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जेएनसीयू मे बड़ा धमाल, वित्तनियंत्रक /वरिष्ठ कोषाधिकारी ने लगाया कुलपति पर बंधक बनवाने का आरोप



28 सहायक आचार्यों की नियुक्ति मे जांच के प्रचलित होने के बाद भी वेतन भुगतान के लिए दबाव डालने का आरोप

मधुसूदन सिंह

बलिया।। अब तक नियुक्तियों मे धांधली की शिकायतें माध्यमिक शिक्षा और जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से सामने आती थी लेकिन यह पहला मौका है जब जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे पिछले अगस्त माह मे हुई 28 सहायक आचार्यों की नियुक्तियों मे धांधली की बातें सामने आयी है। डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह नामक शिकायतकर्ता की मुख्यमंत्री से की गयी शिकायत के बाद शुरू हुई जांच से नव नियुक्त सहायक आचार्यों मे ऐसा आक्रोश भड़का कि इन लोगों ने विश्वविद्यालय की वित्तनियंत्रक / वरिष्ठ कोषाधिकारी बलिया को पौन घंटे तक कुलपति के इशारे पर कुलपति के चेम्बर मे बंधक बनाने का काम किये है।





 यह घटना 10 नवंबर को हुई है और यह आरोप खुद वरिष्ठ कोषाधिकारी ममता सिंह ने लगाया है। श्रीमती सिंह ने जिलाधिकारी को भेजें शिकायती पत्र मे कहा है कि जब मैने जांच के शुरू होने के कारण, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वेतन भुगतान की बात कही तो कुलपति जी के इशारे पर सभी नव नियुक्त 28 सहायक आचार्य पहले से लिखें हुए कागज पर जिसमे लिखा था कि मेरे द्वारा वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया है, पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराना चाहते थे। कुलपति महोदया ने भी ललकारतें हुए कहा कि जब तक हस्ताक्षर न करें दरवाजा मत खोलना। ममता सिंह ने अपनी सुरक्षा के लिये सुरक्षा गार्ड की जिलाधिकारी से मांग की है।



क्या है पूरा मामला

बता दे कि अगस्त माह मे जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिये परीक्षा हुई थी। जिसमे 28 सहायक आचार्यों की नियुक्ति हुई। इन नियुक्तियों मे विभिन्न स्तरों पर शासन के निर्देशों की अवहेलना कर धांधली के माध्यम से नियुक्ति करने का गंभीर आरोप गड़वार थाना क्षेत्र के एकईल निवासी डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह ने लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत कर दी। इसी शिकायत के आधार पर शासन ने निदेशक उच्च शिक्षा उ0प्र0 प्रयागराज की अध्यक्षता मे तीन सदस्यों वाली समिति का गठन किया है जिसमे जिलाधिकारी बलिया द्वारा नामित एक अधिकारी एडीएम और विश्वविद्यालय के कुलसचिव तीसरे सदस्य बनाया है।






विश्वविद्यालय मे जब यह आदेश पहुंचा तो अंदर अंदर भूचाल आ गया। फिर जांच शुरू होने से पहले वेतन निकालने की एक चाल चली गयी, जिसको वरिष्ठ कोषाधिकारी ममता सिंह के चलते सफलता नही मिल पायी। वेतन नही देने का निर्णय ममता सिंह को बंधक बन कर चुकाना पड़ा। अब देखना है कि इस घटना के सामने आने के बाद शासन क्या निर्णय लेता है।









आखिर जांच मे हो रही है इतनी देर क्यों

शिकायतकर्ता डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा 4.9.2022 की गयी शिकायत के बाद शासन द्वारा पत्रांक -2799/सत्तर -1-2022 दिनांक 23 सितंबर 2022 के द्वारा बनायीं गयी जांच समिति से 15 दिनों मे जांच रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन आज दिनांक तक यह जांच शुरू ही नही हुई है। प्राप्त खबरों के अनुसार शिकायतकर्ता से कुलसचिव /सदस्य जांच समिति द्वारा पिछले 2 नवम्बर को जारी पत्र के माध्यम से अपनी शिकायत को बयानहल्फी के द्वारा भेजनें की मांग की गयी है। यह पत्र शिकायतकर्ता को 5 नवम्बर को मिला है। बलिया एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए शिकायतकर्ता डॉ यादवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि शनिवार तक बयानहल्फी कुलसचिव तक पहुंच जायेगी।