नगर पालिका बलिया : जहां शासनादेशों /उच्चाधिकारियों के आदेशों का होता है चीरहरण , अध्यक्ष और ईओ को शासन सत्ता का तनिक भी नही खौफ ,आईजीआरएस की शिकायत को तो मानते है ददरी मेला के सर्कस वाले जोकर का डायलॉग ,डीएम से लेकर प्रमुख सचिव नगर विकास भी असहाय
नगर पालिका बलिया : जहां शासनादेशों /उच्चाधिकारियों के आदेशों का होता है चीरहरण
अध्यक्ष और ईओ को शासन सत्ता का तनिक भी नही खौफ
आईजीआरएस की शिकायत को तो मानते है ददरी मेला के सर्कस वाले जोकर का डायलॉग
डीएम से लेकर प्रमुख सचिव नगर विकास भी असहाय
मधुसूदन सिंह
बलिया 9 जनवरी 2019 ।। अगर आपको शासनादेशों का , उच्चाधिकारियों के आदेशों का चीरहरण देखना है तो आइये मारे शहर बलिया ! जहां आपको डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की कही गयी बात "बलिया जिला नही देश है" शत प्रतिशत सच साबित होती दिखेगी । जी हां, हम बात कर रहे है बलिया नगर पालिका में शासनादेशों के खिलाफ आदेश करने और भ्रष्टाचार को प्रश्रय और फलने फूलने के लिये उर्वरक डालने वाले अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी और ईओ डीके विश्वकर्मा की । इन दोनों लोगो के सामने शासनादेशों का कोई वजूद नही है ,ये अपनी मर्जी से नियम बनाते है , आदेश करते है लेकिन उच्चाधिकारियों के आदेशों को बारीकी से चीरहरण करके तारतार करते हुए निर्विघ्न रूप से अपने काम मे व्यस्त है । आइये हम बताते है कि कैसे ये दोनों लोग शासनादेशों का चीरहरण करके शासन सत्ता को गुमराह कर रहे है ---
-कारण एक- प्रदेश के मुखिया सीएम योगी से 26 दिसम्बर 2017 को एक लिखित शिकायत की गयी कि बलिया नगर पालिका में दशकों से जमे हुए बाबुओं के पटल आजतक नही बदले गये है जो शासनादेश के खिलाफ है । मुख्यमंत्री कार्यालय से इस शिकायत को आईजीआरएस के पोर्टल पर लोड करके कार्यवाई करने का आदेश दिया गया लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आजतक किसी का वास्तव में पटल परिवर्तन हुआ ही नही है । उदाहरण के तौर पर आईजीआरएस संख्या 40019318012073, 40019318026123, 40019318011322, 40019318003378 के निस्तारण को ही ले जिसके जबाब में ईओ डीके विश्वकर्मा ने लिखित रूप से शासन को भेजा है कि सभी बाबुओं का पटल परिवर्तन शासनादेश के अनुरूप कर दिया गया है जबकि ऐसा हुआ नही है । इनको आईजीआरएस की शिकायतों में हुुुए ऊपरी
आदेश सर्कस के जोकर के कहे गये गंभीर कमेंट की तरह लगते है जो लोग हंस कर टाल देते है । इनके ऊपर न तो डीएम का , न कमिश्नर का, न प्रमुख सचिव नगर विकास का , न ही शासन के आईजीआरएस के द्वारा आये आदेश का ही खौफ है ।