बड़ा सवाल : जिस अधिकारी पर है एफआईआर ,आज भी वह कुर्सी पर कायम, प्रभारी मंत्री के मीटिंग में कर रहा है सिरकत, बलिया के डीएसओ पर 3/7आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा में दर्ज है एफआईआर, जांच निष्पक्ष कैसे होगी सरकार ?
जिस अधिकारी पर है एफआईआर ,आज भी वह कुर्सी पर कायम, प्रभारी मंत्री के मीटिंग में कर रहा है सिरकत, बलिया के डीएसओ पर 3/7आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा में दर्ज है एफआईआर, जांच निष्पक्ष कैसे होगी सरकार
मधुसूदन सिंह
बलिया 28 अक्टूबर 2019 ।। छीके की रखवाली बिल्ली से , यह कहावत आजकल बलिया जनपद में चरितार्थ हो रही है । यहां जिस अधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण एफआईआर दर्ज है , वही अधिकारी आज भी अपने पद पर रहकर जांच में सहयोग कर रहा है ? जांच का परिणाम क्या होगा खुद सोचिये ?
आम आदमी पर एफआईआर होती है तो पुलिस कितनी तत्परता के साथ उसकी गिरफ्तारी करती है , गिरफ्तारी में लग जाती है लेकिन अगर यही किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ f.i.r. हो जाती है तो वहीं पुलिस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल देती है । जी हां ,हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद की जहां वर्तमान डीएसओ कृष्ण गोपाल पांडेय के ऊपर माननीय एसीजीएम द्वितीय के न्यायालय से आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद , वर्तमान डीएसओ आज तक अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं और यही नहीं खुलेआम सरकारी मीटिंग में शिरकत करते हैं, प्रभारी मंत्री की सभाओं में जाकर जवाब देते हैं लेकिन इनकी गिरफ्तारी या इनके कार्यों पर कोई रोक लगाने वाला नहीं है ।
जिस अधिकारी पर 3 / 7 आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा में मुकदमा दर्ज हो अगर वही अधिकारी जिले की खाद्यान व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाले तो इससे बड़ी हास्यास्पद स्थिति और क्या हो सकती है । बता दे कि जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय की मिलीभगत से ग्रामसभा पटखौली में कोटेदार के द्वारा प्रतिमाह लगभग 50 कुंटल अधिक खाद्यान्न का उठान करके उसकी कालाबाजारी करने की शिकायत ग्राम सभा के अवधेश शर्मा पुत्र स्व चन्द्रदेव शर्मा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने डीएसओ बलिया से लगायत सभी उच्चाधिकारियों से की थी । ग्रामीणों द्वारा अपनी शिकायतों में सूचना के अधिकार के अनुसार प्राप्त सबूतों को लगाया , फिर भी जब कोई कार्यवाही नही हुई तो थक हारकर ग्रामीणों द्वारा इस घोटाले को रोकने के लिये माननीय न्यायालय की शरण लेनी पड़ी , जहां से पिछले 2016 से हो रही खाद्यान्न कालाबाजारी को रोकने के लिये 2016 से लेकर वर्तमान समय के डीएसओ, निरीक्षकों और कोटेदार पर दफा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत करने के लिये थाना सुखपुरा बलिया को आदेशित किया गया ।
वही मिली जानकारी के अनुसार कोटेदार ने माननीय न्यायालय से सम्भवतः अग्रिम जमानत ले ली है और अपना व्यापार चालू रखा है । हां, इस शिकायत के बाद अंतर यह हुआ है कि कोटेदार को अब 50 कुंतल कम खाद्यान्न मिल रहा है । अब सवाल यह उठ रहा है कि मात्र कोटेदार के आवंटित खाद्यान्न के कोटे से 50 कुंतल कम कर देने से पिछले वर्षों से जो खाद्यान्न घोटाला सब की मिलीभगत से हो रहा था उसके पाप धूल गये ? क्या इस कोटेदार द्वारा 2016 से 2019 तक किये गये लगभग 18000 कुंतल खाद्यान्न को गलत तरीके से उठाकर कालाबाजारी की गई ,वह खत्म हो गया ? जिनकी सरपरस्ती में यह सारा खेल हुआ , अगर वे आज भी उसी कुर्सी पर मौजूद है तो क्या इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो पायेगी ?
