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जाने अक्षय तृतीया , सनातन धर्मावलंबियों के लिये महत्वपूर्ण क्यो है ?

 



डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय/मधुसूदन सिंह

प्रयागराज ।। अक्षय तृतीया को सनातन धर्मावलंबियों द्वारा एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाने की पौराणिक परंपरा है ।अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 03 मई को है उसका महत्व क्यों है ,इस पर प्रकाश डालते है । शास्त्रों के अनुसार आज  ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था । यही नही भगवान परशुराम  जी का अवतार आज ही के दिन हुआ था । यही शास्त्रों के अनुसार माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।


महाभारत काल मे जब भरी राजसभा में दुःशासन ने द्रोपदी का चीरहरण करने की कोशिश की थी तो आज ही के दिन द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने बचाया था । यह भी कहा गया है कि आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण का अपने बाल सखा सुदामा से गुरुकुल की शिक्षा के बाद पहली बार हुआ था । शास्त्रों में यह भी लिखा है कि आज ही के दिन भगवान कुबेर को खजाना मिला था ।




यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण इस लिये है कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था । वही ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था । यही नही आज भी प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।


इस तिथि से जुड़ी सबसे बड़ी बात यह है कि वृन्दावन  के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते है । यह भी सूच्य हो कि आज ही के दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।


इस लिये अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है । यही कारण है कि सभी सनातन धर्मावलंबियों में अक्षय तृतीया को लेकर बड़ा उत्साह रहता है ।