Breaking News

बलिया :दुबहड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किराया घोटाला प्रकरण : सीएम से तीसरी बार मिली शिकायतकर्ती, बड़ी कार्यवाही तय




सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बांसडीह में आशा बनी संगिनी, जांच क्यों है रुकी हुई 

मधुसूदन सिंह

बलिया।। पिछले 29 सितम्बर 2023 से जनपद के सीएमओ बने डॉ विजय पति द्विवेदी का समझौता वादी रुख आगामी दिनों में इनके लिये संकट पैदा कर सकता है, ऐसा सूत्रों से मिली खबर बता रही है । साहब की परेशानी का शबब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुबहड़ में हुआ किराया घोटाला है। इस प्रकरण को उजागर करने वाली संगिनी रानी पटेल ने सबसे पहले इसकी शिकायत सीएमओ बलिया और जिलाधिकारी बलिया से की। तत्कालीन सीएमओ बलिया ने इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एक जांच समिति बना कर जांच शुरू करा दी। महीनों की जांच के बाद टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सीएमओ बलिया को सौप दी। इस बीच रानी पटेल दो बार माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर कार्यवाही की मांग करती रही लेकिन सीएमओ साहब के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी। खबरों के अनुसार रानी पटेल शनिवार को एक बार फिर से माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर भ्रष्टाचार के खेल को रोकने की मांग की है। सूत्रों की माने तो इस बार का रानी पटेल का मुख्यमंत्री जी से मिलना बलिया के उच्चाधिकारीयों पर भारी पड़ने वाला है, क्योंकि सीएम योगी ने रानी पटेल को आश्वस्त किया है कि अब उसे न्याय के लिये सीएम दरबार नहीं आना पड़ेगा। यही नहीं दलित महिला के प्रसव के दौरान मनबढ़ आशा द्वारा प्रसव कराते समय नवजात की बाह को तोड़ने और अवैधानिक तरीके से संगिनी बनने के प्रकरण पर भी सीएमओ बलिया की चुप्पी संदेह पैदा कर रही है।


 सूच्य हो कि दुबहड़ सीएचसी के एमओआईसी, बीपीएम और बीसीपीएम की तिकड़ी द्वारा फर्जी तरीके से उप केंद्रों के नाम पर लाखों रूपये गबन करने की शिकायत और जांच के बाद, संभावित कार्यवाही पर अभी से प्रश्नचिन्ह लगना शुरू हो गया है। सूत्रों की माने तो जांच के बाद जिस दिन तत्कालीन सीएमओ डॉ जयंत कुमार उपरोक्त तीनों अधिकारियों पर जबतक कार्यवाही करते उनके ही तबादले का परवाना आ गया और कार्यवाही रुक गयी। इस बीच शिकायतकर्ती रानी पटेल संगिनी और अन्य ने सीएम योगी से जनता दरबार में घोटाले की फ़ाइल के साथ मुलाक़ात करके वस्तु स्थिति से माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत करा दिया गया ।









पिछले दिनों प्रकाशित खबर 

लक्की कुमार 

दुबहड़ बलिया।। सरकार प्रदेश के सभी निवासियों के लिये निःशुल्क इलाज व दवाओं को उपलब्ध कराने के लिये एक तरफ जहां संकल्पित है, वही ग्रामीणों को गांव में ही तत्काल इलाज की व्यवस्था दिलाने हेतु उप केंद्र खोले हुए है। लेकिन धरती के भगवान के चोले में राक्षस व भेड़िये के रूप में कुछ ऐसे चिकित्सक भी है, जिनको सिर्फ और सिर्फ किसी भी सूरत में पैसा चाहिए। ग्रामीण इलाकों में एक कहावत कही जाती है कि वर मरे या कन्या दक्षिणा चाहिए। यही हाल दुबहड़ सीएचसी का है। यहां के एमओआईसी हो , बीपीएम हो , या बीसीपीएम सभी के मुंह में भ्रष्टाचार का खून इस कदर लग गया है कि बिना उपकेंद्र चलाये ही 51 हजार रूपये की दर से लगभग 25 से 29 उपकेंद्रों का किराया दूसरों के खातों में भेजकर हड़प लिये है। अब ज़ब इसकी शिकायत एक आशा संगिनी रानी पटेल से सीएमओ से लगायत डीएम, सीएम, पीएम तक की तो सीएमओ डॉ जयंत कुमार ने 4 सदस्यों वाली जांच टीम (डॉ अभिषेक मिश्र डीएसओ, डॉ आर बी यादव डीपीएम, श्री विनोद जिला लेखा प्रबंधक और योगेश पाण्डेय, जिला प्रशासनिक अधिकारी)को दुबहड़ भेज कर जांच करायी है। टीम के पहुंचते ही हड़कंप मच गया है।

