मझौवा बलिया : बच्चों का जो सर्वांगीण विकास करे ,वैसी दी जाय शिक्षा-- डा० गणेश पाठक
बच्चों का जो सर्वांगीण विकास करे ,वैसी दी जाय शिक्षा-- डा० गणेश पाठक
डॉ सुनील ओझा की रिपोर्ट
मझौवा बलिया 23 दिसम्बर 2018 ।।
गुरूकुल एकेडमी, मझौवा, बलिया के वार्षिक समारोह कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करते हुए अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद डा० गणेश कुमार पाठक ने कहा कि वर्तमान समय में दी जा रही शिक्षा दिशाहीन हो गयी है । शिक्षा ऐसी दी जानी चाहिए कि उससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो अर्थात बच्चों में संस्कार पैदा करना शिक्षा का प्रथम उद्देश्य होना चाहिए और जब संस्कार पैदा हो जाता है तो अन्य गुण विकसित होने में कठिनाई नहीं होती है । शिक्षा ऐसी हो जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक, आत्मिक एवं शैक्षिक विकास हो। जब ये सभी गुण जिस क्षण बच्चे में आ जायेंगे, उसके सर्वांगीण विकास हेतु आगे का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जायेगा।
कार्यक्रम की खास विशेषता यह रही कि कार्यक्रम में बच्चे- बच्चियों के माता एवं पिता दोंनों आए थे , जो इस बात का प्रतीक है कि इस क्षेत्र के लोग अपने बच्चों के शिक्षा के प्रति विशेष जागरूक हैं। खासतौर से बच्चियों की शिक्षा के प्रति विशेष रूझान दिखाई दिया। डा० पाठक ने माताओं एवं बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार ही बच्चों की पहली पाठशाला होती है और माता पहली शिक्षिका होती है। माता अपने बच्चे में जो संस्कार बचपन में डाल देती है वह कभी मिटता नहीं।
समारोह में विद्यालय के बच्चों एवं बच्चिओं द्वारा एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गये जो किसी न किसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने हेतु जागरूकता पैदा कर रहे थे। खासतौर से नारी सशक्तिकरण, बाल श्रम , बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराईयों को दूर करने से संबंधित रहे। देश भक्ति एवं ज्ञान- विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गये। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रबंधक संजय तिवारी, विद्यालय के निदेशक एवं प्रधानाचार्य ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
डॉ सुनील ओझा की रिपोर्ट
मझौवा बलिया 23 दिसम्बर 2018 ।।
गुरूकुल एकेडमी, मझौवा, बलिया के वार्षिक समारोह कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करते हुए अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद डा० गणेश कुमार पाठक ने कहा कि वर्तमान समय में दी जा रही शिक्षा दिशाहीन हो गयी है । शिक्षा ऐसी दी जानी चाहिए कि उससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो अर्थात बच्चों में संस्कार पैदा करना शिक्षा का प्रथम उद्देश्य होना चाहिए और जब संस्कार पैदा हो जाता है तो अन्य गुण विकसित होने में कठिनाई नहीं होती है । शिक्षा ऐसी हो जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक, आत्मिक एवं शैक्षिक विकास हो। जब ये सभी गुण जिस क्षण बच्चे में आ जायेंगे, उसके सर्वांगीण विकास हेतु आगे का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जायेगा।
कार्यक्रम की खास विशेषता यह रही कि कार्यक्रम में बच्चे- बच्चियों के माता एवं पिता दोंनों आए थे , जो इस बात का प्रतीक है कि इस क्षेत्र के लोग अपने बच्चों के शिक्षा के प्रति विशेष जागरूक हैं। खासतौर से बच्चियों की शिक्षा के प्रति विशेष रूझान दिखाई दिया। डा० पाठक ने माताओं एवं बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार ही बच्चों की पहली पाठशाला होती है और माता पहली शिक्षिका होती है। माता अपने बच्चे में जो संस्कार बचपन में डाल देती है वह कभी मिटता नहीं।
समारोह में विद्यालय के बच्चों एवं बच्चिओं द्वारा एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गये जो किसी न किसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने हेतु जागरूकता पैदा कर रहे थे। खासतौर से नारी सशक्तिकरण, बाल श्रम , बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराईयों को दूर करने से संबंधित रहे। देश भक्ति एवं ज्ञान- विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गये। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रबंधक संजय तिवारी, विद्यालय के निदेशक एवं प्रधानाचार्य ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।