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बलिया लोकसभा सीट :सपा के चक्रव्यूह को तोड़ने की कसरत मे भाजपा, नीरज शेखर को बनाया प्रत्याशी

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। भारतीय जनता पार्टी बलिया लोकसभा मे अपने घटते जनाधार को लेकर काफी चिंतित दिख रही है। यही कारण है कि बलिया मे ऐतिहासिक रूप से विकास कार्यों को कराने वाले दिग्गज सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र राजयसभा सदस्य नीरज शेखर को दिया है। नीरज शेखर यहां से पूर्व मे भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद रह चूके है। बीजेपी के आँखों के सामने बलिया मे विकास कार्यों को कराने के बाद भी पिछले विधानसभा चुनाव मे 4-1 से मिली हार हमेशा घूमती रही है। यही नहीं पिछले लोकसभा चुनाव से विधानसभा चुनाव आते आते 69357 मतों की कमी भी सालती रही है। इसी को पूरा करने के लिये नीरज शेखर पर दांव खेली है। वही नीरजशेखर के सामने भी पिछले लोकसभा चुनाव मे मिले मतों के आंकड़े को पार करने की बड़ी चुनौती है। अब देखना है नीरज शेखर कैसे पार पाते है।आंकड़े तो यही कहते है कि लड़ाई कांटे की है।

बलिया लोकसभा 72 का अंक गणित मुख़्तार अंसारी की जेल मे मौत के बाद गड़बड़ा गया है। यह इस लिये कह रहा हूं क्योंकि बलिया लोकसभा की दो विधानसभा जहुराबाद व मुहम्मदाबाद मे मुख़्तार अंसारी के परिवार का जबरदस्त दबदबा बताया जाता है। यही नहीं पिछले साल हुए विधानसभा सभा चुनाव मे 5 मे से 4 सीट सपा गठबंधन ने जीती थीं, भाजपा को मात्र एक सीट बलिया नगर पर विजय मिली थीं, जहां से परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह चुनाव लड़े थे। इस चुनाव मे समाजवादी गठबंधन से मन्नू अंसारी ने मोहम्मदाबाद से, ओमप्रकाश राजभर ने जहुराबाद से, संग्राम सिंह यादव ने फेफना से और जय प्रकाश अंचल ने बैरिया से जीत हासिल की है। बीजेपी गठबंधन का खाता मात्र बलिया नगर विधानसभा सीट पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने जीत हासिल कर खुलवाया है। पिछले विधानसभा चुनावों मे प्राप्त मतों पर निगाह डाले तो समाजवादी गठबंधन को 467694 मत और बीजेपी गठबंधन यानी एनडीए को 397237 मत और बसपा को लगभग 1 लाख 22 हजार मत मिले थे। यानी सपा गठबंधन ने बीजेपी गठबंधन से 69357 मत अधिक हासिल किया है।

 



 

पिछले गठबंधन मे ओमप्रकाश राजभर समाजवादी गठबंधन के साथ थे लेकिन इस बार बीजेपी के साथ होकर मंत्री बन गये है।इनके द्वारा राजभर मतों को लेकर हमेशा बड़े बड़े दांवे किये जाते है। लेकिन लोकसभा चुनाव मे ज़ब ये अकेले लड़े थे तो दोनों बार ये 50 हजार के आंकड़े के पास भी नहीं पहुंचे थे। इस बार बीजेपी को कितना दिलवा पाते है, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा। निश्चित रूप से 2019 के बाद से बीजेपी का बलिया लोकसभा मे ग्राफ नीचे आया है। 2019 के लोकसभा चुनाव मे वीरेंद्र सिंह मस्त ने जितना 469114 मत पाया था,2023 के विधानसभा चुनाव मे इस लोकसभा मे बीजेपी को 397237 मत ही मिले है। यानी बीजेपी को 69357 मत कम मिले है। अगर इस बार हम ओमप्रकाश राजभर के नाम पर 50 हजार मत जोड़ दे तो भी बीजेपी 19 हजार से अधिक मतों के घाटे मे दिख रही है।

वही 2019 के लोकसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सनातन पांडेय ने 453595 मत प्राप्त किया था और 15519 मत से चुनाव हार गये थे। पिछले विधानसभा चुनाव मे बलिया लोकसभा मे समाजवादी पार्टी ने 467694 मत पाया है यानी पिछले लोकसभा चुनाव से 69357 मत अधिक। ऐसे मे इस चुनाव मे बलिया मोदी जी के चेहरे के खिलाफ मतदान करता हुआ दिख रहा है। अब चुनाव के दिन तक क्या समीकरण बैठता है, कहा नहीं जा सकता है। लेकिन इतना तय है कि बीजेपी प्रत्याशी नीरज शेखर को एक कड़े मुकाबले मे किस्मत आजमानी है।