Breaking News

झोलाछाप चिकित्सकों, अवैध नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी के खिलाफ कोतवाली मे तहरीर,40 हजार की रिश्वत मांगने का आरोप



मधुसूदन सिंह

बलिया।। मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया द्वारा जिले मे अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम्स, झोलाछाप चिकित्सकों को पकड़ने, अवैध रूप से संचालित अल्ट्रासॉउन्ड केन्द्रो के खिलाफ कार्यवाही के लिए बनाये गये नोडल अधिकारी डॉ सिद्धि रंजन पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाते हुए कोतवाली मे तहरीर दी गयी है। तहरीर देने की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग मे हड़कंप मच गया है।

बता दे कि अधिवक्ता नगर बलिया मे चलने वाले प्रकाश अस्पताल के संचालक डॉ सत्य प्रकाश सिंह की नोडल अधिकारी डॉ सिद्धि रंजन और इनके सहयोगी संविदा कर्मी शैलेष श्रीवास्तव पर अस्पताल चलाने और एफ आई आर  से बचने के लिए 40 हजार रूपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए कोतवाल के नाम की तहरीर वायरल है। 

वायरल पत्र 



बता दे कि बलिया शहर हो या जनपद भर के सी एच सी /पी एच सी अस्पताल हो, इनके आसपास कुकुमुत्ते की तरह अवैध रूप से नर्सिंग होम्स, अल्ट्रासॉउन्ड केंद्र, पैथालोजी धड़ल्ले से संचालित है। मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया के कार्यालय के ही इर्दगिर्द, जिला अस्पताल के आसपास व महिला अस्पताल के आसपास ऐसे केंद्र धड़ल्ले से संचालित हो रहे है लेकिन इनको रोकने के लिए किसी के पास फुर्सत ही नही है या यूं कहे कि ये साहब लोगों के लिए दुधारू गाय है, जिनसे साहब लोगों की सेहत बनती है। ऐसे मे कोई भी अधिकारी अपनी सेहत ख़राब नही करना चाहता है।

सूत्रों की माने तो खबर के प्रकाश मे आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और डॉ सत्य प्रकाश सिंह मे सुलह समझौता  हो गया है। अब यह प्रकरण समाप्त हो चुका है। क्यों और कैसे समझौता  हुआ आप सभी समझ सकते है।




बता दे कि डॉ सिद्धि रंजन सीएचसी बेरुआरबारी मे अधीक्षक के रूप मे तैनात है। अवैध रूप से संचालित अस्पताल, अल्ट्रासॉउन्ड केंद्र के खिलाफ जांच पड़ताल और कार्यवाही के लिए नोडल अधिकारी डॉ सिद्धि रंजन के सहयोगी संविदा कर्मी शैलेष श्रीवास्तव अक्सर अवैध वसूली को लेकर चर्चा मे रहते है। इनको जब देखिये ये मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय के आसपास दिख जायेंगे लेकिन जो अवैध रूप से संचालित अस्पताल हो, अल्ट्रासॉउन्ड केंद्र हो या पैथालोजी हो, आमजन को दिख जाते है लेकिन शैलेष श्रीवास्तव को नही दिखते है, यह क्यों नही दिखते है इसको समझना मुश्किल नही है।

50-60 प्रतिशत कमीशन पर संचालित है पैथालोजी

मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय के आसपास हो, जिला चिकित्सालय के आसपास हो या महिला अस्पताल के आसपास अवैध रूप से संचालित पैथलॉजियो मे मरीजों के साथ धोखाघड़ी का जबरदस्त खेल हो रहा है। इनके पास जांच के लिये जो भी चिकित्सक भेजता है, उसको 50 से 60 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है। अब आप खुद ही सोचिये कि 60 प्रतिशत कमीशन देने वाले क्या आपके खून की जांच करेंगे? जी नही, ये लोग आपका खून तो निकालते है लेकिन उसको नाली मे बहा देते है और संबंधित चिकित्सक की सलाह के मुताबिक रिपोर्ट रोगी को दे देते है और यहां से शुरू होता है रोगियों के साथ आर्थिक दोहन और चिकित्सक के मोटे होने का सिलसिला। इस सिलसिले को रोकने वाले भी जब खुद दोहन करने लगे तो समझिये बलिया स्वास्थ्य विभाग मे कितनी गहराई तक भ्रष्टाचार की जड़े जम चुकी है।

मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय मे भी खेल

अल्ट्रासॉउन्ड केंद्र संचालित करने के लिए जब कोई मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय मे आवेदन करता है तो उस चिकित्सक की शैक्षणिक योग्यता की जांच के लिए संबंधित विश्वविद्यालय को गोपनीय तौर पर पत्र भेजा जाता है। जबतक पत्र का जबाब न आ जाये, आप इनकी डिग्री के संबंध ने कोई टिप्पणी नही कर सकते है। सूत्रों की माने तो अल्ट्रासॉउन्ड केन्द्रो के पंजीकरण मे एक नियम है कि अगर तीन माह के अंदर चिकित्सक की योग्यता के खिलाफ कोई लिखित संदेश  संबंधित विश्वविद्यालय से नही आता है तो यह स्वतः मान लिया जाता है कि योग्यता सही है। इसी नियम का फ़ायदा मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय के बाबुओ द्वारा उठाकर मोटी कमाई करके अल्ट्रासॉउन्ड केन्द्रो को योग्यता न रखने के बावजूद चिकित्सक को संचालन के लिए पंजीकृत कर देते है। इनके द्वारा जांच हेतु पत्र इस तरीके से भेजा जाता है कि वर्षो वर्ष बीत जाते है लेकिन संबंधित विश्वविद्यालय से जबाब नही आता है।