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श्रीमद्भागवत कथा : महाभारत के द्रौपदी प्रसंग ने श्रोताओं को किया झंझकृत,धर्म, नीति और भक्ति के गूढ़ संदेश से हुए भिज्ञ

 

 


चिलकहर ब्लॉक के पिपरा पट्टी बहोरापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिन 


नगरा (बलिया)।। क्षेत्र के पिपरा पट्टी बहोरापुर गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं पंचकुंडीय रुद्र महायज्ञ के चौथे दिन सोमवार को भक्ति और आस्था का वातावरण चरम पर रहा। प्रातः काल यज्ञशाला में विधि-विधान से वेदी पूजन के साथ दिन का शुभारंभ हुआ, जिसमें 21 यजमान सपरिवार उपस्थित होकर आचार्य विवेक शुक्ल और रितेश मिश्रा जी महाराज के निर्देशन में देवी पूजन में शामिल हुए। वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गूँज उठा। इसके बाद बुढ़वा शिव जी मंदिर पर षडांग रुद्राभिषेक का आयोजन भी श्रद्धापूर्वक सम्पन्न हुआ।  






शाम के सत्र में कथा व्यास मानस मंदाकिनी रागिनी सरस्वती (डॉ. रागिनी मिश्रा) ने भावविभोर कर देने वाली वाणी में श्रीमद्भागवत कथा का प्रारंभ किया। उन्होंने भक्तों को महाभारत के प्रसंगों के माध्यम से धर्म, नीति और भक्ति का गूढ़ संदेश दिया। उन्होंने द्रौपदी चीरहरण और भगवान श्रीकृष्ण की लीला का वर्णन करते हुए बताया कि संकट की घड़ी में जब सारी शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं, तब प्रभु पर अटूट विश्वास ही जीवन का आधार बनता है। रागिनी सरस्वती ने कहा कि द्रौपदी ने जब पूर्ण समर्पण के साथ श्रीकृष्ण को पुकारा, तभी भगवान ने उसकी लाज बचाई। यह प्रसंग आज भी बताता है कि सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।  


कथावाचक ने महाभारत के पात्रों के संवादों के माध्यम से धर्म और अधर्म के संघर्ष को बड़ी गहराई से परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने जो संदेश उस काल में दिया, वही आज के समाज के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है ,“धर्म की रक्षा करने वाला ही सच्चा विजेता होता है।