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जे एन सी यू में मोटे अनाजो से निर्मित 171 व्यंजनों की लगी प्रदर्शनी





बलिया ।। आज रविवार दिनांक 22 जनवरी को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के सभागार  में कुलपति द्वारा कर्मचारियों के पाल्यों को उपहार वितरण किया गया और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी अकादमिक भवन में मोटे अनाजो से निर्मित व्यंजनों की प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ  कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय द्वारा देवी सरस्वती और चंद्रशेखर जी के चित्र पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलन कर किया गया। कुलपति महोदया ने कहा कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिवार और उनके बच्चों को एक साथ एक मंच पर लाने का एक प्रयास है ।

उन्होंने कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया  और बताया कि उनके कार्यों के प्रति विश्वविद्यालय हमेशा ऋणी रहेगा । जो हर परिस्थिति और हर मौसम में विश्वविद्यालय की संपत्ति की रक्षा करते हैं । उन्होंने कहा कि लोग जीवन में यश ,धन दौलत कमाते है पर जो व्यक्ति जीवन में आचरण , अनुशासन कमा लेता है, वही सबसे बड़ा धनी होता है । 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने इस वर्ष को मिलेट ईयर यानी मोटे अनाज के लिए घोषित किया है ।  कुलाधपति महोदया द्वारा भी दीक्षांत समारोह में इसे मनाने और जनता तक मोटे अनाजों के महत्त्व को पहुँचाने के निर्देश दिये गये थे। कुलसचिव  एस एल पाल ने  धन्यवाद ज्ञापन और डाॅ प्रमोद शंकर पाण्डेय ने संचालन किया। 

 हजारी प्रसाद द्विवेदी अकादमिक भवन में "मोटे अनाजों से निर्मित व्यंजनों एवं इसके महत्व विषयक आयोजित कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें  विश्वविद्यालय परिसर  के गृह विज्ञान विभाग की छात्राओं तथा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों जिसमे स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बाँसडीह, दूजा देवी पी० जी० कॉलेज, रजौली, सहतवार, श्रीरामचन्द्र महाविद्यालय, त्रिकालपुर, गड़वार, किसान पी जी कालेज, रकसा, श्री जमुना राम महाविद्यालय, चितबड़ागाँव की छात्राओं के साथ विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए 10 गाँवों की महिलाओं ने  मोटे अनाजों के लगभग 171 व्यंजनों को रेसीपी के साथ प्रस्तुत किया।










 उक्त कार्यक्रम निदेशक, शैक्षणिक डाॅ पुष्पा मिश्रा के निर्देशन में  आयोजित हुआ। इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो अरविंद नेत्र पाण्डेय, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ अजय कुमार चौबे ,डॉ अंगद गुप्त, डाॅ पंकज सिंह आदि प्राध्यापक उपस्थित रहे। इस प्रदर्शनी का आयोजन गृह विभाग की सहायक  आचार्य डॉ० रंजना मल्ल,  डॉ० संध्या, डॉ० सौम्या तिवारी एवं डॉ० तृप्ति तिवारी द्वारा किया गया । 

कार्यक्रम का शुभारंभ  कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय द्वारा माता सरस्वती और चंद्रशेखर जी के चित्र पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलन कर किया गया। कुलपति महोदया ने कहा कि  विभिन्न संकुलो का निर्माण कर विश्वविद्यालय को एक नई दिशा प्रदान की तथा ऊचाइयों तक पहुंचाने के लिए दिन रात कार्य करती रहती हूँ । यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिवार और उनके बच्चों को एक साथ एक मंच पर लाना है ।

उन्होंने कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया  और बताया कि उनके कार्यों के प्रति विश्वविद्यालय हमेशा ऋणी रहेगा । जो हर परिस्थिति और हर मौसम में विश्वविद्यालय की संपत्ति की रक्षा करते हैं । उन्होंने कहा कि लोग जीवन में यश ,धन दौलत कमाते है पर  व्यक्ति जीवन में आचरण , अनुशासन कमा लेता है वही सबसे बड़ा धनी होता है । उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने इस वर्ष को मिलेट ईयर यानी मोटे अनाज के लिए घोषित किया है । जिसके लिए विगत दिनों कुलाधपति महोदया द्वारा भी दीक्षांत समारोह में उसकी पहल की गई थी । कुलसचिव  एस एल पाल ने बताया कि संगोष्ठी से समाज के दिशा और दशा निर्धारित होती है।

 हजारी प्रसाद द्विवेदी अकादमिक भवन में "मोटे अनाजों" से निर्मित व्यंजनों एवं इसके महत्व विषयक आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया । जिसमें  विश्वविद्यालय परिसर  के गृह विज्ञान विभाग की छात्राओं तथा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों जिसमे स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाँसडीह, दूजा देवी पी० जी० कॉलेज रजौली सहतवार, श्रीरामचन्द्र महाविद्यालय त्रिकालपुर गड़वार,  की छात्राए,  विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए 10 गांव की महिलाओं ने लगभग 171 मोटे अनाजों के व्यंजनों को , व्यंजन निर्माण में प्रयुक्त सामग्री तथा व्यंजन को बनाने की विधि सहित के साथ प्रस्तुत किया गया । 

निदेशक शैक्षणिक पुष्पा मिश्रा के निर्देशन में  कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर चीफ प्रॉक्टर डॉ ए एन पाण्डेय, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रियंका सिंह, डॉ अजय कुमार चौबे ,डॉ विनीत सिंह और संचालन डॉ प्रमोद शंकर पाण्डेय  किया। प्रदर्शनी का देख रेख गृह विभाग के सहायक  प्राचार्य डॉ० रंजना मल्ल,  डॉ० संध्या, डॉ० सौम्या तिवारी, डॉ० तृप्ति तिवारी द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के अध्यापक गण तथा कर्मचारियों की सहभागिता रही ।