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बलिया का एक सरकारी विभाग, जहां तीन पीढ़ियों से मृतक आश्रित पर नौकरी व संपत्ति विभाग के पटल पर कब्जा



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। सदियों से इतिहास रचने वाला बलिया जनपद आज भी कही न कही इतिहास को रचता ही नहीं है बल्कि परम्परा को भी क़ायम रखता है। हम बात कर नगर पालिका परिषद बलिया की, जहां एक ऐसी परंपरा क़ायम है जो शायद ही कही और देखने को मिले। यह परम्परा है एक विशेष पटल पर लगातार एक ही परिवार के तीसरी पीढ़ी का कब्जा। यह कोई मामूली पटल नहीं है, यह वह पटल है जिसके माध्यम से बलिया शहर के ठाकुरबाड़ी की जमीन हो, वक्फ की जमीन हो, चर्च की जमीन हो, शिव मंदिर की जमीन हो, नगर पालिका की जमीन हो, अधिकांश पर अनाधिकृत रूप से लोगों ने कब्जा कर लिया है। यह सारा खेल इसी पटल के माध्यम से हुआ है। इसी गोरखधंधे को छुपाने के लिये इस पटल पर एक ही परिवार का कब्जा चला आ रहा है। यह महत्वपूर्ण पटल है संपत्ति का।जिस पर वर्तमान मे अभिषेक भगत क़ायम है।




बता दे कि इस पटल पर विष्णु बाबू के काबिज होने के बाद से एक तरह से यह इनका खानदानी पटल बन गया है। सबसे ज्यादे सरकारी व मठ मठियाओ आदि की जमीन पर फर्जी रूप से नामांतरण विष्णु बाबू के जमाने मे ही हुआ। इनकी सेवा काल मे मृत्यु के बाद इनके सुपुत्र प्रमोद चौरसिया मृतक आश्रित कोटे से बाबू बने। प्रमोद चौरसिया ने न सिर्फ अपने पिता जी के गलत कार्यों को कागजों मे छिपाया बल्कि खुद भी अपने पिता जी के पद चिन्हो पर चलते हुए मठ मठिया चर्च वक्फ नगर पालिका की जमीनों पर अवैध रूप से खूब नामांतरण कराया। वर्तमान समय ने ठाकुर जी त्रियोगी नारायण की जमीनों का जो प्रकरण चल रहा है, जिसमे अरुण गुप्ता को गोली भी लगी है, मे ठाकुर जी की जगह सर्वाकार का नाम प्रमोद चौरसिया के कार्यकाल मे ही हुआ है। सेवाकाल मे ही अपने पिताजी की तरह ही प्रमोद चौरसिया इस संसार से बिदा हो गये।

प्रमोद चौरसिया की मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे से इनके पुत्र अभिषेक भगत की नियुक्ति होती है और कुछ दिनों बाद ही अभिषेक भगत को संपत्ति विभाग का ही पटल आवंटित हो जाता है।  यह कोई संयोग है या साजिश, यह हम तो नहीं बता सकते है लेकिन इतना जरूर कह सकते है कि काली दाल की हकीकत सार्वजनिक न हो, इसका प्रयास जरूर है। इस संबंध मे जब अधिशासी अधिकारी सुभाष जी से बात की गयी, तो उनका जबाब था कि मुझे यह प्रकरण मालूम नहीं था। मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले से ही अभिषेक भगत को संपत्ति विभाग का पटल आवंटित है। कहा कि मुझे यह भी नहीं मालूम था कि इस पटल पर लगातार तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार का कब्जा है। अब देखना है कि ईओ बलिया इस प्रकरण मे क्या कार्यवाही करते है।