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जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन से आयेगा पोषण स्तर में सुधार- डीपीओ

 




- आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों व पंचायत भवनों पर आयोजित होगा “स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा” कार्यक्रम

- बच्चों का सभी ब्योरा पोषण ट्रेकर पर किया जायेगा फीड 

- जनपद में 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की संख्या है 3,16,359

बलिया ।। जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने की पुरजोर कोशिश होगी। इसके लिए आगामी 8 से 14 जनवरी तक सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों और पंचायत भवनों पर “स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा” कार्यक्रम का आयोजन होगा। कार्यक्रम में स्वस्थ बच्चे और उनके परिजन सम्मानित होंगे। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी कृष्ण मुरारी पाण्डेय ने दी । 

डीपीओ ने बताया कि पोषण अभियान के तहत बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा समय-समय पर विविध गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं। इसी क्रम में 8 जनवरी से 14 जनवरी के बीच “स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा” कार्यक्रम आयोजित किये  जायेंगे।

कार्यक्रम के तहत प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र, प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन पर विशेष सेवा दिवस आयोजित करके उक्त कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। सेवा दिवस पर स्वस्थ बच्चे की पहचान करते हुए उसको और उसके परिवार को सम्मानित भी किया जायेगा। जनपद में 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 316359 है। सैम बच्चों की संख्या 2757 तथा  मैम बच्चों की संख्या 9234 है। जबकि कुपोषित बच्चों की संख्या 52963 तथा अति-कुपोषित बच्चों की संख्या 7221 है। 

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि “स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा” कार्यक्रम के लिए विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गयी है।





               कार्यक्रम के विभिन्न घटक

- लक्ष्य समूह: 0-6 वर्ष तक के समस्त बच्चे,आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत 0-6 वर्ष तक के बच्चे,आंगनबाड़ी केन्द्रों के बाहर के बच्चे,स्वैच्छिक भागीदारी।

- वजन और माप सभी आंगनबाड़ी, पंचायत भवनों, प्राथमिक विद्यालयों पर लिए जाएंगे। स्वस्थ बच्चे की पहचान आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध यंत्र के माध्यम से होगी।

बच्चों का सभी ब्योरा पोषण ट्रेकर पर फीड किया जाएगा।

                   कार्यक्रम का उद्देश्य

- 0-6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना।

- स्वस्थ बच्चों पर कुपोषित बच्चे की तुलना में अधिक ध्यान देना।

- बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण को भावनात्मक स्तर से जोड़ना।

- समुदाय को बच्चों के पोषण के बारे में जागरूक करना।

- बच्चों के पोषण को लेकर अभिभावकों में प्रतिस्पर्धात्मक माहौल तैयार करना।

- बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार की सेवाओं को प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि लाना।

- बच्चों की वृद्धि और विकास की निरंतर निगरानी करना। समय से कुपोषित बच्चों की पहचान करना

- 0-6 वर्ष तक के बच्चों का लंबाई, वजन की माप लेते हुए उनका डेटाबेस तैयार करना।