आइये इस बात को नगर पालिका परिषद बलिया के द्वारा समय समय पर जारी आदेशो से समझाते है। नगर पालिका परिषद बलिया के लोकप्रिय(ऐसे समाजसेवी जो चुनाव से पहले समाज सेवा में व्यस्त रहते थे , अध्यक्ष बनने के बाद दुनियादारी में व्यस्त होकर लोकप्रिय है) अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी के 24 जुलाई 2018 के आदेश की जिसके द्वारा 12 बाबुओं के पटल बदले गये थे । नगर पालिका के आदेश संख्या 525/ न पा प बलिया दिनांक 24 जुलाई 2018 के अनुसार तत्काल प्रभाव से आईजीआरएस पोर्टल के दबाव पड़ने पर 12 बाबुओं के पटल बदल दिये गये (सिर्फ कागजो में) । इसमें साफ लिखा गया है कि यह आदेश नगर निकाय अनुभाग-4 के पत्र संख्या 1629/नौ-4-18-18ज/2018 लखनऊ दिनांक 17 मई 2018 द्वारा कार्मिक विभाग द्वारा प्राधिकारियों/कर्मचारियों की वार्षिक स्थानांतरण के सम्बंध में आप सभी समूह "ग" के कर्मियों को आदेशित किया जाता है कि 15 दिन के अंदर चार्ज लिस्ट बनाकर चार्ज का आदान प्रदान सुनिश्चित करे , इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नही है । इस आदेश की कॉपी जिलाधिकारी बलिया और एडीएम/प्रभारी नगर निकाय को भी प्रेषित है । यही नही मेरे शिकायत के क्रम में भी आईजीआरएस में भी यही रिपोर्ट भेज दी गयी कि पटल परिवर्तन कर दिया गया है । लेकिन यह आदेश लागू नही हो पाया और सभी लोग अध्यक्ष और ईओ की मेहरबानी से "सैय्या भये कोतवाल अब डर काहे का " की तर्ज पर पूर्वत कार्य कर रहे है । इसी बीच एक बाबू के लिये अधिशाषी अधिकारी ने पत्रांक 899/न पा प बलिया दिनांक 27 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी किया कि 24 जुलाई 2018 के आदेश में जो पटल आपको आवंटित था उसके साथ ही अभिलेख लिपिक का भी दायित्व प्रशासनिक हित मे दिया जाता है , आप इसको भी प्रतिपादित करना सुनिश्चित करे । लेकिन अधिशाषी अधिकारी ने यह जानने का प्रयास ही नही किया कि 24 जुलाई 2018 के आदेश के क्रम में पटल परिवर्तन हुआ है कि नही ? सबसे हास्यास्पद और दिलचस्प स्थिति अध्यक्ष नगर पालिका के आदेश दिनांक 4 जनवरी 2019 , पत्रांक 1051/न पा प बलिया से उतपन्न हुई है जिसमे अध्यक्ष ने माना है कि कुछ लोगो द्वारा तथ्यों को छुपाकर मुझसे आदेश दिनांक 12 दिसम्बर 2018 कराया गया था , वह शासनादेश के विरुद्ध होने के कारण मेरे द्वारा निरस्त किया जाता है और 24 जुलाई 2018 के आदेश के अनुरूप ही स्थानांतरण को प्रभावी किया जाता है । इस आदेश से स्पष्ट हो जाता है कि लगभग आधा दर्जन बार आईजीआरएस की शिकायतों और शासनादेशों के वावजूद आजतक बाबुओं का पटल न बदला जाना , शासन को गुमराह करने के लिये कागजी पटल परिवर्तन का आदेश भेजना , यह साबित करता है कि बलिया नगर पालिका पर उत्तर प्रदेश सरकार या शासन का लगता है नियंत्रण नही है तभी तो ऐसा हो रहा है ।
कारण 2 : पिछले चार माह से अधिक समय से आनंद नगर मुहल्ले की जाम नाली को साफ कराने के लिये जिलाधिकारी , कमिश्नर , नोडल अधिकारी डॉ संतोष राय से लेकर आईजीआरएस पोर्टल तक शिकायत करने के वावजूद अगर सफाई नही हो पा रही है और आईजीआरएस में यह रिपोर्ट की सफाई कार्य कराया जा रहा है (झूठी रिपोर्ट) भेजकर निस्तारण करा दिया जाता है और कार्य हुआ है कि नही इसकी कोई जांच कोई करने वाला अधिकारी नही है , तो क्या कहा जाए ?
