देवर्षि नारद जयंती पर छत्तीसगढ़ मे भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने की संगोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन
वरिष्ठ पत्रकारों को किया गया देवर्षि नारद पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित
मधुसूदन सिंह
रायपुर छत्तीसगढ़।। देवर्षि नारद जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रेस क्लब सभागार मे भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा संगोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। लोकतंत्र मे मीडिया की भूमिका विषयक संगोष्ठी मे छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र से वरिष्ठ साहित्यकारों व वरिष्ठ पत्रकारों ने सहभागिता की।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार राम लखन गुप्ता ने वर्तमान परिवेश मे मीडिया की भूमिका को कटघरे मे खड़ा करते हुए मीडिया को आत्मचिंतन की सलाह दी। महाकुम्भ का उदाहरण देते हुए कहा कि लगभग दो माह के महाकुम्भ कवरेज मे मीडिया ने माला बेचने वाली मोनालिसा की आँखों के आलावा कौन सी ऐसी खबर प्रकाशित की या दिखाया जो जनता को आजतक याद हो। क्या हमारे पत्रकारिता का बौद्धिक स्तर इतना गिर गया है कि हम धार्मिक आयोजनों मे भी खूबसूरत आँखों को ढूंढ़ रहे है। वर्षो कंदराओं मे विश्व कल्याण के लिये तपस्या करने वाले और महाकुम्भ मे स्नान करने वाले साधु संत हमारी खबरों मे स्थान पाने के लिये महत्वपूर्ण नहीं है। यह हम लोगों को सोचना पड़ेगा कि हम लोग कैसी पत्रकारिता कर रहे है।
रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने साफ शब्दों मे कहा कि वर्तमान दौर मे मीडिया सरकार की पीआर बन गयी है। आवश्यकता है कि मीडिया के धर्म को निर्भीकता और सटीकता के साथ जनता व समाज के बीच लाया जाय। श्री ठाकुर ने कहा कि हमारी छत्तीसगढ़ मे एकता की ही देन है कि यहां पत्रकार सुरक्षा क़ानून लागू हो गया है, पेंशन लागू है। हमारा प्रयास अभी अन्य सुविधाओं को हासिल करने का भी है। कहा कि आजकल की पत्रकारिता मे वही हेडिंग लग रही है, खबरें लग रही है जो सरकारें चाह रही है। सच माने तो आज की पत्रकारिता सरकार की पिछलग्गू बन गयी है। बड़े बड़े अखबारों मे, चैनलों मे जो पत्रकार है, वो पत्रकारिता नहीं नौकरी कर रहे है। मै विनम्रता के साथ कहता हूं कि ऐसे लोग पत्रकारिता नहीं कर रहे है। हमें स्वयं से सवाल करना चाहिये कि कौन सी खबर थी जो सरकार को गिरा दी, शासन सत्ता मे हड़कंप मचा दी। आज की पत्रकारिता डर डर कर हो रही है। जबकि हमें डरने की जरूरत नहीं है। गाँधी जी, नेहरू जी, गणेश शंकर विद्यार्थी आदि लोग भी पत्रकारिता करते थे लेकिन वो लोग अंग्रेजों से डरते नहीं थे तो आज आजाद भारत मे हम लोग डर कर क्यों पत्रकारिता कर रहे है?
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संरक्षक बाल कृष्ण पांडेय (वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्रयागराज ) ने अपने सम्बोधन मे कहा कि आज समय कि मांग है कि पत्रकारों का भी रजिस्ट्रेशन हो। कहा कि आज अधिवक्ताओ का रजिस्ट्रेशन होता है, चिकित्सकों का होता है सीए का होता है लेकिन पत्रकारों का नहीं होता है। यही कारण है कि सरकार के पास आपकी संख्या उपलब्ध ही नहीं है जिससे आपको सुविधा देने के संबंध मे सोचे। कहा कि जमाना बदल रहा है। अब पत्रकारिता मे पत्रकारिता का कोर्स करके नौजवान आ रहे है। हमें ऐसे शिक्षित नौजवानों को मौका देना चाहिये। साथ ही यह भी कहा कि एकजुटता क़ायम करनी है जिससे हमारी आवाज़ भी सरकार के कानों तक पहुंचे।
छत्तीसगढ़ के लब्ध प्रतिष्ठित वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार गिरीश पंकज जी मुख्य अतिथि ने रायपुर मे कार्यक्रम को आयोजित करने के लिये भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय को धन्यवाद देने के लिये भोपाल के कवि राजेंद्र अनुरागी की दो पक्तियों को उद्धरित करते हुए कहा कि -
आज सारा देश जैसे राम मय है,
जो जहां है वही वतन के काम मे है।