बता दे कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ग्रामीणों को जो सूचना मिली है, उसके अनुसार इस ग्राम सभा में कुल 315 ही परिवार है । जबकि कोटेदार द्वारा अंत्योदय कार्ड की संख्या 111 और पात्र गृहस्थी की संख्या 485 कुल 596 परिवार दिखाकर पिछले कई वर्षों से 1559 यूनिट का राशन उठाकर जबरदस्त कालाबाजारी की जाती रही है । यही नही कोटेदार की ग्रामीणों द्वारा शिकायत की गयी तो पूर्ति निरीक्षक ने छापेमारी की तो कोटेदार के यहां 21 कुंतल खाद्यान्न कम पाया गया था फिर भी इसके खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय जिलापूर्ति कार्यालय बचाने में लगा रहा । शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया है पात्र गृहस्थी कार्डो की 1559 यूनिट पर शासनादेश के अनुरूप प्रति यूनिट 5 किग्रा की दर से 77.95कुंतल ही खाद्यान्न मिलने चाहिये पर इस कोटेदार द्वारा 128.05 कुंतल खाद्यान्न विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से निकाला जाता रहा । अब जब 27 जुलाई 2019 को माननीय न्यायालय के आदेश पर सुखपुरा थाने पर एफआईआर दर्ज हो गयी है , जांच चल रही है , ऐसे में आरोपित डीएसओ कृष्ण गोपाल पांडेय का पद पर बने रहना निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकता है । ग्राम सभा नगरी पटखौली के ग्रामीण एकबार फिर अपनी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को धार देने में लगे हुए है । इन लोगो का तो यहां तक कहना है कि नगरी पटखौली ग्राम सभा मे हुआ यह खाद्यान्न घोटाला तो बानगी भर है और निष्पक्ष तरीके से जिलापूर्ति कार्यालय से जितनी यूनिटों का राशन कोटेदारों को दिया जा रहा है , अगर उसकी जांच वहां के परिवारों की संख्या से मिलकर के किया जाय तो अरबो रुपये का खाद्यान्न घोटाले का यूनिट वाला जिन्न बाहर निकल आएगा ।
मधुसूदन सिंह
बलिया 28 अक्टूबर 2019 ।। छीके की रखवाली बिल्ली से , यह कहावत आजकल बलिया जनपद में चरितार्थ हो रही है । यहां जिस अधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण एफआईआर दर्ज है , वही अधिकारी आज भी अपने पद पर रहकर जांच में सहयोग कर रहा है ? जांच का परिणाम क्या होगा खुद सोचिये ?
आम आदमी पर एफआईआर होती है तो पुलिस कितनी तत्परता के साथ उसकी गिरफ्तारी करती है , गिरफ्तारी में लग जाती है लेकिन अगर यही किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ f.i.r. हो जाती है तो वहीं पुलिस कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल देती है । जी हां ,हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद की जहां वर्तमान डीएसओ कृष्ण गोपाल पांडेय के ऊपर माननीय एसीजीएम द्वितीय के न्यायालय से आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद , वर्तमान डीएसओ आज तक अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं और यही नहीं खुलेआम सरकारी मीटिंग में शिरकत करते हैं, प्रभारी मंत्री की सभाओं में जाकर जवाब देते हैं लेकिन इनकी गिरफ्तारी या इनके कार्यों पर कोई रोक लगाने वाला नहीं है ।
