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बलिया मे नहीं है गोंड अनुसूचित जनजाति, नामक बयान देने वाले एडीएम (एफ/आर )का आगसा के लोगों ने फूंका पुतला



मनियर की नव निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष बुचिया देवी भी है गोंड और इनको मिला है जनजाति का प्रमाण पत्र 

हनुमानगंज की ब्लॉक प्रमुख भी है गोंड और जनजाति के प्रमाण पत्र से बनी है प्रमुख 

मधुसूदन सिंह 

बलिया।। अपर जिलाधिकारी( वि/रा ) अनिल कुमार द्वारा यह बयान देना कि जनपद बलिया में सामान्यतया गोंड जनजाति नहीं पाई जाती है बल्कि ये जनजाति सोनभद्र और मिर्जापुर में पाई जाती है। जनपद बलिया में भड़भूजा जाति के लोग पाए जाते है, जो गोंड जनजाति का प्रमाण पत्र जारी कराना चाहते हैं जो कि संभव नहीं है, ने आज बवाल मचा दिया है। शनिवार को आगसा के दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने टीडी कॉलेज चौराहे पर अपर जिलाधिकारी का पुतला फूँक कर अपना विरोध जताया है।पुतला फूँकने की सूचना पर पहुंचे नगर मजिस्ट्रेट ने प्रदर्शनकारियों को पुलिस के सहयोग से चौराहे से हटाया।




आगसा नेता अरविंद गोंड ने मीडिया के माध्यम से अपर जिलाधिकारी पर हरिजन एक्ट के तहत मुकदमा दायर कर शासनादेश के खिलाफ बयान देने के लिये निलंबित करने की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की है। अरविंद गोंडवाना ने अपर जिलाधिकारी के झूठ का पर्दाफाश करते हुए तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (वि /रा ) देवेंद्र प्रताप सिंह के हस्ताक्षर से दिनांक 16.01.2025 को जारी पत्र को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया जिसमे यह लिखा गया है कि जनपद के समस्त तहसीलों मे तहसीलदार गणों द्वारा जांचोपरान्त गोंड जाति के लोगों को जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है।

वही अपर जिलाधिकारी के द्वारा यह कहना कि यहां गोंड नहीं भड़भूजा समाज के लोग रहते है, के खिलाफ आगसा नेता ने जनसूचना अधिकारी /अपर उप जिलाधिकारी अवध किशोर मिश्रा , कार्यालय जिलाधिकारी बलिया ने जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत ललन प्रसाद गोंड को 25 जनवरी 2014 के अनुसार सूचना देते हुए कहा है कि बलिया मे 1891,1991,1921,1931 मे भड़भुजा जाति के संख्या के बावत कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। जब बलिया मे भड़भुजा जाति के लोग है ही नहीं तो अपर जिलाधिकारी किस स्रोत के आधार पर बलिया मे इनकी उपस्थिति बता रहे है।

वही सम्पूर्ण समाधान दिवस पर अरविंद गोंडवाना के द्वारा दिये गये आवेदन पर उप जिलाधिकारी सदर बलिया ने दिनांक 17.4.2025 को दिये जबाब मे कहा है कि उत्तरप्रदेश शासन द्वारा निर्गत शासनादेशों मे दिये गये व्यवस्था एवं स्थानीय स्तर पर उच्च अधिकारीगणों द्वारा निर्गत आदेशों / निर्देशों के अनुपालन मे स्थलीय एवं अभिलेखीय जांचोपरान्त सही पाये जाने पर नियमानुसार गोंड (अनुसूचित जनजाति ) का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है।



यही नहीं माननीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / एससी /एसटी एक्ट कोर्ट नंबर 2 जनपद बलिया को 22 फरवरी 2025 को भेजे गये पत्र मे अपर जिलाधिकारी ने साफ कहा है कि भारत सरकार के अध्यादेश के अनुक्रम मे समाज कल्याण अनुभाग -3 के शासनादेश संख्या -111 भ0स0 /26.03.2003 (7)/2003 दिनांक  3 जुलाई 2003 एवं शासनादेश संख्या -3483/26.03.2003-03-(7)/03 दिनांक 30.09.2003द्वारा गोंड जाति को जनपद बलिया सहित 13 जनपदों मे अनुसूचित जनजाति मे तथा शेष जनपदों मे अनुसूचित जाति ंव सम्मिलित किया गया है। कोर्ट को अपर जिलाधिकारी उपरोक्त सूचना देकर कहते है कि गोंड अनुसूचित जनजाति मे शामिल है। लेकिन शुक्रवार को यही अपर जिलाधिकारी बयान जारी करते है कि बलिया मे गोंड जनजाति है ही नहीं? ऐसे मे किस सूचना को सही माना जाय? क्या माननीय कोर्ट मे गलत सूचना दी गयी है। अगर गलत सूचना दी गयी है तो माननीय कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर अपर जिलाधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिये।



उपरोक्त सभी पत्र जिलाधिकारी कार्यालय एवं उप जिलाधिकारी कार्यालय से जारी किया गया है। ऐसे मे साफ है कि बलिया के गोंड जाति के लोगों को स्थानीय जिला प्रशासन न्याय देने के मूड मे नहीं दिख रहा है।