कैसे हुआ है 12 लाख से अधिक रूपये का घोटाला

शिकायतकर्ती आशा संगिनी रानी पटेल ने अपने शिकायती पत्र में भ्रष्टाचार की पूरी पोल खोल दी है। रानी पटेल के अनुसार लगभग डेढ़ साल पहले मुझ समेत 6 आशा संगिनियों के मोबाइल पर एमओआइसी डॉ शैलेश कुमार ने फोन करके कहा कि आप लोगों के घरों पर डीसीएम से उपकेंद्र के लिये साजोसामान जा रहा है, इसको अपने घर पर उतार लीजिये। उपकेंद्र खोलने के लिये आप लोगों को 3 हजार रूपये मासिक किराया मिलेगा। इसके लिये डॉ शैलेश ने हम लोगों के बच्चों या पतियों के खाता नंबर लिया गया। कहा कि इन लोगों ने हम 6 लोगों के आलावा कुल 22 से 29 आशाओ व संगिनियों के बच्चों और पतियों के खाता नंबर दबाव डालकर ले लिये। अब नोटरी किरायेनामा पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करने का दबाव डाल रहे है।


31 मार्च 2023 को सभी खातों में पहले 33 हजार और फिर 18 हजार भेजकर सभी खाता धारको से 1 हजार छोड़कर 50-50 हजार वापस ले लिये गये। ज़ब आशाओ व संगिनियों ने इसका विरोध करना शुरू किया तो उनके मानदेय रोक दिये गये, अपशब्द कहे गये और जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में प्रस्ताव भेजकर निकालने की धमकी देने लगे। ज़ब रानी पटेल ने सीएमओ से लगायत पीएम तक शिकायती पत्र भेज दिया तो उसको अस्पताल के व्हाट्सअप ग्रुप से ही बाहर कर दिया गया।

 उपकेंद्र के लिये भेजे गये लाखों के साजोसामान को ढूढ़ रही है जांच टीम

मात्र 6 आशा संगिनियों के घर पर ही उपकेंद्र के लिये भेजे गये सामान रखे होने के बाद जांच टीम अब शेष उपकेंद्रों के साजोसामान को ढूंढ़ रही है जिनके नाम पर किराये का भुगतान हुआ है। इन सामानों में टेबल मेज पंखे केतली आदि लगभग 36 आइटम है। जांच टीम अब बलिया मुख्यालय स्थिति केंद्रीय भंडार के कागजों को खंगाल कर घोटाले बाजों को सबक सिखाने के लिये कमर कस ली है।

निवर्तमान सीएमओ डॉ जयंत कुमार ने इसका संज्ञान लेते हुए जांच टीम गठित ही नही की बल्कि टीम से जांच भी करवा लिया। जांच हो जाने के बाद सीएमओ के सख्त तेवरों को देखते हुए आरोपियों ने अपने राजनैतिक रसूख का प्रयोग करते हुए सीएमओ को ही हटवा दिया। सीएमओ के बदलने के बाद कार्यवाही पर संशय जरूर उठ खड़ा हुआ है लेकिन घोटाला करने वाले पुख्ता साक्ष्य के रहते बच जायेंगे, ऐसा दिख नही रहा है। सूत्रों की माने तो छुट्टी से वापस कार्यभार ग्रहण करते ही नवागत सीएमओ सबसे पहले तीनों आरोपियों को तत्काल प्रभाव से हटाएंगे, क्योंकि बिना हटाये ये लोग साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ कर सकते है।



