परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने में अब सुप्रीम रोड़ा, सर्वोच्च न्यायालय ने लगाया 2 फरवरी तक रोक, यह बना कारण
लखनऊ।। परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने का सपना लेकर पिछले 5 सालों से कानूनी लड़ाई लड़कर ज़ब उच्च न्यायालय प्रयागराज के डबल बेंच के आदेश पर नियुक्ति पत्र जारी होने लगा तो इन लोगों क़ो लगा कि अब इनकी मुसीबतें समाप्त हो गयी है। लेकिन इनको यह नहीं पता था कि इनको अभी और संघर्ष करना है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय प्रयागराज के डबल बेंच के आदेश पर दो फरवरी 2024 तक रोक लगा दी है।
बता दे कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत रिक्त 6470 पदों पर भर्ती के लिए पांच साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेरोजगारों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। इन अभ्यर्थियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच के बाद दो चरणों में (29 दिसंबर और सात जनवरी 2024) को नियुक्ति पत्र वितरित करने के 24 घंटे बाद सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
यह बना स्टे का कारण
अर्चना राय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस भर्ती में यथास्थिति बरकरार रखते हुए दो फरवरी को सुनवाई की तारीख लगाई है। इसके चलते चयनित शिक्षकों के प्राथमिक स्कूलों में पदस्थापन की कार्रवाई ठप हो गई है। शिक्षक भर्ती नियमावली 1981 में किसी भी जिले में उन्हीं प्रशिक्षुओं की नियुक्ति का प्रावधान था, जहां से आवेदक ने प्रशिक्षण किया था। हालांकि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने 2018 में एक सर्कुलर जारी कर उन अभ्यर्थियों को दूसरे जिले से आवेदन का अवसर दिया था, जिन जिलों में पदों की संख्या शून्य थी। इसके खिलाफ अर्चना राय ने याचिका दायर की थी। उधर, लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच के नवंबर में जारी आदेश पर भर्ती शुरू हो गई। कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अपने कार्यालय में शिक्षकों को कार्यभार भी ग्रहण करा दिया, लेकिन पदस्थापन की कार्रवाई से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी।
सूची जारी करने में ही नहीं दिख रही है पारदर्शिता
वही डबल बेंच के आदेश के बाद शासन द्वारा चयनित सहायक अध्यापकों की जो सूची जारी की गयी है उसमे प्राप्ताँक व गुणांक दोनों गायब है। इस लिये यह सत्यापित करना मुश्किल है कि जिन अब्यार्थियों का चयन हुआ है और जिनका नहीं हुआ है, उनमे इतना अंतर है। यह सूची बीएसए कार्यालय पर चस्पा होनी चाहिए, जो नहीं हुई है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी बैक डेट में चयनितों क़ो जोइनिंग लेटर जारी किया जा रहा है।