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महिला एवं बाल कुपोषण कारण एवं निदान,विषयक वेबिनार में बोले डॉ सिद्धार्थमणि दुबे :शिशु के जीवन का आधार,शुरू के दिन हजार

 




बलिया ।। 2 जुलाई 2021 को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया में महिला अध्ययन केंद्र के अंतर्गत आयोजित वेबीनार"महिला एवं बाल कुपोषण कारण एवं निदान" में मुख्य अतिथि डॉक्टर सिद्धार्थ मणि दुबे,वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ (पी.पी.सी., जिला महिला चिकित्सालय बलिया) द्वारा अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया गया तथा संगोष्ठी में जुड़े समस्त सहभागीयों के प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया गया।

महिला एवं बाल कुपोषण पर आयोजित इस संगोष्ठी में डॉक्टर दुबे ने बताया किसी भी बच्चे के जीवन के शुरू के 1000 दिन (गर्भधारण से जन्म तक के 270 दिन एवं जीवन के प्रथम 2 साल 730 दिन) उस के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। इसी दौरान बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, मानसिक और शारीरिक विकास की आधारशिला तैयार होती है जो पूरे जीवन बच्चे के काम आती है। लेकिन अक्सर कुपोषण के कारण यह आधारशिला कमजोर हो जाती है। इसीलिए पहले 1000 दिनों तक बच्चे की मां और शिशु के पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इस दौरान उपयुक्त पोषण प्रदान करके संक्रमण, विकलांगता, बीमारियों व मृत्यु की संभावना को कम कर के जीवन में विकास की नींव रखी जा सकती है।

डॉक्टर दुबे ने बताया शिशु के जन्म के बाद उसको जल्द से जल्द स्तनपान शुरू कराना चाहिए ताकि मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे को अवश्य पिलाया जा सके। जन्म के बाद शुरू के 6 महीने में बच्चों को सिर्फ स्तनपान कराएं (ऊपर से पानी भी देने की आवश्यकता नहीं है)। इस अवधि में सिर्फ स्तनपान ही शिशु की पोषण संबंधी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है।6 महीने के पश्चात बच्चों के मां के दूध के साथ पूरक  आहार भी देना आवश्यक है ताकि उनका संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति महोदया प्रो. कल्पलता पाण्डेय जी ने किया। अतिथि परिचय डॉक्टर सुचेता प्रकाश जी द्वारा कराया गया।प्रश्नोत्तरी पहर डॉ निवेदिता श्रीवास्तव जी (समन्वयक)ने कराया। संगोष्ठी का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अपराजिता उपाध्याय (टास्क प्रभारी) द्वारा कराया गया।