इन आशाओं व संगिनियों के रोके गये है रंजिशन मानदेय

डॉ शैलेश कुमार, बीपीएम शशि सिंह और बीसीपीएम रेनू भारती ने भ्रष्टाचार की आवाज बुलंद करने वाली इन आशाओं / संगिनियों के मानदेय पर लगा रखी है रोक ----

अनीता वर्मा  आशा -जून से नवंबर 2022 तक कुल 6 माह का 2200 रूपये प्रतिमाह की दर से

इंद्रावती आशा - जुलाई व अगस्त 2023 का

किरन वर्मा आशा - जून 2023 से आजतक

रानी पटेल संगिनी - अगस्त 2023 से

शिवकुमारी आशा  और चंपा देवी आशा का रोका गया है भुगतान

प्रमिला सिंह आशा - जुलाई 2023 से आजतक






 यही नहीं 30 जून 2023 क़ो एक दलित गरीब महिला के प्रसव के दौरान उसकी नवजात बच्ची का हाथ तोड़ने वाली आशा के खिलाफ तत्कालीन सीएमओ डॉ जयंत कुमार द्वारा बैठायी गयी जांच भी न जाने किस नक्कार खाने में तुती बजा रही है किसी क़ो खबर नहीं है। ज़ब कि बच्ची का हाथ तोड़ने वाली आशा तत्कालीन एमओआईसी/ एडिशनल सीएमओ के द्वारा अवैधानिक तरीके से संगिनी बन गयी है।


 बांसडीह सीएचसी जहां आशा बन बैठी है संगिनी, दलित महिला के प्रसव में तोड़ी नवजात की बाह 



मधुसूदन सिंह

बलिया 3 अगस्त 2023।। अभी जिस आशा पूनम वर्मा पर दलित समुदाय की महिला का प्रसव कराने के दौरान नवजात बच्ची के दाहिने हाथ को तोड़ने का आरोप लगा है। वही अब इसी आशा को फर्जी तरीके से संगिनी बनाने का मामला भी सामने आया है। संगिनी नियुक्त के समय न तो शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया, न ही तत्कालीन सीएमओ से ही रिक्तियों के संबंध में सूचना ही प्रकाशित करायी गयी। तत्कालीन अधीक्षक /एसीएमओ (आरसीएच ) द्वारा पहले नियम विरुद्ध अपनी दो चहेती आशाओ को संगिनी के पद पर नियुक्ति की गयी और इस नियुक्ति का अप्रूवल तब स्वयं दिया गया ज़ब ये सीएमओ बलिया के चार्ज पर 30 जनवरी 2023 को थे और अगले माह 28 फ़रवरी  2023 को सेवानिवृत हो गये । यानी साहब ने स्वयं ही नियुक्ति की और अप्रूवल भी दे दिया। यही नही बीसीपीएम द्वारा हस्ताक्षर करने से इंकार करने पर उसका तबादला करके ऐसी बीसीपीएम को लाया गया जिसने बिना किसी हिलाहवाली के हस्ताक्षर कर दी।












उपरोक्त नियुक्तियों में हुई विसंगतियों को दर्शाते हुए ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर अभिषेक सिंह ने 24 मई 2023 को अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बांसडीह को एक पत्र भेजा, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है। यही नही यहां पहले से कार्यरत सभी 6 संगिनियों ने भी इस धांधली की लिखित शिकायत जिलाधिकारी बलिया से की है। लेकिन भी पत्र नक्कारखाने में तूती बजने वाली हालत में है।




अब तो बीसीपीएम अनीता यादव ( यही है जिन्होंने तत्कालीन अधीक्षक के फर्जीवाड़े को सत्यापित किया ) ने फर्जीवाड़े से नियुक्त की गयी दोनों संगिनियों पूनम वर्मा और अर्पिता सिंह के लिये आवश्यक बजट की मांग 8 जुलाई 2023 के अपने पत्र के माध्यम से लिखित रूप से की है।

मई से हो रही लिखित शिकायतों के वावजूद जिस तरह से कार्यवाही में हिलाहवाली हो रही है, वह भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसा ही कृत्य है। अब देखना है कि जिलाधिकारी बलिया और सीएमओ बलिया कब इस फर्जीवाड़े पर कार्यवाही करते है?