जिस अधिकारी पर 3 / 7 आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा में मुकदमा दर्ज हो अगर वही अधिकारी जिले की खाद्यान व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाले तो इससे बड़ी हास्यास्पद स्थिति और क्या हो सकती है । बता दे कि जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय की मिलीभगत से ग्रामसभा पटखौली में कोटेदार के द्वारा प्रतिमाह लगभग 50 कुंटल अधिक खाद्यान्न का उठान करके उसकी कालाबाजारी करने की शिकायत ग्राम सभा के अवधेश शर्मा पुत्र स्व चन्द्रदेव शर्मा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने डीएसओ बलिया से लगायत सभी उच्चाधिकारियों से की थी । ग्रामीणों द्वारा अपनी शिकायतों में सूचना के अधिकार के अनुसार प्राप्त सबूतों को लगाया , फिर भी जब कोई कार्यवाही नही हुई तो थक हारकर ग्रामीणों द्वारा इस घोटाले को रोकने के लिये माननीय न्यायालय की शरण लेनी पड़ी , जहां से पिछले 2016 से हो रही खाद्यान्न कालाबाजारी को रोकने के लिये 2016 से लेकर वर्तमान समय के डीएसओ, निरीक्षकों और कोटेदार पर दफा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत करने के लिये थाना सुखपुरा बलिया को आदेशित किया गया ।
वही मिली जानकारी के अनुसार कोटेदार ने माननीय न्यायालय से सम्भवतः अग्रिम जमानत ले ली है और अपना व्यापार चालू रखा है । हां, इस शिकायत के बाद अंतर यह हुआ है कि कोटेदार को अब 50 कुंतल कम खाद्यान्न मिल रहा है । अब सवाल यह उठ रहा है कि मात्र कोटेदार के आवंटित खाद्यान्न के कोटे से 50 कुंतल कम कर देने से पिछले वर्षों से जो खाद्यान्न घोटाला सब की मिलीभगत से हो रहा था उसके पाप धूल गये ? क्या इस कोटेदार द्वारा 2016 से 2019 तक किये गये लगभग 18000 कुंतल खाद्यान्न को गलत तरीके से उठाकर कालाबाजारी की गई ,वह खत्म हो गया ? जिनकी सरपरस्ती में यह सारा खेल हुआ , अगर वे आज भी उसी कुर्सी पर मौजूद है तो क्या इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो पायेगी ?
बता दे कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ग्रामीणों को जो सूचना मिली है, उसके अनुसार इस ग्राम सभा में कुल 315 ही परिवार है । जबकि कोटेदार द्वारा अंत्योदय कार्ड की संख्या 111 और पात्र गृहस्थी की संख्या 485 कुल 596 परिवार दिखाकर पिछले कई वर्षों से 1559 यूनिट का राशन उठाकर जबरदस्त कालाबाजारी की जाती रही है । यही नही कोटेदार की ग्रामीणों द्वारा शिकायत की गयी तो पूर्ति निरीक्षक ने छापेमारी की तो कोटेदार के यहां 21 कुंतल खाद्यान्न कम पाया गया था फिर भी इसके खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय जिलापूर्ति कार्यालय बचाने में लगा रहा । शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया है पात्र गृहस्थी कार्डो की 1559 यूनिट पर शासनादेश के अनुरूप प्रति यूनिट 5 किग्रा की दर से 77.95कुंतल ही खाद्यान्न मिलने चाहिये पर इस कोटेदार द्वारा 128.05 कुंतल खाद्यान्न विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से निकाला जाता रहा । अब जब 27 जुलाई 2019 को माननीय न्यायालय के आदेश पर सुखपुरा थाने पर एफआईआर दर्ज हो गयी है , जांच चल रही है , ऐसे में आरोपित डीएसओ कृष्ण गोपाल पांडेय का पद पर बने रहना निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकता है । ग्राम सभा नगरी पटखौली के ग्रामीण एकबार फिर अपनी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को धार देने में लगे हुए है । इन लोगो का तो यहां तक कहना है कि नगरी पटखौली ग्राम सभा मे हुआ यह खाद्यान्न घोटाला तो बानगी भर है और निष्पक्ष तरीके से जिलापूर्ति कार्यालय से जितनी यूनिटों का राशन कोटेदारों को दिया जा रहा है , अगर उसकी जांच वहां के परिवारों की संख्या से मिलकर के किया जाय तो अरबो रुपये का खाद्यान्न घोटाले का यूनिट वाला जिन्न बाहर निकल आएगा ।