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गोरखपुर : विभागीय जांच में डॉ कफील निर्दोष साबित : बोले डॉ कफील 100 - 100 रुपये के लिये मोहताज हो गया था मेरा परिवार , न्याय मिलने से अब मिली है राहत

विभागीय जांच में डॉ कफील निर्दोष साबित : बोले डॉ कफील 100 - 100 रुपये के लिये मोहताज हो गया था मेरा परिवार , न्याय मिलने से अब मिली है राहत
ए कुमार

गोरखपुर 27 सितम्बर 2019 ।।  गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में आरोपी बनाए गए बाल रोग विशेषज्ञ निलंबित डॉ. कफील खान को विभागीय जांच में क्लीन चिट मिल गई है। तत्कालीन प्रमुख सचिव स्टांप हिमांशु कुमार को पूरे मामले की विभागीय जांच करने के लिए जांच अधिकारी बनाया गया था। लंबे समय से चल रही जांच के बाद लगभग एक महीने पहले ही शासन को रिपोर्ट सौंप दी गई थी। क्लीन चिट मिलने के बाद डॉ कफील ने पिछले ढाई वर्षो में जो उनके और परिवार पर आफत आयी उसके लिये पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को जिम्मेदार बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की । भावुक होते हुए डॉ कफील ने कहा कि जब मै जेल से घर आया तो मेरी छोटी बच्ची मुझे पहचान भी नही पायी, मेरे भाई पर जानलेवा हमला हुआ , मेरा परिवार 100-100रुपये के लिये मोहताज हो गया था । मुझे बर्बाद करने की साजिश थी जिसकी मैं सीबीआई जांच कराने की मांग करता हूँ । 

बता दें कि दो साल पहले मेडिकल कॉलेज में 10 से 12  अगस्त के बीच 100 बेड के वॉर्ड में लगभग 70 बच्चों की मौत हो गई थी। इसे ऑक्सीजन त्रासदी का नाम दिया गया था। जांच में पाया गया कि ऑक्सीजन की मात्रा लगभग खत्म के बराबर थी और इस वजह से हादसा इतना बड़ा हो गया।

प्रथम दृष्टया जांच में पूर्व प्राचार्य, डॉ. कफील खान, डॉ. सतीश समेत बीआरडी के पांच व एक ऑक्सीजन वितरक मनीष भंडारी को अपनी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही निभाने का दोषी पाया गया। इसके बाद 22 अगस्त को डॉ कफील को निलंबित कर दिया गया।

इस दौरान करीब 9 महीने उन्होंने जेल भी काटी। डॉ कफील के खिलाफ मेडिकल कॉलेज में लापरवाही निभाने के आरोपों की जांच के दौरान जांच अधिकारी को डॉ कफील की लापरवाही किसी तरह भी नहीं मिली। इसी आधार पर उन्होंने 18 अप्रैल 2019 को शासन को रिपोर्ट भेज कर डॉ. कफील को निर्दोष बताया था। हालांकि रिपोर्ट को चार महीने से अधिक समय तक दबाकर रखा गया। रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज प्रशासन से लेकर अन्य जिम्मेदारों के पास भेज दिया गया है।

कब क्या हुआ : 

  • गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई.
  • अखबारों और सोशल मीडिया में डॉ कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई.
  • 22 अगस्त को डॉ. कफील को लापरवाही बरतने और तमाम गड़बड़ियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया.
  • 2 सितंबर 2017 को डॉक्टर कफील को जेल भेज दिया गया.
  • 25 अप्रैल 2018 को 8 महीने बाद डॉ. कफील को जमानत मिल गई.
  • मार्च 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि डॉ. कफील की जांच पूरी होने के बाद 90 दिन के अंदर उनको सौंपी जाए.
  • यह जांच रिपोर्ट 18 अप्रैल 2019 को आ गई थी. लेकिन डॉ. कफील को 26 सितंबर को दी गई ।