसे पटाखों के प्रयोग से सुनने की शक्ति पर भी प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी तो तेज आवाज के पटाखों से लोगों को सुनने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है। वही पटाखे फोड़ने के दौरान लापरवाही बरतने पर लोग हादसों का शिकार भी हो जाते हैं।

           डॉ दुबे ने बताया कि वायु प्रदूषण में अहम सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटेरियल(एसपीएम) जैसे तत्वों का अस्तर एक निश्चित मात्रा से अधिक होने पर खतरनाक हो जाता है।यह 100 माइक्रो मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक खतरनाक नहीं होता है लेकिन इससे अधिक मात्रा वायु के मौलिक तत्वों में बढ़ जाने से लोगों की सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है। आम दिनों की अपेक्षा दीपावली वाले दिन वायु में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हो जाती है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।