Home
/
Unlabelled
/
अगर अमेरिका ने 49 साल पुरानी जीरो टैरिफ पॉलिसी से भारत को हटाया तो कितना होगा व्यापारिक नुकसान ?
अगर अमेरिका ने 49 साल पुरानी जीरो टैरिफ पॉलिसी से भारत को हटाया तो कितना होगा व्यापारिक नुकसान ?
अमेरिकी सरकार कर रही तैयारी

9 फरवरी 2019 ।।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जारी ट्रेड वॉर से अब भारत के छोटे कारोबारियों पर भी असर पड़ेगा. अमेरिका, भारत को ड्यूटी फ्री एक्सेस पॉलिसी वापस से बाहर करने की तैयारी कर रही है. ऐसा करने पर भारत के करीब 2000 इंडियन प्रोडक्ट को बनाने वाले कारोबारियों को बड़ा नुकसान होगा. आपको बता दें कि 1970 में अमेरिका ने भारत को इस पॉलिसी में शामिल किया था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले से ज्वैलर्स को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. भारत अमेरिका को 39897 करोड़ रुपये (560 करोड़ डॉलर) का निर्यात जीरो टैरिफ पर करता है ।अगर भारत इस स्कीम से बाहर होता है तो यह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बड़े इकोनॉमी वाले देशों के साथ घाटे को पाटने के लिए सबसे बड़ी कार्रवाई होगी.
भारत और अमेरिका के बीच 2017 में करीब 8,97,619 करोड़ रुपये (12,600 करोड़ डॉलर) का व्यापार हुआ था. अगले हफ्ते अमेरिका का कॉमर्स सेक्रेटरी विल्बर रॉस भारत आने वाले हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि वह भारत से ई-कॉमर्स व डेटा लोकलाइजेशन पर बातचीत करेंगे.
भारत और अमेरिका के बीच 2017 में करीब 8,97,619 करोड़ रुपये (12,600 करोड़ डॉलर) का व्यापार हुआ था. अगले हफ्ते अमेरिका का कॉमर्स सेक्रेटरी विल्बर रॉस भारत आने वाले हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि वह भारत से ई-कॉमर्स व डेटा लोकलाइजेशन पर बातचीत करेंगे.
छोटे कारोबारियों को होगा बड़ा नुकसान-
>> अगर अमेरिका करीब 2000 इंडियन प्रॉडक्ट लाइंस को ड्यूटी फ्री एक्सेस से हटा देता है तो इससे भारत के छोटे कारोबारियों को अधिक नुकसान होगा.
>> एक संभावना यह भी है कि ड्यूटी फ्री एक्सेस गुड्स की संख्या कम की जा सकती है या इसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है.
>> अभी इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत चल रही है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी बातचीत में ई-कॉमर्स को भी शामिल कर लिया है जो भारतीय नीतियों से राहत की उम्मीद में लॉबिंग कर रही हैं.
>> अगर दोनों पक्षों की बातचीत सफल नहीं होती है और दोनों देशों के बीच जीरो टैरिफ ट्रेड शुरू होता है तो इसका सबसे अधिक नुकसान भारत को झेलना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी उत्पाद भी बिना टैरिफ के भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगे और भारतीय कारोबारी इससे प्रभावित होंगे.
क्या है जीरो टैरिफ पॉलिसी
>> एक संभावना यह भी है कि ड्यूटी फ्री एक्सेस गुड्स की संख्या कम की जा सकती है या इसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है.
>> अभी इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत चल रही है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी बातचीत में ई-कॉमर्स को भी शामिल कर लिया है जो भारतीय नीतियों से राहत की उम्मीद में लॉबिंग कर रही हैं.
>> अगर दोनों पक्षों की बातचीत सफल नहीं होती है और दोनों देशों के बीच जीरो टैरिफ ट्रेड शुरू होता है तो इसका सबसे अधिक नुकसान भारत को झेलना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी उत्पाद भी बिना टैरिफ के भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगे और भारतीय कारोबारी इससे प्रभावित होंगे.
क्या है जीरो टैरिफ पॉलिसी
भारत अमेरिका की Generalised System of Preferences (GSP) का हिस्सा है जिसके तहत उसे टैरिफ पर छूट मिलती है. इसकी शुरुआत पिछली सदी के 70 के दशक में हुई थी और इससे भारत को सबसे बड़ा फायदा होता है.
भारत की सख्त पॉलिसी का असर!
>> केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को एक्सक्लूसिव डील्स से बैन करने की घोषणा की थी.
>> इसके तहत ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे कंपनियों के उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकती हैं जिसमें उनकी हिस्सेदारी हो और एक सीमा से अधिक डिस्काउंट देने से भी बैन करने की घोषणा की थी.
>> इसके खिलाफ अमेजन और वालमार्ट ने अमेरिकी सरकार से गुहार लगाई थी. हालांकि भारत सरकार का कहना है कि यह पॉलिसी देश में हेल्दी कंपटीशन के लिए लाई गई है और इससे छोटे कारोबारियों के हित जुड़े हुए हैं.
>> इसके अलावा पिछले साल भारत ने सभी विदेशी कंपनियों को यूजर डेटा को देश में ही रखने के लिए ही नियम बनाया. इसके खिलाफ भी अमेरिका में लाबिंग हुई थी.
भारत की सख्त पॉलिसी का असर!
>> केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को एक्सक्लूसिव डील्स से बैन करने की घोषणा की थी.
>> इसके तहत ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे कंपनियों के उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकती हैं जिसमें उनकी हिस्सेदारी हो और एक सीमा से अधिक डिस्काउंट देने से भी बैन करने की घोषणा की थी.
>> इसके खिलाफ अमेजन और वालमार्ट ने अमेरिकी सरकार से गुहार लगाई थी. हालांकि भारत सरकार का कहना है कि यह पॉलिसी देश में हेल्दी कंपटीशन के लिए लाई गई है और इससे छोटे कारोबारियों के हित जुड़े हुए हैं.
>> इसके अलावा पिछले साल भारत ने सभी विदेशी कंपनियों को यूजर डेटा को देश में ही रखने के लिए ही नियम बनाया. इसके खिलाफ भी अमेरिका में लाबिंग हुई थी.
अगर अमेरिका ने 49 साल पुरानी जीरो टैरिफ पॉलिसी से भारत को हटाया तो कितना होगा व्यापारिक नुकसान ?
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
February 09, 2019
Rating: 5
