बलिया मे विस्फोट , मौके पर पहुंची 112
उड़ा गाय का जबड़ा
बलिया।। यूपी के बलिया में संदिग्ध परिस्थितियों में तेज आवाज में विस्फोट होने का मामला सामने आया है। इस विस्फोट में एक गाय के बुरी तरह से घायल हो जाने की सूचना है। मामला फेफना थाना अंतर्गत मटीही पुलिस चौकी के पास का बताया जा रहा है। सूचना पर पहुंची 112 नम्बर की पुलिस मामले की जांच में जुटी है वही डॉक्टरों की टीम घायल गाय का उपचार कर रही है।
फेफना थाना अंतर्गत बछरजा निवासी पशुपालक रामाश्रय यादव ने बताया कि मटीही चट्टी के पास एक बुढ़िया माई का स्थान है जिसके पश्चिम में अपने पशुओ को चराने के लिए ले गया था जहां गौ माता भी चर रही थी। जहां अचानक तेज आवाज़ में विस्फ़ोट हुआ और धुंआ उठने लगा। बताया कि मैं गौ माता से कुछ दूर सड़क किनारे खड़ा था। विस्फ़ोट के बाद गौ माता इधर-उधर गोल गोल घूम रही थी।जब आवाज सुनकर पास गया तो गौ माता का जबड़ा व जीभ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था जमीन खून से लाल हो चुकी थी । घटना की आपबीती बताते हुए बताया कि इस दृश्य को देख मुझे कुछ समझ नही आया, मैंने बच्चों को बुलाया। बच्चों ने घायल गाय को किसी तरह घर दरवाजे पर लाया और पशु चिकित्सक को फोन कर बुलाया गया। बताया चिकित्सक ने उपचार किया, दावा दिया, मलहम पट्टी किया लेकिन टाका नही लगाया। बताया इस घटना की सूचना पर पहुंची 112 नम्बर की मामले की जांच में जुटी है।
आप को बतादें कि विस्फोट की ये घटना मटीही पुलिस चौकी से चंद कदमों की दूरी पर घटित हुई है। आशंका है कि जहां गाय घास चर रही थी वहां कोई विस्फ़ोटक पदार्थ था जिसे गाय ने अपने जबड़े दबाया और तेज आवाज में विस्फोट हो गया, जिससे गाय का जबड़ा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया । बहरहाल मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच कर रही है।
प्लास्टिक मे विस्फोटक होने का अंदेशा
गाय के उड़े जबड़े को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्लास्टिक मे किसी ने कोई विस्फोटक सामग्री फेक दी थी जिसको गाय द्वारा मुंह मे लेकर दबाते ही विस्फोट हो गया। मौके पर पहुंची 112 की टीम ने घटना स्थल से सुतली के छोटे छोटे टुकड़ो को एकत्रित किया है। अंदेशा यह लगाया जा रहा है कि यह सुतली बम हो सकता है।
चिकित्सक के पास सिलाई का नहीं था सामान
बेजुबानो की चिकित्सा करने वाले चिकित्सक कितने तत्पर रहते है, इसका नजारा आज पहुंचे चिकित्सक के द्वारा किये गये इलाज से समझा जा सकता है। जिस गाय का जबड़ा व जीभ लटक गयी हो, उसको मात्र पट्टी करके इलाज का कोरम पूरा करना बेज़ुबान के साथ नाइइंसाफी नहीं तो और क्या है। इलाज करने वाले चिकित्सक के पास सिलाई की कोई व्यवस्था ही नहीं थी।