एसपी सिटी हॉस्पिटल के संचालक ने बहुत बड़े ट्यूमर को सर्जरी करके निकाला बाहर, महिला के गर्भाशय से लगा था 32*32*32 सेमी का ट्यूमर
महिला स्वस्थ, गयी अपने घर
मधुसूदन सिंह
बलिया।। यह जरुरी नहीं की बड़े ऑपरेशन सिर्फ महानगरों मे ही हो सकते है, छोटे शहरों मे नहीं। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले मे पिछड़े जनपद बलिया मे चिकित्सकों की टीम ने एक ऐसा ऑपरेशन किया है जिसको सिर्फ व सिर्फ महा नगरों के बड़े हॉस्पिटल मे ही हो सकता था। लेकिन बलिया शहर स्थित एसपी सिटी हॉस्पिटल के संचालक डॉ एके गुप्ता की टीम ने वो कर दिखाया है, जिनकी कल्पना सिर्फ बड़े हॉस्पिटलों मे ही देखने सुनने को मिलता है। डॉ गुप्ता ने बलिया शहर की ही एक महिला के पेट से लगभग 16 kg वजन व 32*32*32 सेमी का ट्यूमर जो गर्भाशय से चिपका हुआ था, को ऑपरेशन करके बाहर निकाला। यह लगभग दो साल से पीड़िता के पेट मे था।
कैसे हुई पहचान
शुरुआत मे महिला को लगा था कि वह गर्भवती हो गयी है। इसकी पुष्टि के लिये महिला ने टेस्ट भी कराया लेकिन वह नेगेटिव आया। इसके बाद भी महिला का पेट बढ़ता रहा लेकिन महिला ने अन्य कोई जांच नहीं करायी। जब दो साल मे यह बहुत बड़ा हो गया और महिला को कई तरह की परेशानियां होने लगी तो यह अपने पति के साथ लखनऊ गयी। लखनऊ के केजीएमसी मे चिकित्सकों ने अल्ट्रासाउंड और स्कैनिंग करायी तो यह ट्यूमर चिन्हित हुआ, जो गर्भाशय के साथ चिपका हुआ था। रोग पकड़ मे आने के बाद महिला के पति ने डॉ एके गुप्ता से संपर्क किया और ऑपरेशन करने की गुहार लगायी, जिसको डॉ गुप्ता ने स्वीकार करके मरीज को भर्ती लेकर ऑपरेशन के पूर्व की कुछ जाँचों को कराया।
बहुत बड़े ट्यूमर को निकालना था कठिन
डॉ गुप्ता ने बताया कि यह ट्यूमर बहुत बड़ा हो गया था। यह गर्भाशय से लेकर महिला की छाती तक पहुंच गया था। इस को निकालने के लिये महिला के पेट के बड़े भाग को खोलना पड़ता जो मरीज के लिये ठीक नहीं था। डॉ गुप्ता ने कहा कि हमारी टीम ने निर्णय किया कि पहले इस ट्यूमर के लिक्विड को बाहर निकाल कर इसके आकार को छोटा किया जाय और फिर महिला का प्रसव के लिये जो ऑपरेशन हुआ था, उसी को खोलकर इसको बाहर निकाला जाय। लिक्विड को निकालने के बाद जब यह 32*32*32 सेमी का हो गया, तब इसको बाहर निकाल लिया गया। इसका वजन करने पर यह लगभग 16 kg का मिला। इसके बाद इसको बायपसी जांच के लिये लैब भेज दिया गया। महिला पूरी तरह स्वस्थ है और डिस्चार्ज होकर घर जा रही है।
मरीजों के परिजनों के उत्पात के चलते ऑपरेशन करने से हिचकते है चिकित्सक
डॉ एके गुप्ता ने कहा कि बहुत सारे ऑपरेशन ऐसे है जिनको बलिया मे आसानी के साथ किया जा सकता है। लेकिन यहां के परिजनों का कोई अनहोनी घटना हो जाने पर जो उत्पात करने का रूप होता है, उसके चलते रेफर कर दिया जाता है। कहा कि कोई भी डॉक्टर यह नहीं चाहता कि उसका मरीज मर जाये। क्या एम्स मे, बीएचयू मे, पीजीआई मे मौत नहीं होती है? जब वहाँ हंगामा नहीं होता है तो बलिया मे क्यों होता है? जिस दिन लोग मरीजों के इलाज के लिये चिकित्सक पर विश्वास शुरू कर देंगे, बलिया मे भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो जायेगी।