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मां उचेड़ा देवी, मां विंध्यवासिनी का दूसरा स्वरुप जहां मुरादें होती है पूरी



लल्लन बागी 

 बलिया।। हिन्दू धर्म मे नवरात्रि का बड़ा महत्व है जिसे आदि शक्ति जगत जननी मां जगदम्बा की आराधना उपासना व्रत रखने से मां की विशेष कृपा होती है। रसड़ा में जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर उचेड़ा गांव में आदि शक्ति चंडी देवी का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि आदिशक्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। सुबह में बालिका, दोपहर में महिला तथा शाम को वृद्ध के रूप धरती  हैं।

इस पीठ की स्थापना के संबंध में बताया जाता है कि रसड़ा क्षेत्र के गोपालपुर निवासी ब्रह्मानंद चौबे माह के प्रत्येक पूर्णिमा को सदियों पूर्व गांव से विंध्याचल मां का दर्शन करने पैदल जाया करते थे।वृद्धावस्था में उन्‍होंंने कहा कि मां शारीरिक रूप से अक्षम हो गया हूं। अब आपका दर्शन कैसे करूंगा। जब वह घर पर सोए हुए थे तो मां विन्ध्यवासिनी ने सपने में दर्शन दिया और कहा कि मैं बगल के गांव उचेड़ा में जमीन फाड़कर प्रकट होऊंगी। सपने के कुछ ही दिन बाद आदिशक्ति मां चंडी देवी के रूप में भगवान भोलेनाथ के साथ जमीन से प्रकट हुईं।इसके बाद श्री चौबे ने चंडी देवी और भोलेनाथ का पूजा करना आरंभ कर दिया। इसके बाद से क्षेत्र के लोग यहां पूजन-अर्चन कर परिवार के सुख-समृद्धि के लिए मन्नतें मांगते हैं। जिन्हें मां सहर्ष पूर्ण करती है।



इसी क्रम मे नीबू कबीरपुर गांव मे सिद्धिदात्री आदि शक्ति मां दुर्गा का अष्टम रूप मां काली का मंदिर है। किदवन्तिया यह है कि इस गांव में आदि काल मे प्रलय के बाद लोक मंगल के लिए मां प्रकट हुई, जहां गांव से दूर बिरान जंगल था। स्थानीय लोगो ने वीरान जंगल में पिंडी के रूप मे मूर्ति देख मंदिर का निर्माण कराया था और मां की पूजा करने लगे। लोग मां से बिनती करतें है,मन्नते मांगते है और मां भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती है। यही कारण है कि लोग इस मंदिर में विराजमान पिंडी स्वरुप माता को इच्छापूर्णी देवी कहते है।








गांव के बुजुर्ग बताते है कि मंदिर का निर्माण गांव के शाहू वैश्य  अधिवक्ता वी पी गुप्ता  के पिताश्री ने कराया था। ये मां की उपासना पूजन अर्चन किया करते थे।आर्थिक स्थिति ठीक नही होने से अपनी रोजी रोटी के लिए मन्नते मांगी।मां की कृपा से वे कलकत्ता चले गये। मां की कृपा हुई जिसे एक प्रतिष्ठित व्यवसायी के रूप मे प्रतिष्ठित हो गये और व्यवसाय के उपरान्त समय निकाल कर मां का पूजा अर्चना किया करते रहे। अपने जीवन के अन्तिम पडाव वृद्धा अवस्था मे असमर्थता के कारण अपने बेटा वी पी गुप्ता से मंदिर धर्मशाला आदि वनाने लोक कल्याण के लिए बचन लिया  जिससे गांव में आज मां का भव्य मंदिर है। जहां हजारो लोग अपने मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नते मांगने , पूजन  अर्चन व दर्शन के लिए आते है। नव रात्र मे अस्था के क्रम मे नगर के दक्षिण पूरब कोटवारी प्रधानपुर मार्ग मां काली मंदिर नगर से पूरब उत्तर  अमहर गांव मे मां दुर्गा मंदिर है जहां श्रद्धालु आते है ।