Breaking News

बलिया में नये राजनैतिक क्षत्रप बनने की राह पर मंत्री दयाशंकर सिंह




मधुसूदन सिंह

बलिया।। राजनीति में कब किसका सिक्का चल जाय, कहा नही जा सकता है। एक समय ऐसा था ज़ब बलिया में पूर्व प्रधानमंत्री स्व चंद्रशेखर जी का वर्चस्व था। चंद्रशेखर जी की पार्टी सजपा का चुनाव चिन्ह बरगद था। आम बोलचाल में कहावत है की बरगद के नीचे कोई और पौधा या पेड़ पनप ही नही सकता है। यह कहावत चंद्रशेखर जी के जमाने में सटीक बैठती थी। चंद्रशेखर जी के जाने के बाद इनकी खाली जगह को भरने के लिये इनके उत्तराधिकारी नीरज शेखर आये पर वो अपने पिता के द्वारा खींची गयी सल्तनत वाली लकीर को छू भी नही पाये।

चंद्रशेखर जी के बाद बलिया में समाजवादी पार्टी के तीन नेताओं का वर्चस्व बढ़ा। इन तीन नेताओं में चंद्रशेखर जी के अभिन्न अनुवायी रामगोविंद चौधरी, अम्बिका चौधरी और नारद राय का डंका जनपद में जमकर बजा, लेकिन अकेले वर्चस्व कभी नही बना। समाजवादी पार्टी के दौर के बाद मोदी लहर में भाजपा नेताओं का पहली बार बलिया में वर्चस्व क़ायम हुआ। लेकिन फिर भी ऐसा कोई नेतृत्व सामने नही आया जिसमे चंद्रशेखर जी जैसी राजनैतिक सोच हो। इस दौर में बड़े नेता तो उभरे पर वो चंद्रशेखर जैसा नही बन पाये या यूं कहे कि उनके पद चिन्हो वाली राजनीतिक रास्तो व विचारों पर चलते नही दिखे।





लेकिन एकाएक 2022 के विधानसभा चुनाव से बलिया के राजनैतिक क्षितिज पर उभरे योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह धीरे धीरे जनपद में अपना वर्चस्व क़ायम करने में सफल हो रहे। स्व चंद्रशेखर जी के सानिध्य में राजनीति का ककहरा और अपनी हारी हुई बाजी को अंत में कैसे जीत में बदलते है, जैसे गुरु मंत्र सीखने वाले दयाशंकर सिंह वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मोदी और सीएम योगी की दूर दृष्टि वाले राजनीतिक मंत्र को भी अपने अंदर समाहित कर लिये है। नतीजन बिहार राज्य के बक्सर में पैदा होने के बाद भी बलिया से इस कदर जुड़ गये है कि अब इनके अंदर स्व चंद्रशेखर की राजनीति वाला अक्स दिखने लगा है।

पिछले 11 मई को हुए नगर निकाय चुनाव में जिस राजनैतिक कुशलता का परिचय देकर दयाशंकर सिंह ने हारी हुई लगने वाली बाजी को जीत में बदलने का काम किया है, वो विरले लोग ही कर पाते है। 2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में भी वर्तमान परिदृश्य ही था, भाजपा के प्रत्याशी का चुनाव चढ़ ही नही रहा था। तत्कालीन मंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला जी तोड़ मेहनत कर रहे थे, सीएम योगी पुलिस line के मैदान में विशाल जन सभा कर जिताने की अपील भी किये थे, फिर भी भाजपा प्रत्याशी को करारी हार झेलनी पड़ी थी। यही नही 2022 में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में तत्कालीन मंत्री उपेन्द्र तिवारी व आनंद स्वरुप शुक्ला की सारी योजनाओं को धत्ता बताते हुए समाजवादी पार्टी के अम्बिका चौधरी ने अपने बेटे आनंद चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया और मंत्री द्वय सांसद गण हाथ मलते रह गये।

इस बार भी लोगों को लग रहा था कि भाजपा प्रत्याशी नगर पालिका बलिया के अध्यक्ष के चुनाव में पिछले चुनाव की तरह ही पराजित हो जायेगा। लेकिन परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह लगातार कहते रहे कि चुनाव हम ही जीतेंगे और जीत भी गये। इस जीत ने जहां विरोधी दलों के कई नेताओं के राजनैतिक दर्प को चूर चूर करके हाशिये पर धकेल दिया है, तो वही सबको दयाशंकर सिंह की राजनैतिक चातुर्य का लोहा मानने को विवश कर दिया है। स्व चंद्रशेखर जी में भी यही काबिलियत थी कि वो हारी बाजी को जीत में बदल देते थे।यही नही पूरे देश में ऐसा कोई प्रान्त और सरकारें नही थी , जहां चंद्रशेखर जी का फोन जाये और काम न हो। ठीक यही स्थिति दयाशंकर सिंह के साथ भी है, ऐसा कोई प्रदेश नही है जहां दयाशंकर सिंह की पहुंच नही है।नगर निकाय चुनाव में मिली सफलता ने लोगों के मन में चंद्रशेखर जी का अक्स दयाशंकर सिंह में दिखने लगा है।