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बलिया के नरही थाना क्षेत्र का सिकंदरपुर घाट बना गोवंशीय जानवरो की तस्करी का प्रमुख अड्डा,प्रशासन कुम्भकर्णी निद्रा में

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार हर हाल में गोवंशीय पशुओं की तस्करी को रोकने के लिये निरंतर प्रयास कर रही है । लेकिन स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता कहे या कुंभकर्णी निद्रा, अवैध रूप से ऐसे जानवरो की तस्करी करने वालो की सेहत पर कोई असर नही दिख रहा है । नतीजन पुलिस चौकी के पास से ही आधी रात के बाद रोज मोटर चालित नावों के सहारे गंगा नदी के रास्ते गोवंशीय जानवरो की तस्करी अनवरत जारी है और स्थानीय पुलिस अभी यह तय नही कर पायी है कि सिकंदरपुर घाट नरही थाना क्षेत्र में है कि नही ? 

समाजवादी पार्टी के नेता की लिखित शिकायत भी ठंडे बस्ते में



समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष व नरही थाना क्षेत्र के निवासी कुबेर नाथ तिवारी ने गोवंशीय जानवरो की सिकंदरपुर घाट जो नरही थाना क्षेत्र के कोरंटाडीह पुलिस चौकी के क्षेत्र में स्थित है,से हो रही तस्करी को रोकने के लिये जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को लिखित रूप से शिकायती पत्र दिया है, बावजूद इसके नरही पुलिस व सीओ सदर को यह पता ही नही है कि सिकंदरपुर घाट थानाक्षेत्र में है कि नही ?

एक नेता की शिकायत पर कार्यवाही न होना, कही न कही मिलीभगत की तरफ इशारा तो कर ही रह है । आखिर बलिया पुलिस को पशु तस्करों को पकड़ने व तस्करी को रोकने में क्या परेशानी है।

जेल जैसे हाते में रखे जाते है गोवंशीय जानवर


                          वायरल वीडियो

इस समय नरही थाना क्षेत्र का सबसे बड़ा पशु तस्कर एक बनिया है जो सिकंदरपुर घाट को तस्करी का अड्डा बना रखा है । एनएच 31 से सटा इस व्यापारी का जेल से भी ऊंची चहारदीवारी वाला हाता है जिसमे पूरे पूर्वांचल से जानवरो को लाकर रात के अंधेरे में गंगा नदी के सहारे नाव से चौसा (बक्सर बिहार ) भेजने का काम करता है ।

गोआश्रय स्थल सोहांव में अव्यवस्थाओं का जाल




सीएम योगी को अगर  अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल बनाना है तो बलिया के सभी गोआश्रय केंद्रों का सघनता से जांच करानी चाहिये । सीएम साहब आप इसकी उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिये क्योंकि इन स्थलों में रखे गये जानवरो की कागजी उम्र तो बढ़ती जाती है लेकिन विकास 3 साल बाद भी 3 साल पहले जैसा ही दिखता है । यही हालत जनपद के सभी आश्रय स्थलों का है । जानवरो के बड़े होने पर  कागजी तौर पर मृत दिखा दिया जाता है या उनकी जगह पर दूसरे नये जानवरो को लाकर बड़ो को पशु तस्करों के हवाले कर दिया जाता है ।






यानी 3 साल पहले अगर कोई बछड़ा यहां रखा गया है तो वह उसी उम्र, रंग,दांत और हाइट पूर्व की ही रहती है । ऐसा क्यों हो रहा है,इसको कोई बताने वाला नही है । सोहांव के गो आश्रय केंद्र पर अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है । केयर टेकर कब ताला बंद कर के इस आश्रय स्थल से लापता हो जाएगा कोई नही जानता है 

सिकंदरपुर घाट के पास स्थित एक हाता जो एक बड़े जेल जैसा है और इसमें जब भी छापेमारी होगी अवैध रूप से सैकड़ो की तादात में जानवर मिलेंगे ।