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आखिर कहां जाता है, प्रतिमाह रजिस्ट्री विभाग के 2 प्रतिशत अवैध वसूली का लाखों रूपया?


       प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ की रजिस्ट्री का 2 प्रतिशत यानि 2 लाख रूपया प्रतिदिन आखिर कहां जा रहा है?
विभागीय सूत्रों की अगर मानें तो प्रतिदिन 2 प्रतिशत वसूली के लाखों रूपया सब-रजिस्ट्रार, एआईजी स्टाम्प, एडीएम वित्त एवं राजस्व, डीएम व शासन तक के बीच होता है बंदरबाट
भूपेंद्र सिंह सुल्तानपुर । जनपद के अन्तर्गत उपनिबन्धक कार्यालय राजस्व विभाग का वो ईमानदार कमाऊपूत कार्यालय है, जहा से प्रतिदिन खुलेआम लाखों रूपयाें का जनता से अवैध दोहन किया जाता है, किन्तु इतिहास गवाह है कि कभी इस ईमानदार विभाग की तरफ जिलाधिकारी ही नही शासन के किसी भी नुमांइदों द्वारा भी नजरें उठाकर देखने की तकलीफ आजतक नही की गयी।
    प्राप्त सूचना के अनुसार जनपद के अन्तर्गत समस्त रजिस्ट्री विभाग चाहे वो सदर सुलतानपुर हो, कादीपुर हो, जयसिंहपुर हो या फिर लम्भुआ तहसील का रजिस्ट्री कार्यालय, हर जगह का आलम यह है कि बैनामें के समय रजिस्ट्री विभाग के बाबू व सब-रजिस्ट्रार द्वारा दस्तावेज लेखकों के जरियें स्टाम्प शुल्क का 2 प्रतिशत सुविधा शुल्क के नाम पर दस्तावेज लिखते समय ही जमा करवा लिया जाता है। अगर यदि कोई 2 प्रतिशत का सुविधा शुल्क देने में आनाकानी करता है तो विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा उसे नियमों का पाठ पढ़ाते हुए इतना भयभीत कर दिया जाता है कि क्रेता डरवश 2 प्रतिशत का सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर हो जाता है।
   सोचनीय बात तो यह है कि रजिस्ट्री विभाग द्वारा क्रेताओं से ये जो प्रति बैनामा स्टाम्प शुल्क का 2 प्रतिशत सुविधा-शुल्क के नाम पर बेखौफ वसूला जा रहा है, वो आखिर जा कहा रहा है? क्या जिलें में ऐसें ईमानदार विभाग की अवैध वसूली के बारे में जिलें के उच्चाधिकारियों को जानकारी नही है, या फिर जानबूझकर उच्चाधिकारियों द्वारा इस विभाग को नजर-अन्दाज किया जाता है? जिलें में जिलें के नम्बर 2 के अधिकारी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अमरनाथ राय व ईमानदार जिलाधिकारी विवेक कुमार द्वारा कभी औचक निरीक्षण कर मौकें पर मौजूद क्रेता व बिक्रेता से पूछंताछ करते हुए ऐसें भष्ट व ईमानदार विभाग के बारे में नही सुना गया।
     आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि जहा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना 56 इंची सीना ठोककर आयेदिन अखबारों व न्यूज चैनलों पर भ्रष्टाचार मुक्त भारत की डीगें मारते नही थकते, वही जनपद के इस रजिस्ट्री विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा खुलेआम किये जा रहे भ्रष्टाचार व जनता के दोहन पर आखिर क्यों मौन धारण किये हुए बैठे है जिलाधिकारी विवेक कुमार? कही ऐसा तो नही कि इस विभाग को शासन द्वारा जनता के दोहन का परमिट दिया गया हो। अगर ऐसा नही तो आखिर क्यों नही होती इस विभाग पर कार्यवाही?
 *आखिर कहा-कहा जाता है 2 प्रतिशत की वसूली का ये धन? आखिर क्यूं नही होती इस विभाग पर कार्यवाही?*
     मीडिया द्वारा निरीक्षण के दौरान विभाग द्वारा रखे गये वसूली एजेन्टो से पूछंताछ के दौरान नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि ये जो प्रति बैनामें के स्टाम्प शुल्क का 2 प्रतिशत विभाग द्वारा लिया जाता है, उसका *25 प्रतिशत सब-रजिस्ट्रार अजय धर्मराज, लिपिक पुष्पराज श्रीवास्तव व अन्य कर्मचारियों के बीच बटता है, 50 प्रतिशत में एआईजी स्टाम्प पंकज कुमार, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अमरनाथ राय व जिलाधिकारी तक में बटवारा होता है। तथा शेष बचा 25 प्रतिशत प्रतिमाह जिलें के उच्चाधिकारियों द्वारा शासन को भेजा जाता है।