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सेवा, समर्पण और संघर्ष की मिशाल प्रोफेसर निशा राघव के निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर

 




डॉ सुनील कुमार ओझा 


बलिया।। जनपद के शिक्षा जगत से एक अत्यंत दुखद और भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है। श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया की बॉटनी विभाग की विभागाध्यक्ष रहीं प्रोफेसर निशा राघव का निधन हो गया है। यह खबर न केवल महाविद्यालय परिसर, बल्कि पूरे जिले के विद्यार्थियों, शिक्षकों और समाज के लिए गहरा आघात लेकर आई है।


प्रोफेसर निशा राघव उन चुनिंदा शिक्षकों में से थीं जिन्होंने शिक्षा को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण का माध्यम माना। वे विद्यार्थियों को केवल छात्र नहीं, बल्कि अपने बेटे-बेटी की तरह समझती थीं। उनकी कक्षा में बैठा हर विद्यार्थी खुद को सुरक्षित, समझा और प्रेरित महसूस करता था। 


उनके पति भी इसी महाविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं और यह दंपति शिक्षा और समाज सेवा के लिए जाना जाता रहा है। विवाह के कुछ वर्षों बाद उनके पति को कैंसर की गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया, लेकिन प्रोफेसर निशा राघव ने पत्नी के रूप में एक मिसाल पेश की। उन्होंने न सिर्फ अपने पति की सेवा की, बल्कि उनके साथ मिलकर कैंसर को हराया।


लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय बाद निशा राघव स्वयं भी उसी बीमारी की चपेट में आ गईं। इलाज चला, दवाइयां चलीं, हिम्मत और उम्मीद बनी रही, लेकिन शरीर धीरे-धीरे जवाब देने लगा। अंततः उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। रिटायरमेंट के बाद भी उनके पति महाविद्यालय आकर बच्चों को पढ़ाते रहे, जिससे यह परिवार शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श बन गया।


प्रोफेसर निशा राघव सिर्फ एक शिक्षिका नहीं थीं, वे मां थीं उन सभी के लिए जिन्होंने उनसे ज्ञान पाया। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। बलिया उनकी कमी को कभी नहीं भर पाएगा।