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बलिया के एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी निलम्बित

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी को शासन की संस्तुति पर डीजीपी ने निलम्बित कर दिया है । निलंबन की अवधि में श्री त्रिपाठी को पुलिस मुख्यालय लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया गया है । इस आशय का पत्र एडीजी (हेडक्वार्टर) पीसी मीना ने जारी किया है ।





वही बलिया के नये एडिशनल एसपी के रूप में डीपी तिवारी को नियुक्त किया गया है । श्री तिवारी 2011 बैच के पीपीएस अधिकारी है । ये मूलतः प्रतापगढ़ के रहने वाले है  और सीनियर स्केल के पीपीएस अधिकारी है ।

आम चर्चा है कि अवैध बालू को लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंची एक गुमनाम चिट्ठी के क्रम में यह कार्यवाही बतायी जा रही है । सच्चाई क्या है पुलिस विभाग के आलाधिकारी ही जानते है । सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आ रही है कि अभी और कठोर कार्यवाही हो सकती है ।

गोपनीय जांच के बाद हुए एएसपी सस्पेंड ,असली कहानी अवैध वसूली की तो नही ?

 जिले में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक को उत्तर प्रदेश शासन ने एक जालसाज को इंटीलिजेंस का बड़ा अफसर बताने के चलते सस्पेंड कर दिया, लेकिन यह कहानी इतनी सीधी और सपाट नहीं है जितनी बताई जा रही है। पीपीएस अफसर के इस सस्पेंशन के पीछे वसूली का खेल और इस वसूली के खेल की शिकायत बड़ी वजह बताई जा रही है।

 बताया जा रहा है कि  एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी वाराणसी के दवा व्यापारी विकास कुमार सिंह को इंटीलिजेंस अफसर बताकर लोगों से मिलाते थे और गोपनीय जांच के अनुसार, विकास जिले में कई लोगों से काम करवाने के नाम पर पैसे वसूल रहा था। यह अलग बात है कि किसने किसने और क्यो विकास को दिये पैसे यह नही खुलासा हुआ है । अगर विकास इतना बड़ा शातिर अपराधी था तो पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजे जाने तक मीडिया द्वारा साये की तरह पीछा करने के बाद भी पीसी क्यो नही की,यह सवाल चर्चा में है ।

तीन पेज के शिकायती पत्र से शुरू हुआ बवाल


अब बात उस गोपनीय पत्र की जिसमें  जिले में हो रही पुलिस की अवैध वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई। दरअसल अप्रैल महीने की 8 और 18 तारीख को दो पत्र मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और वाराणसी जोन के एडीजी को भेजे गए। शिकायती पत्र को  बलिया के पुलिस कर्मियों की तरफ से भेजा गया बताया जा रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया कि बिहार के बक्सर और छपरा बॉर्डर पर अवैध शराब और अवैध खनन से वसूली हो रही है।

तीन पेज के शिकायती पत्र में एसएचओ बैरिया पर वसूली के गंभीर आरोप लगे। रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए पत्र के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि पत्र वाराणसी के आरएमएस पोस्ट ऑफिस से भेजा गया था। सिगरा थाने के पुलिसकर्मियों की मदद से आरएमएस में लगे सीसीटीवी को खंगाला गया तो विकास सिंह की दुकान पर पेंटर का काम करने वाला संतोष सिंह नजर आया।

सिगरा पुलिस ने संतोष सिंह से पूछताछ की तो पता चला पत्र को रजिस्ट्री करने के लिए विकास सिंह ने कहा था और उसी ने वह लिफाफा बंद करके दिया था। मुख्यमंत्री से  जिले में पुलिस के अवैध खनन की शिकायत करने वाला यह वही विकास सिंह है जिसको एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी का करीबी बताया गया और विजय त्रिपाठी उसे इंटीलिजेंस का अफसर बताकर लोगों से मिलवाते थे। यानी अवैध वसूली करने वाले ने ही अवैध वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री से की है ।

नौकरी लगाने के लिये की गई जालसाजी में विकास की हुई गिरफ्तारी 

जैसे ही मुख्यमंत्री से की गई शिकायत पर शासन से पूछताछ और तहकीकात की जाने लगी, तभी बलिया के कोतवाली थाने में 21 मई को गाजीपुर के रहने वाले हरि प्रकाश सिंह की तरफ से विकास सिंह पर एक लाख लेकर नौकरी दिलाने के नाम पर किए गए धोखे की एफआईआर दर्ज करवाई गई और 3 दिन बाद 24 मई को विकास सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।