 


सीएमओ बलिया से की लिखित शिकायत

मधुसूदन सिंह

बलिया 1 अगस्त 2023।। मनबढ़ आशा की करिस्तानी से बांसडीह स्वास्थ्य केंद्र आज चर्चा में आ गया है। यहां पूनम वर्मा नाम की आशा का इतना दबदबा है की वह एएनएम के रहते हुए लेबर रूम में प्रसव कराती है। जबकि किसी भी आशा को प्रसव कराने की न तो इजाजत है और न ही इसकी ट्रेनिंग ही दी गयी है। यही नही यहां अमीर हो या गरीब प्रसव के लिये हजारों रूपये जमा भी कराये जाते है। जबकि सरकारी अस्पतालों में प्रसव एकदम मुफ्त है। यह स्वास्थ्य केंद्र चर्चा में इस लिये आज आया है की पिछले 30 जून को गुंजा पत्नी धुरान राजकुमार निवासी चित्तबिसाव खुर्द बांसडीह ने सीएमओ बलिया से पूनम वर्मा आशा और एएनएम ऊषा देवी के खिलाफ लिखित शिकायत की है।




गुंजा देवी के अनुसार 30 जून को उसका प्रसव आशा पूनम वर्मा ने कराया है। प्रसव के दौरान ही इनके द्वारा बच्ची को बाहर निकालने के दौरान, बच्ची के हाथ को तोड़ दिया गया है। पीड़िता गुंजा के अनुसार इन लोगों ने इसकी मां से प्रसव के लिये लगभग 3000 रूपये भी जमा कराया गया। दोपहर बाद 4 बजे गुंजा को रिलीव कर दिया गया जबकि कम से कम 24 घंटे नवजात की सेहत के लिये वार्ड में रखा जाता है। गुंजा के अनुसार ज़ब घर जाने पर बच्ची के लगातार रोने और बाह को फूली देखा तो वह घबरा गयी। गुंजा ने स्थानीय आशा अनीता को रात ने इसकी सूचना दी। सुबह अनीता ने ज़ब बच्ची का हाथ उठाकर देखा तो उसे टूटने का अहसास हुआ। आशा ने गुंजा को हाथ का एक्सरे कराने और डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी।



बच्चों के जन्म के बाद के रीति रिवाज़ को करने के बाद 8 जुलाई को गुंजा जिला अस्पताल पहुंची और चिकित्सक की सलाह पर एक्सरे कराया तो कंधे और कुहनी के ऊपर दो जगह हड्डी टूटी पायी गयी। जिसका प्लास्टर किया गया। 20 जुलाई तक ज़ब बच्ची की हालत में सुधार नही हुआ तो गुंजा ने 10 रूपये सैकड़ा मासिक की दर पर 5000 रूपये ब्याज पर लेकर डॉ जितेंद्र सिंह के यहां पहुंची, जहां चिकित्सक ने दुबारा प्लास्टर चढ़ाया है। गुंजा के कथन का पूर्ण समर्थन आशा अनीता द्वारा भी किया गया है। अब गुंजा यह चाह रही है पूनम वर्मा जैसी कोई भी महिला किसी का प्रसव न कराये जिससे उसकी बच्ची जैसा हादसा दुबारा न हो सकें। वही एएनएम ऊषा देवी जो ड्यूटी पर तैनात होते हुए अंट्रेंड महिला को प्रसव कराने की अनुमति देती है, के खिलाफ भी कार्यवाही की जाय।

सीएमओ बलिया से ज़ब इस संबंध में बातचीत की गयी तो उनका कहना था कि इस प्रकरण की जांच करायी जायेगी और दोषियों को कत्तई बख्शा नही जायेगा।





           सीएचसी दुबहर प्रकरण के कुछ दस्तावेज