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बलिया में किला बचाने में भाजपा दिख रही है कामयाब,सपा हुई लाचार,सुरेंद्र की भी गूंज सकती है दहाड़



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद में हुए विधानसभा के चुनाव के बाद मिल रहे रुझानों के अनुसार एक बार फिर कभी समाजवादियों की धरती कहलाने वाली बागी बलिया भगवा रंग में ही रंगी दिख रही है । इस बार भी भाजपा बलिया सदर, फेफना,सिकन्दरपुर जहां मजबूत स्थिति में है , तो वही बेल्थरारोड और बांसडीह में अंतिम क्षण में करिश्मा करने की स्थिति में दिख रही है ।

इस बार बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी और भाजपा नेत्री केतकी सिंह की लड़ाई पिछले चुनाव की तरह ही कांटे की है । इस बार भी नेता प्रतिपक्ष की जीत में वीआईपी के कनक पांडेय और कांग्रेस के पुनीत पाठक की मजबूती का अहम योगदान हो सकता है । समीक्षकों की माने तो अगर कनक व पुनीत 15-15 और बसपा की उम्मीदवार मानती राजभर 20 हजार मत हासिल करने में सफल हो जाते है तो नेता प्रतिपक्ष की जीत की आधारशिला रख दी जाएगी । वही अगर कनक व पुनीत 10-10 में सिमटते है तो फिर केतकी की जीत संभावित दिखती है । बांसडीह ही एक ऐसी सीट है जहां समाजवादी पार्टी जीतने की स्थिति में दिख रही है ।




बैरिया विधानसभा में भाजपा से बगावत कर वीआईपी से चुनाव लड़ रहे विधायक सुरेंद्र सिंह अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखते हुए दिख रहे है । मुख्य व्यापारिक बाजारों में जिस तरह से व्यापारियों ने इनको आर्थिक मदद खुलकर की है और मतदान के बाद भी सुरेंद्र सिंह का ही नाम लेते देखे जा रहे है तो यह कहा जा सकता है कि श्री सिंह ने भाजपा के पिछड़े वर्ग के वोटरों में अपने 5 साल के कार्यकाल के दम पर सेंधमारी करने में सफल दिख रहे है । सुरेंद्र सिंह का सबसे कमजोर पकड़ का क्षेत्र बेलहरी ब्लॉक बताया जा रहा जबकि सबसे मजबूत में मुरली छपरा ब्लॉक,बैरिया व रानीगंज बाजार को बताया जा रहा है । सुरेंद्र सिंह अगर अपनी सीट बचाने में कामयाब होते है तो उसमें इनके द्वारा कमजोर बूथों पर भी कम से कम 100 मत प्राप्त करना प्रमुख कारक होगा ।

सपा उम्मीदवार जयप्रकाश अंचल भी इस लड़ाई को रोचक बनाते दिख रहे है । इनके पक्ष में भी पिछड़े वर्ग के सपा समर्थक मतदाताओं ने जमकर मतदान किया है । भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी/मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल भी इस लड़ाई को मोदी योगी के नाम पर त्रिकोणीय करने में लगे हुए दिख रहे है । बेलहरी ब्लॉक में इनकी मजबूत स्थिति दिख रही है । अब देखना है कि सुरेंद्र अंचल शुक्ल में कौन बाजी मारता है ?

बलिया सदर सीट का चुनाव काफी रोचक हुआ है । एक तरफ यहां भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह अपनी पूरी ताकत झोंक कर 2007 में हुई अपनी करारी हार के रिकार्ड को ध्वस्त करने में लगे हुए थे, तो वही समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री नारद राय इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा बनाते हुए किसी भी सूरत में जीतना चाहते है । इस कांटे की टक्कर में कई टकराव की भी घटनाएं हुई, एक दूसरे पर पारिवारिक मामलों के द्वारा हमले भी हुए ।