कहा कि मै प्रयागराज के डॉ उपाध्याय, पांडेय जी और इनकी पूरी टीम को साधुवाद देता हूं। कहा कि जो भी गिनती के संगठन पत्रकारों के हित के लिये काम कर रहे है, उनको मै साधुवाद देता हूं। कहा कि रायपुर का प्रेस क्लब भी जब से नौजवान प्रफुल्ल ठाकुर के हाथों मे आया है, तब से इसने छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के लिये बहुत काम किया है । कहा कि पत्रकारों का काम लोक कल्याण के लिये होता है। पत्रकारिता अगर लोकहित से भटक गयी तो वह पत्रकारिता से चाटुकारिता बन जाती है।गाँधी जी को हम मात्र एक राजनैतिक नेतृत्व कर्ता के रूप मे ही याद करते है जबकि गाँधी जी एक बहुत बड़े पत्रकार भी थे। दक्षिण अफ्रीका मे जब प्रिटोरिया सरकार का दमन चक्र बहुत बढ़ गया तो उन्होंने वहाँ अख़बार निकालकर भारतीय समुदाय को जगाने का काम किया। जब अफ़्रीकी सरकार ने गिरफ्तार किया और पूंछा कि ऐसा क्यों कर रहे है, तब गाँधी जी ने कहा कि हिंदुस्तानी समाज जिंदा कौम है और मै इनको जगाने का काम कर रहा हूं।अख़बार एक जनजागरण का माध्यम है, और अख़बार ही है जो जिंदा कौमों को जगाता है।
आजादी की लड़ाई के दिनों मे अखबारों का मकसद देशवासियों को आजादी के प्रति जागृत करना था। जनता के सवालों को सीधे सरकार के सामने रखने का मादा अख़बार और पत्रकारों मे था। आज के दौर की तरह नहीं कि जनता के सवालों को उठाना और सरकार से सवाल पूंछना देशद्रोह माना जा रहा है। वही चाहे इलेक्ट्रॉनिक चैनल हो या मुख्यधारा के अख़बार लगभग सभी रागदरबारी होकर जनता की नहीं सरकार के प्रति अपनी वफ़ादारी व्यक्त कर रहे है। अपने पहले उपन्यास की चार पंक्तियों को उद्धरित करते हुए श्री गिरीश पंकज जी ने कहा --
हर हाल मे हम सच का बयां करेंगे
पहले उस शून्य का गान करेंगे
खुद को अल्लाह मान बैठे है जो
ऐसे हर शख्स को इंसान कहेँगे।।
यानि पत्रकार को ऐसे राजनेताओं को जो सत्ता के शिखर पर बैठकर अपने आप को भगवान मान बैठे है, उनको आईना दिखाते हुए बताना चाहिये कि तुम भगवान नहीं हो, तुमको जनता ने ही सत्ता तक पहुंचाय है। अगर जनता की परेशानियों को दूर नहीं करोगे तो जनता तुम्हे जमीन पर भी ला सकती है। कहा कि आज भी लोकतंत्र बीमार है। यह तब तक सही नहीं हो सकता है जब अभिव्यक्ति की पूरी आजादी जनता को और पत्रकारों को नहीं मिलती है। अगर सच्ची पत्रकारिता करनी है तो अभिव्यक्ति का खतरा उठाना होगा, अन्यथा दूसरा व्यवसाय करें। जो सच लिखेगा उसकी हत्या भी हो सकती है, लेकिन लोक कल्याण जो पत्रकारिता की आत्मा है, से पीछे नहीं हटा जा सकता है।अपना जुझारूपन जगाना होगा, सच का आईना शासन सत्ता को दिखाना होगा। यह तब संभव होगा जब हम लोग संगठित होंगे।
आजादी के आंदोलन के दौरान गाँधी जी ने कहा था कि पत्रकारों पर अंकुश लगाना पत्रकारिता की आत्मा को मारने जैसा है। कहा था कि पत्रकारों पर अंकुश नहीं लगना चाहिये लेकिन मै चाहता हूं कि पत्रकार स्वयं अपनी लक्ष्मण रेखा तय करें। सरकार को आईना दिखाये पर साक्ष्य के साथ। व्यक्तिपरक टिप्पड़ियों से बचना चाहिये। हमें व्यक्ति पर नहीं उसकी गलत प्रवृत्ति पर हमला करना है । तब हम पत्रकारिता के साथ न्याय कर पाएंगे। अंत मे नसीहत देते हुए कहा कि हमारा घर कांच का है, तो पत्थर तो बरसेंगे ही। इस लिये हमें हर मुश्किल से सामना करने के लिये सदैव तैयार रहना चाहिये।
अतिथियों को देवर्षि नारद पत्रकारिता सम्मान व अंग वस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प माला फूल चढ़ाकर व द्वीप प्रज्जवलित करके किया गया।
डॉ रामकुमार बेहार अध्यक्ष छत्तीसगढ़ शोध संस्थान,पुरुषोत्तम मिश्र अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ मध्यप्रदेश, मधुसूदन सिंह प्रांतीय मुख्य महासचिव उत्तरप्रदेश,निशांत भाई कांबले सीईओ एमएनएस न्यूज नेटवर्क नागपुर,एकता शर्मा आदि ने भी संगोष्ठी मे अपने अपने विचार रखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ अमर नाथ त्यागी अध्यक्ष हिंदी साहित्य मंडल रायपुर ने किया। सभी अतिथियों और सहभागियों के प्रति आभार भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने किया। संगोष्ठी का संचालन प्रदीप सिंह ने किया।