तीसरा कारण : मार्च 2018 में माननीय प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपनी समीक्षा के दौरान स्पष्ट रूप से कहे थे कि बलिया में गंगा जी को प्रदूषणमुक्त करने के लिये कटहर नाले के गन्दे पानी को गंगा जी मे जाने से तत्काल रोका जाए । ईओ ने भी तत्काल जल निगम को चिट्ठी भेजकर गन्दे पानी को रोकने के लिये कार्य योजना बनाने का निवेदन करके यही कथन आईजीआरएस की शिकायत में लगाकर शिकायत का तो निस्तारण करा दिया लेकिन कटहर नाले के गन्दे पानी के मिलने के कारण बलिया में आज भी गंगा मैली ही है । अफसोस इस बात का है कि पीएम मोदी और सीएम योगी की गंगा जी को स्वच्छ करने की मुहिम को बलिया के न तो प्रभारी मंत्री ने , न ही जिलाधिकारी ने , न ही नोडल अधिकारी ने , न ही जनपद के मंत्री उपेंद्र तिवारी , सदर विधायक आनन्द स्वरूप शुक्ल ने , न ही सांसद भरत सिंह ने सफल करने के लिये कोई प्रयास नही किया , न ही नगर पालिका पर दबाव ही बनाया जिससे गंगा जी मे गन्दा पानी जाने से रुक जाए ।
ऐसी कई मनमानियों जैसे मेला में व्यापारियों से जीएसटी की वसूली करने के वावजूद इस टैक्स को अब तक जमा न करना आदि विसंगतियां है जो यह चीख चीख कर अध्यक्ष और ईओ के निरंकुश होने , शासनादेशों के उलंघन करने , उच्चाधिकारियों के आदेशों को गुमराह करके कुंद करने के उदाहरणों से यह कहने में कोई गुरेज नही है कि नगर पालिका बलिया में शासनादेशों और उच्चाधिकारियों के आदेशों का मन से चीरहरण होने के वावजूद योगी सरकार में भी इनको रोकने वाला कोई नही है ।
अध्यक्ष और ईओ को शासन सत्ता का तनिक भी नही खौफ
आईजीआरएस की शिकायत को तो मानते है ददरी मेला के सर्कस वाले जोकर का डायलॉग
डीएम से लेकर प्रमुख सचिव नगर विकास भी असहाय
मधुसूदन सिंह
बलिया 9 जनवरी 2019 ।। अगर आपको शासनादेशों का , उच्चाधिकारियों के आदेशों का चीरहरण देखना है तो आइये मारे शहर बलिया ! जहां आपको डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की कही गयी बात "बलिया जिला नही देश है" शत प्रतिशत सच साबित होती दिखेगी । जी हां, हम बात कर रहे है बलिया नगर पालिका में शासनादेशों के खिलाफ आदेश करने और भ्रष्टाचार को प्रश्रय और फलने फूलने के लिये उर्वरक डालने वाले अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी और ईओ डीके विश्वकर्मा की । इन दोनों लोगो के सामने शासनादेशों का कोई वजूद नही है ,ये अपनी मर्जी से नियम बनाते है , आदेश करते है लेकिन उच्चाधिकारियों के आदेशों को बारीकी से चीरहरण करके तारतार करते हुए निर्विघ्न रूप से अपने काम मे व्यस्त है । आइये हम बताते है कि कैसे ये दोनों लोग शासनादेशों का चीरहरण करके शासन सत्ता को गुमराह कर रहे है ---