चुनाव के बाद जो रुझान सामने आया है, उसमे भारतीय जनता पार्टी अपने ही मोदी लहर वाले रिकार्ड को ध्वस्त करती हुई नजर आ रही है । जानकारों के अनुसार भाजपा यहां एक लाख पार जाती दिख रही है । अगर ऐसा होता है तो इसमें शहरी क्षेत्र के व्यवसायियों का योगदान सर्वाधिक हो सकता है । यहां के लोग विकास कराने की संभावना के मामले में पीएम मोदी व सीएम योगी से दयाशंकर सिंह की निकटता को ,अपने कार्यकाल में पूर्व मंत्री नारद राय द्वारा कराये गये कार्यो पर वरीयता देते दिख रहे है । ऐसे में यहां से एकबार फिर भाजपा अपनी सीट बचाती दिख रही है । असल परिणाम 10 मार्च को ही दिखेगा,यह सिर्फ अनुमान है ।

फेफना विधानसभा का चुनाव भी काफी हाई प्रोफाइल रहा है । यहां से विधायक व मंत्री उपेन्द्र तिवारी को समाजवादी पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी संग्राम सिंह यादव से कड़ी टक्कर मिली है । इस चुनाव में मात्र एक मजबूत  यादव प्रत्याशी था जबकि 3 सवर्ण प्रत्याशी चुनाव में किस्मत आजमा रहे थे । यह यहां के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी का फॉर्मूला है जिसके आधार पर वो 4 बार इस क्षेत्र से विधायक रहे है ।

शुरुआती दौर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार संग्राम सिंह यादव,मंत्री उपेन्द्र तिवारी से काफी आगे चल रहे थे । क्षेत्रीय सवर्ण लोगो मे मंत्री उपेन्द्र तिवारी के प्रति काफी आक्रोश था जो प्रत्यक्ष रूप से दिख भी रहा था । लेकिन इस क्षेत्र के सपा समर्थको का जीत के प्रति अति उत्साह अनुशासन की सीमा को पार करने की घटना पूर्व सीएम व सपा मुखिया अखिलेश यादव की जनसभा में दिखी, वह सपा के लिये काफी नुकसानदेह साबित होती दिखी ।

वही उपेन्द्र तिवारी के पक्ष में गृहमंत्री अमित शाह की और पीएम मोदी की जनसभा ने मंत्री से नाराज समर्थको को फिर से मोदी योगी के नाम पर मतदान करने के लिये तैयार करने में सफल होती दिख रही है । जिस चितबड़ागांव, नरही,पंचगावा में मंत्री उपेन्द्र तिवारी का सबसे ज्यादे विरोध था,इन्ही क्षेत्रो में सबसे ज्यादे वोट मिलने की खबर मिल रही है ।

समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को नरही और सोहांव के बीच अधिक समर्थन मिलने की खबर है । ऐसे में शुरुआती दौर में जिस फेफना विधानसभा की सीट को सपा के खाते में गारंटी के साथ जाती हुई मान लिया गया था, वह अब ऐसा होता नही दिख रही है ।

रसड़ा विधानसभा में एकबार फिर बसपा प्रत्याशी व विधायक उमाशंकर सिंह आसानी के साथ विधायक बनते दिख रहे है ।

बेल्थरारोड विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार छट्ठू राम,बसपा उम्मीदवार प्रवीण प्रकाश और सपा गठबंधन के उम्मीदवार हंशु राम के बीच कांटे की टक्कर है । बावजूद इसके भाजपा इस सीट को बरकरार रखने में कामयाब होती दिख रही है ।

सिकन्दरपुर विधानसभा में जिस सपा गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व मंत्री मुहम्मद जियाउद्दीन रिजवी की जीत शत प्रतिशत मानी जा रही थी और भाजपा विधायक संजय यादव की पराजय तय मानी जा रही थी । लेकिन जीत के प्रति आश्वस्त पूर्व मंत्री श्री रिजवी के द्वारा अति उत्साह में दिये गये दो तीन बयानों ,जो वायरल हुए, ने मंत्री जी को कमजोर और संजय यादव को मजबूत कर गये । अब स्थिति यह दिख रही है कि भाजपा प्रत्याशी संजय यादव जीत की राह पर है ।