Breaking News

कृषि पैटर्न में बदलाव कर, करें खेती का सर्वांगीण विकास

 


बलिया ।। भारत एक कृषि प्रधान देश है । देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण स्थान है । यहां कुल आबादी का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा गांवों में निवास करती है, जिसमें 80 से 90 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आधारित हैं । देश में कृषि परंपरागत रूप में की जाती रही है और परंपरागत कृषि खेती करने का एक पुराना तरीका है ।

भारत में भौगोलिक विषमता पाई जाती है । यहां पर कहीं उंचे पहाड़, पठार, पर्वत, पथरीली जमीन और कम उपजाऊ जमीन सहित कई अन्य विषमताएं पाई जाती हैं । इस वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में ठीक ढंग से खेती नहीं हो पाती है । जैसे कि किसी राज्य में यदि धान की अधिक पैदावार होती है तो गेहूं की कम, यदि गेहूं अधिक पैदा होता है तो धान कम । कुछ इन तरीकों को अपनाकर कृषि का विकास किया जा सकता है ।

                क्रॉप पैटर्न में बदलाव


बेहद जरूरी है कि किसानों को अपने क्रॉप पैटर्न यानी बीज की बुवाई में बदलाव करते रहना चाहिए । लेकिन दुर्भाग्य है, भारत में ज्यादातर किसान परंपरागत खेती करते चले आए हैं । जैसे कि जब धान की रोपाई होती है तो वे धान की ही रोपाई करेंगे और जब गेहूं की बुवाई होती है तो वे गेहूं की ही बुवाई करेंगे । ऐसे में यदि देखा जाए तो यह बहुत बड़ा कारण है, कृषि विकास न होने का । इसमें सुधार की बेहद आवश्यकता है । जैसे कि यदि हम पपीते की खेती करते हैं तो उसके साथ हल्दी या अदरक जैसी अन्य फसलों को भी खेती कर सकते हैं. किसानों को कृषि करने के नए-नए तरीके और आधुनिकीकरण से रूबरू होना चाहिए ।



                   कृषि में नवाचार


 भारत के ज्यादातर खेत गेहूं और धान की खेती को समर्पित हैं । वर्षा आधारित क्षेत्रों में धान और गेहूं की एकल फसल उगाने वाले किसानों को इससे सर्वाधिक नुकसान होता है ।आज फसलों में विविधता लाने से खेती में ज्यादा लाभ संभव है । विशेष रूप से लघु और सीमांत कृषक सब्जियां और फल उगाकर तथा पशुपालन से अपनी आय बढ़ा सकते हैं । उदाहरण के तौर पर यदि किसान धान की खेती करते हैं तो उसमें वे मछली पालन भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं. ऐसी खेती चीन और जापान जैसे देशों में की जा रही है ।

                   एमएसपी पर बने कानून 


एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों की ओर से बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीद करने के लिए तैयार रहती है । एमएसपी की घोषणा सरकार की ओर से कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर साल में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है । दरअसल, किसी फसल की एमएसपी इसलिए तय की जाती है, ताकि किसानों को किसी हालत में जो न्यूनतम दर निर्धारित की गई है, वो मिलती रहे ।

                     स्टोरेज की व्यवस्था


 किसानों के लिए स्टोरेज यानी भंडारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए । जैसे कि देश में खेती करने की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है । ऐसे में सहकारिता विभाग को यह चाहिए कि वह पंचायत की जमीन पर भंडारण की व्यवस्था करे ।इससे यह फायदा होगा कि किसानों को भंडारण के लिए प्राइवेट भंडारण गृह में नहीं जाना पड़ेगा और किसान कई तरह की समस्याओं से बचा रहेगा ।


(राहुल उपाध्याय स्वतंत्र टिप्पणीकार, पत्रकार व लेखक)