Breaking News

अभी से गर्मी में पैदल चलने की आदत डाल ले अधिकारी : नवागत जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी (आल इंडिया रैंक 24 वी) सौम्या अग्रवाल ने शुक्रवार को कोषागार में कार्यभार ग्रहण किया । कार्यभार ग्रहण करने से पहले कोषागार पहुंचने पर यूपीपी के सशस्त्र जवानों की गार्द द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया । प्रभारी कोषाधिकारी द्वारा कर्मचारियों की तरफ से पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया । कोषागार पहुंचकर कार्यभार ग्रहण करने के बाद जिलाधिकारी ने कर्मचारियों से परिचय प्राप्त किया ।

कोषागार से निकलने पर कलेक्ट्रेट के लिये जिलाधिकारी पैदल ही निकल पड़ी । इस पर साथ चल रहे अधिकारियों द्वारा कड़ी धूप का हवाला देकर जब गाड़ी से चलने की बात कही गयी तो जिलाधिकारी बोली इसी धूप में पैदल काम करने की अभी से आदत सभी अधिकारी डाल लें । पैदल ही जिलाधिकारी कलेक्ट्रेट पहुंची और कलेक्ट्रेट का निरीक्षण किया और अधिकारियों संग बैठक भी की ।




 बलिया की जिलाधिकारी बनने से पहले श्रीमती अग्रवाल बस्ती की जिलाधिकारी थी । श्रीमती अग्रवाल पिछले दिनों तब चर्चा में आ गयी थी जब सीएम योगी की अगवानी करने के लिये हेलीपैड तक दौड़ते हुए पहुंची थी । बलिया की नवागत जिलाधिकारी की प्रशासनिक सेवा की शुरुआत 2008 में कानपुर की उप-मंडल मजिस्ट्रेट के रूप में हुई। इसके बाद महाराजगंज में मुख्य विकास अधिकारी, उन्नाव में जिला मजिस्ट्रेट और कानपुर में केईएससीओ के प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य कर चुकी है ।इसके साथ ही सौम्या अग्रवाल  दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का प्रबंध निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुकी है ।

बलिया में क्या मिली है विरासत में चुनौतियां

14 साल की प्रशासनिक क्षेत्र में अनुभव रखने वाली सौम्या अग्रवाल से बलिया जनपद को बहुत उम्मीदें है । सबसे बड़ी उम्मीद तो यहां के अधिकारियों को मान सम्मान देने की है । क्योंकि निवर्तमान जिलाधिकारी ने अपनी प्रत्येक मीटिंगों में जो व्यवहार अपने मातहतों के साथ किया है, वह यहां के अधिकारियों के बीच जिलाधिकारी के नाम से दहशत पैदा कर दी है । दहशत इस लिये नही कि अधिकारी काम नही करते है, बल्कि इस लिये कि निवर्तमान जिलाधिकारी जिन अपशब्दों के साथ भरी बैठकों में अधिकारियों की क्लास लेते थे, उससे है । निवर्तमान जिलाधिकारी की राह पर एक और प्रशासनिक अधिकारी चलने लगे है और ये भी अपशब्दों की अब बौछार करने लगे है ।सबसे पहले नवागत जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल को मीटिंगों में दी जाने वाली अपशब्दों की परंपरा को रोकना है, जिससे सारे अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी पूरे मनोयोग से जिलाधिकारी के कदम से कदम मिलाकर बलिया के विकास में सहभागिता करने लगे ।

दूसरी बड़ी समस्या यहां आने वाली बाढ़ व उससे होने वाली कटान है । कटान रोकने के लिये गंगा नदी में कार्य चल रहा है लेकिन उसकी गति अपेक्षाकृत धीमी है, जिसको तेज कराने की जरूरत है । वही अभी से बाढ़ आने पर पीड़ितों को कैसे राहत पहुंचायी जाय,इसकी तैयारी कर ली जाय, तो बाढ़ के समय कोई परेशानी नही होगी । लेकिन यहां का पिछला ट्रेंड यही रहा है कि बाढ़ आने पर राहत कार्य की योजना बनने लगती है, जिसके कारण देर हो जाती है और अधिकांश पीड़ितों तक सरकारी सहायता पहुंच ही नही पाती है ।





तीसरी समस्या जनपद मुख्यालय पर नगर पालिका द्वारा सफाई के नाम पर लूट और चारो तरफ गंदगी की है और इसके लिये अगर सबसे बड़ा कोई जिम्मेदार है तो वो है नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा है । राजनैतिक और प्रदेश मुख्यालय पर अपनी ऊंची रसूख के कारण पिछले 5 सालों से स्थानांतरण के शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए बलिया को तरणताल बनाने वाले इस अधिकारी को किसी का भी खौफ नही है । कारण कि पूर्व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल के द्वारा कराये गये स्थानांतरण को निरस्त कराने और तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगरौता के डीओ लेटर को भी जो अधिकारी निष्प्रभावी कर दे,उसको भय कहा होगा । यही नही लगभग दो दर्जन भ्रष्टाचार की शिकायतें जांचोपरांत जिलाधिकारी स्तर तक लंबित होना भी इस अधिकारी के रसूख को दर्शाने के लिये काफी है । अब देखना है कि नवागत जिलाधिकारी के कार्यकाल में इस अधिकारी का रसूख कायम रहता है कि नही ।



चौथी समस्या स्वास्थ्य विभाग को लेकर है । ग्रामीण अंचलों में पदस्थापित चिकित्सको की अनुपस्थिति स्वास्थ्य सेवाओं को बद से बदतर बनाने में प्रमुख कारण है । वही जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक के अभाव में अल्ट्रासाउंड बहुत दिनों से बन्द है,इसके लिये चिकित्सक की व्यवस्था बहुत जरूरी है ।

पांचवी समस्या जनपद में आ रहे अवैध लाल बालू को रोकने की है । साथ ही सफेद बालू का अवैध खनन चरम पर है । जिसको रोकना सबसे पहला काम होना चाहिये । यही नही बलिया में अवैध शराब की बिक्री की समस्या आबकारी विभाग और थोक लाइसेंसियों की मिलीभगत से जोरो पर है । जिलाधिकारी अगर थोक लाइसेंसियों और फुटकर लाइसेंसियों के मात्र एक माह की बिक्री व खरीद के रजिस्टरों का मिलान करा दे तो हकीकत अपने आप सामने आ जायेगी ।