-कारण एक- प्रदेश के मुखिया सीएम योगी से 26 दिसम्बर 2017 को एक लिखित शिकायत की गयी कि बलिया नगर पालिका में दशकों से जमे हुए बाबुओं के पटल आजतक नही बदले गये है जो शासनादेश के खिलाफ है । मुख्यमंत्री कार्यालय से इस शिकायत को आईजीआरएस के पोर्टल पर लोड करके कार्यवाई करने का आदेश दिया गया लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आजतक किसी का वास्तव में पटल परिवर्तन हुआ ही नही है । उदाहरण के तौर पर आईजीआरएस संख्या 40019318012073, 40019318026123, 40019318011322, 40019318003378 के निस्तारण को ही ले जिसके जबाब में ईओ डीके विश्वकर्मा ने लिखित रूप से शासन को भेजा है कि सभी बाबुओं का पटल परिवर्तन शासनादेश के अनुरूप कर दिया गया है जबकि ऐसा हुआ नही है । इनको आईजीआरएस की शिकायतों में हुुुए ऊपरी
आदेश सर्कस के जोकर के कहे गये गंभीर कमेंट की तरह लगते है जो लोग हंस कर टाल देते है । इनके ऊपर न तो डीएम का , न कमिश्नर का, न प्रमुख सचिव नगर विकास का , न ही शासन के आईजीआरएस के द्वारा आये आदेश का ही खौफ है ।आइये इस बात को नगर पालिका परिषद बलिया के द्वारा समय समय पर जारी आदेशो से समझाते है। नगर पालिका परिषद बलिया के लोकप्रिय(ऐसे समाजसेवी जो चुनाव से पहले समाज सेवा में व्यस्त रहते थे , अध्यक्ष बनने के बाद दुनियादारी में व्यस्त होकर लोकप्रिय है) अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी के 24 जुलाई 2018 के आदेश की जिसके द्वारा 12 बाबुओं के पटल बदले गये थे । नगर पालिका के आदेश संख्या 525/ न पा प बलिया दिनांक 24 जुलाई 2018 के अनुसार तत्काल प्रभाव से आईजीआरएस पोर्टल के दबाव पड़ने पर 12 बाबुओं के पटल बदल दिये गये (सिर्फ कागजो में) । इसमें साफ लिखा गया है कि यह आदेश नगर निकाय अनुभाग-4 के पत्र संख्या 1629/नौ-4-18-18ज/2018 लखनऊ दिनांक 17 मई 2018 द्वारा कार्मिक विभाग द्वारा प्राधिकारियों/कर्मचारियों की वार्षिक स्थानांतरण के सम्बंध में आप सभी समूह "ग" के कर्मियों को आदेशित किया जाता है कि 15 दिन के अंदर चार्ज लिस्ट बनाकर चार्ज का आदान प्रदान सुनिश्चित करे , इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नही है । इस आदेश की कॉपी जिलाधिकारी बलिया और एडीएम/प्रभारी नगर निकाय को भी प्रेषित है । यही नही मेरे शिकायत के क्रम में भी आईजीआरएस में भी यही रिपोर्ट भेज दी गयी कि पटल परिवर्तन कर दिया गया है । लेकिन यह आदेश लागू नही हो पाया और सभी लोग अध्यक्ष और ईओ की मेहरबानी से "सैय्या भये कोतवाल अब डर काहे का " की तर्ज पर पूर्वत कार्य कर रहे है । इसी बीच एक बाबू के लिये अधिशाषी अधिकारी ने पत्रांक 899/न पा प बलिया दिनांक 27 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी किया कि 24 जुलाई 2018 के आदेश में जो पटल आपको आवंटित था उसके साथ ही अभिलेख लिपिक का भी दायित्व प्रशासनिक हित मे दिया जाता है , आप इसको भी प्रतिपादित करना सुनिश्चित करे । लेकिन अधिशाषी अधिकारी ने यह जानने का प्रयास ही नही किया कि 24 जुलाई 2018 के आदेश के क्रम में पटल