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बलिया मे एमओआईसी बनाने मे बड़ा खेल, कनिष्ठ चिकित्सक के नीचे वरिष्ठ तैनात



मधुसूदन सिंह

बलिया।। सीएमओ बलिया का खेल भी बड़ा निराला है। साहब ने अधिकांश सीएचसी /पीएचसी पर वरिष्ठ चिकित्सकों की जगह कनिष्ठ चिकित्सकों को प्रभारी बना रखा है। पहले आप यह जानिये कि किस सीएचसी /पीएचसी पर कौन और किस लेवल का अधिकारी प्रभारी बनाया गया गया है ------

सीएचसी/पीएचसी --प्रभारी ---प्रभारी बनने के लिये योग्यता 

सीएचसी बांसडीह -डॉ डॉ संजय वर्मा(लेवल 2)    3

पीएचसी बेरुआरबारी -डॉ सिद्धि रंजना(लेवल 1)  2

पीएचसी चिलकहर -डॉ प्रशांत (लेवल1)              2

सीएचसी दुबहड़ -डॉ शैलेश (लेवल1)                  3

सीएचसी खेजूरी -डॉ रत्नेश (लेवल 2)                 3

पीएचसी मनियर -डॉ रावत (लेवल 1)                 2

पीएचसी मुरली छपरा- डॉ देवनीति सिंह (लेवल2)  2

पीएचसी नगरा -डॉ राहुल (लेवल 1)                   3

सीएचसी नरही -डॉ वेंकटेश (लेवल1)                 3

सीएचसी रसड़ा -डॉ बीपी यादव (लेवल 3)          3

सीएचसी रतसर -डॉ राकीब अख्तर(लेवल2)       3

सीएचसी रेवती- डॉ रोहित(लेवल 1)                 3

सीएचसी सीयर -डॉ राकेश सिंह (लेवल 3)         3

सीएचसी सिकंदरपुर -डॉ व्यास (लेवल3)          3

सीएचसी सोनबरसा -डॉ आशीष (लेवल 2)       3

सीएचसी सोनवानी- डॉ मुकर्रम (लेवल2)         3

पीएचसी वैना -डॉ धर्मेन्द्र यादव (लेवल 1)       2

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कुल 17 मे से 13 जगहों पर कनिष्ठ चिकित्सकों को प्रभारी बनाया गया है और कई जगहों पर इनके नीचे वरिष्ठ चिकित्सकों को कार्य करने को बाध्य किया गया है। कुछ चिकित्सकों की सेवा का वर्ष वर्तमान लेवल से ऊपरी लेवल मे जाने का हो चुका है, यह सत्य है लेकिन इससे भी बड़ा सच यह है कि शासन ने इनके लेवल को अभी तक अपग्रेड नही किया है। यानी इनकी डीपीसी हुई ही नही है और जबतक डीपीसी न हो जाए किसी को भी अपग्रेड नही किया जा सकता है। क्योंकि डीपीसी मे संबंधित अधिकारी/कर्मचारी से संबंधित आचरण, कार्य के प्रति सत्यनिष्ठा से संबंधित रिकार्ड को सत्यापित किया जाता है । लेकिन सीएमओ बलिया जो शासनादेश के इतर कार्य करने के आदी है, उनको वरिष्ठ कनिष्ठ मे अंतर देखने की फुर्सत कहां है, साहब तो यह देखते है कि कौन विभाग की बजाय उनके प्रति ज्यादे करीब है। अगर ऐसा नही होता तो साहब जिस बाबू का अनुपस्थिति की शिकायत पर खुद वेतन रोक कर जांच बैठाये हो, उसको जांच रिपोर्ट आने से पहले ही लेखा पटल का प्रभारी नही बना देते। इसके पहले साहब ने कनिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव को लेखा का प्रभारी बना दिया था।

विनोद सैनी और पुनीत श्रीवास्तव के लिए अलग उपस्थिति पंजिका

अवस्थापना का पटल देखने वाले मुन्ना बाबू से जब विनोद कुमार सैनी के लेखा अनुभाग मे योगदान दिये जाने से संबंधित सूचना मांगी गयी तो मुन्ना बाबू का साफ कहना था कि विनोद कुमार सैनी के द्वारा लेखा अनुभाग मे योगदान देने से संबंधित कोई भी कागजात इनके पास नही है। जबकि किसी भी अधिकारी और कर्मचारी से संबंधित सारे कागजात अवस्थापना मे ही रहते है। एक बात और चौकाने वाली सामने आयी है। विनोद कुमार सैनी और पुनीत कुमार श्रीवास्तव का नाम उस उपस्थिति पंजिका मे है ही नही जिसमे सारे लोग हस्ताक्षर करते है। संभवतः इन लोगों के लिए अलग उपस्थिति पंजिका बनायी गयी है ताकि विनोद कुमार सैनी की अनुपस्थिति को सार्वजनिक होने से छुपाया जाय।