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क्या बरकरार रहेगा सहतवार नगर पंचायत में नीरज सिंह गुड्डू के परिवार का जादुई तिलिस्म, सरिता सिंह क्या बनेंगी दुबारा चेयरमैन?



मधुसूदन सिंह

बलिया।। ज़ब भी नगर निकाय चुनाव की बात चलती है तो बलिया में चर्चाओं में सहतवार नगर पंचायत की चेयरमैनी सबसे ज्यादे चर्चा में रहती है। पिछले चार दशकों से (1995-2001 को छोड़कर ) इस कुर्सी पर स्व बद्री नारायण सिंह ने जो कब्जा किया, वो आजतक बरकरार है। या यूं कहे कि लगता है यह सीट स्व बद्री नारायण सिंह के परिजनों के लिये ही आरक्षित कर दी गयी है। पहले स्व बद्री नारायण सिंह ने इस कुर्सी पर कब्जे की हैट्रिक लगायी, फिर इनकी पत्नी स्वर्ण प्रभा सिंह ने हैट्रिक पूरी की। अब इनकी बहू सरिता सिंह भी अपने सास ससुर की राह पर चलती दिख रही है।

सरिता सिंह पत्नी नीरज सिंह गुड्डू पिछले 2017 के चुनाव में अध्यक्ष बनी थी और इस बार भी यही चुनाव लड़ने जा रही है। अगर 1997-2002 के 5 साल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाय तो अन्य किसी भी चुनाव में यह परिवार जनता के आशीर्वाद का हकदार बना है। चार दशकों से अगर एक ही परिवार के पास अध्यक्ष की कुर्सी जनता सौप रही है तो निश्चित ही इस परिवार ने जनता का दुख दर्द महसूस ही नही किया होगा बल्कि दूर करने का प्रयास भी किया होगा।

ऐसा भी नही है कि चुनावों में इस परिवार को कोई कड़ी टककर देने वाला होता ही नहीं है। पिछले चुनाव की ही अगर बात करें तो सरिता सिंह को नीतू सिंह ने पछाड़ने की पूरी कोशिश की थी लेकिन 167 मतों से चुनाव हार गयीं। इस बार यह सीट सामान्य होने के कारण त्रिकोणात्मक संघर्ष दिख रहा है। इस बार सरिता सिंह को नीतू सिंह के साथ साथ ही नये प्रत्याशी अजय सिंह से मुकाबला हो सकता है।








इस संबंध में ज़ब निवर्तमान अध्यक्ष सरिता सिंह के पति नीरज सिंह गुड्डू से बातचीत बलिया एक्सप्रेस ने की तो उनका कहना था कि यहां का चुनाव हम नही लड़ते है बल्कि जनता लड़ती है। स्व बद्री नारायण सिंह के जमाने से ही सहतवार नगर पंचायत की जनता जनार्दन बद्री सिंह का ही परिवार है। चार दशकों से अधिक समय से हमारे पूज्य पिता जी ने जो समाजसेवा का व्रत शुरू किया था, वो आज भी अनवरत जारी है। सहतवार की सभी पूज्य जनता जनार्दन के लिये मेरे घर का दरवाजा 24 घंटे खुला रहता है। कभी भी किसी पर कोई संकट आने पर हम लोग उस परिवार के साथ खड़े मिलते है। यही कारण है कि चुनाव में हम लोग सिर्फ पर्चा भरते है लेकिन चुनाव हमारे लिये जनता लड़ती है।



कहा कि सहतवार की जनता को स्व बद्री नारायण सिंह के परिजनों पर विश्वास व स्नेह है। यह राजनीतिक नही है बल्कि यह पारिवारिक व आत्मिक है। चुनावों में प्रत्याशी लोग चाहे कितना भी बरगलाते है लालच देते है, लेकिन जनता अंत में स्व बद्री नारायण सिंह के परिजनों को ही अपना शुभचिंतक मानकर आशीर्वाद देती है। ऐसा इस बार भी होगा और सरिता सिंह को सहतवार की पूज्य जनता जनार्दन दुबारा अध्यक्ष बनाने के लिये कृतसंकल्पित है।

अब देखना है कि पिछले चार दशकों से स्व बद्री नारायण सिंह के परिजनों का तिलिस्म सहतवार के जनता जनार्दन के दिलो दिमाग़ पर छाया हुआ है, वह टूटता है या बरकरार रहता है?