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अधिक से अधिक लोगो को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का करें प्रयास - प्रवीण वर्मा




●फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (एमडीए) को लेकर अंतर विभागीय समन्वय बैठक हुई संपन्न

●मुख्य विकास अधिकारी ने की  बैठक 

बलिया।।फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 फरवरी से 27 फरवरी तक सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसकी तैयारियों को लेकर कलेक्ट्रेट सभागार में मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा के अध्यक्षता में द्वितीय अंतर विभागीय समन्वय बैठक हुई । बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा ने निर्देश दिया  कि सभी सहयोगी विभाग स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अधिक से अधिक जन समुदाय के पात्र लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं डीईसी और एल्बेंडाजोल का सेवन कराने में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग करें। यदि कहीं  कोई दवा नहीं खा रहा है तो ऐसी स्थिति में संबंधित विभाग के अधिकारी /कर्मचारी दवा के महत्व को बताते हुए दवा खिलाने का प्रयास करें।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० जयन्त कुमार ने कहा कि इस बीमारी के दुष्परिणाम कई वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं । शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन  और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है । प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक हो जाता है। यह एक लाइलाज बीमारी है | इस बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक बार  पांच साल तक दवा खाना जरूरी है।

वेक्टर बॉर्न के नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक मिश्रा ने कहा कि जनपद में 10 फरवरी से 27 फ़रवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अन्तर्गत घर-घर जाकर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मी अपने सामने खिलाएंगे एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया होगा।



उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।







जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने कहा कि जनपद में अब तक कुल फाइलेरिया के 1762 मरीज है जिसमें हाइड्रोसील के 277 मरीजों में से 80 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। लिम्फोडीमा के 1485 मरीजों में से 1256 मरीजों में एमएमडीपी किट का वितरण हो चुका है।

उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जो की दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।

 बैठक में सभी सहयोगी विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे सहयोगी संस्थाओं में पाथ, पी सी आई, और सी-फार संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

      पिछले अभियान की उपलब्धियां 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया की पिछले वर्ष 2021 मे इस अभियान( एम डी ए) में जिले की कुल जनसंख्या 3359474 थी। एम डी ए हेतु लक्षित जनसंख्या 2879845 थी। 22 नवम्बर से 7 दिसंबर 2021 तक एम डी ए अभियान चला। इस अभियान के तहत 2422683 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी।माप अप राउंड 13 दिसंबर से 18 दिसंबर 2021 तक चला ।मापअप राउंड के दौरान 58215 लोगो की दवा खिलाई गयी | कुल 2480898 लोगो को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी जो लक्षित जनसँख्या का 86.15 प्रतिशत थी।