परिवर्तन हुआ है कि नही ? सबसे हास्यास्पद और दिलचस्प स्थिति अध्यक्ष नगर पालिका के आदेश दिनांक 4 जनवरी 2019 , पत्रांक 1051/न पा प बलिया से उतपन्न हुई है जिसमे अध्यक्ष ने माना है कि कुछ लोगो द्वारा तथ्यों को छुपाकर मुझसे आदेश दिनांक 12 दिसम्बर 2018 कराया गया था , वह शासनादेश के विरुद्ध होने के कारण मेरे द्वारा निरस्त किया जाता है और 24 जुलाई 2018 के आदेश के अनुरूप ही स्थानांतरण को प्रभावी किया जाता है । इस आदेश से स्पष्ट हो जाता है कि लगभग आधा दर्जन बार आईजीआरएस की शिकायतों और शासनादेशों के वावजूद आजतक बाबुओं का पटल न बदला जाना , शासन को गुमराह करने के लिये कागजी पटल परिवर्तन का आदेश भेजना , यह साबित करता है कि बलिया नगर पालिका पर उत्तर प्रदेश सरकार या शासन का लगता है नियंत्रण नही है तभी तो ऐसा हो रहा है ।
कारण 2 : पिछले चार माह से अधिक समय से आनंद नगर मुहल्ले की जाम नाली को साफ कराने के लिये जिलाधिकारी , कमिश्नर , नोडल अधिकारी डॉ संतोष राय से लेकर आईजीआरएस पोर्टल तक शिकायत करने के वावजूद अगर सफाई नही हो पा रही है और आईजीआरएस में यह रिपोर्ट की सफाई कार्य कराया जा रहा है (झूठी रिपोर्ट) भेजकर निस्तारण करा दिया जाता है और कार्य हुआ है कि नही इसकी कोई जांच कोई करने वाला अधिकारी नही है , तो क्या कहा जाए ?
तीसरा कारण : मार्च 2018 में माननीय प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपनी समीक्षा के दौरान स्पष्ट रूप से कहे थे कि बलिया में गंगा जी को प्रदूषणमुक्त करने के लिये कटहर नाले के गन्दे पानी को गंगा जी मे जाने से तत्काल रोका जाए । ईओ ने भी तत्काल जल निगम को चिट्ठी भेजकर गन्दे पानी को रोकने के लिये कार्य योजना बनाने का निवेदन करके यही कथन आईजीआरएस की शिकायत में लगाकर शिकायत का तो निस्तारण करा दिया लेकिन कटहर नाले के गन्दे पानी के मिलने के कारण बलिया में आज भी गंगा मैली ही है । अफसोस इस बात का है कि पीएम मोदी और सीएम योगी की गंगा जी को स्वच्छ करने की मुहिम को बलिया के न तो प्रभारी मंत्री ने , न ही जिलाधिकारी ने , न ही नोडल अधिकारी ने , न ही जनपद के मंत्री उपेंद्र तिवारी , सदर विधायक आनन्द स्वरूप शुक्ल ने , न ही सांसद भरत सिंह ने सफल करने के लिये कोई प्रयास नही किया , न ही नगर पालिका पर दबाव ही बनाया जिससे गंगा जी मे गन्दा पानी जाने से रुक जाए ।
ऐसी कई मनमानियों जैसे मेला में व्यापारियों से जीएसटी की वसूली करने के वावजूद इस टैक्स को अब तक जमा न करना आदि विसंगतियां है जो यह चीख चीख कर अध्यक्ष और ईओ के निरंकुश होने , शासनादेशों के उलंघन करने , उच्चाधिकारियों के आदेशों को गुमराह करके कुंद करने के उदाहरणों से यह कहने में कोई गुरेज नही है कि नगर पालिका बलिया में शासनादेशों और उच्चाधिकारियों के आदेशों का मन से चीरहरण होने के वावजूद योगी सरकार में भी इनको रोकने वाला कोई नही है ।