मृत पति डॉ एके स्वर्णकार के फंड के लिये 5 माह से सीएमओ बलिया कार्यालय का चक्कर लगा रही है बेवा, बाबुओ के चक्रव्यूह मे फंसी फाइल
मधुसूदन सिंह
बलिया।। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2025) के तड़के सड़क हादसे मे मृत डॉ ए के स्वर्णकार की डॉक्टर पत्नी सीएमओ बलिया के बाबुओ के चक्रव्यूह मे इस तरह उलझ गयी है कि उनको समझ मे नहीं आ रहा है कि वो करें तो क्या? मृतक चिकित्सक की पत्नी डॉ प्रीति स्वर्णकार रसड़ा मे तैनात है। पिछले लगभग 5 माह से ये रसड़ा मे ड्यूटी करने के बाद सीएमओ बलिया के कार्यालय का इतनी शिद्दत के साथ चक्कर लगाती हुई दिख जायेगी, जैसे वो किसी तीर्थ स्थान के देवी देवताओं के दर्शन पूजन करने आ रही है। वैसे यहाँ तैनात सीएमओ हो या बाबू किसी देवी देवता से कम थोड़े है।
पिछले चार माह तक पूर्व सीएमओ व अब लगभग एक माह से वर्तमान सीएमओ से न जाने डॉ प्रीति स्वर्णकार कितनी बार मिली है लेकिन ये देवता है कि प्रश्न होने का नाम ही नहीं ले रहे है। इन देव के नीचे बाबुओ के रूप मे क्षुद्र देव भी मौजूद है, जिनको सिर्फ रूपये चढ़ा कर ही खुश किया जा सकता है। इन लोगों ने फाइल पूरी करने के नाम पर डॉ प्रीति स्वर्णकार को अपने चक्रव्यूह मे अभिमन्यु की तरह ऐसे फंसाया है कि जहां से निकलने के लिये एक ही उपाय बचता है इन क्षुद्र ग्रहों को चढ़ावा चढ़ाया जाय।
एक तरफ प्रदेश सरकार अपने सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को सेवानिवृति के दिन ही सारे फंड व पेंशन आदेश देने का फरमान पहले से ही जारी कर रखा है। ऐसे मे एक मृत चिकित्सक का फंड भी मानवता के आधार पर उसकी युवा पत्नी को जल्द से जल्द एक माह के अंदर मिल जाना चाहिये था लेकिन 5 माह बाद भी बाबू है कि मृतक की पत्नी से ही विभागीय कागज मांग रहे है।जबकि होना यह चाहिये था कि इन बाबुओ को संबंधित कागजातों को स्वयं पत्राचार करके संबंधित बाबुओ से मांग लेनी चाहिये, जो ऐसा नहीं कर रहे है। सीएमओ बलिया भी इतनी हनक नहीं बना पाये है कि इन बाबुओ के काकश मे फंसी बेवा महिला, जो एक सरकारी चिकित्सक भी है, कि मदद कर सके। बलिया एक्सप्रेस इस प्रकरण को अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के क्रम मे माननीय मुख्यमंत्री जी, उप मुख्यमंत्री / स्वास्थ्य मंत्री जी, जिलाधिकारी बलिया और मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलिया के समक्ष इस उम्मीद के साथ रख रहा है कि बाबुओ के चक्रव्यूह मे फंसी मृत युवा चिकित्सक डॉ ए के स्वर्णकार की पत्नी को न्याय दिला मिल सके।