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डब्ल्यूएचओ के अधिकारी ने कालाजार प्रभावित क्षेत्र का किया दौरा,जिला अस्पताल का भी किया निरीक्षण





बलिया।।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एचओ) के राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी डॉ ध्रुव पाण्डेय एवं सीफार संस्था के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर (एसपीएम) डॉ सतीश पाण्डेय ने जिला अस्पताल सहित जिले के कालाजार से प्रभावित दो ब्लॉकों का निरीक्षण गुरुवार को किया । निरीक्षण हनुमानगंज ब्लॉक के भरतपुरा, दुबहड़ ब्लॉक के शिवपुर नई बस्ती का किया गया। यह ब्लॉक कालाजार से प्रभावित हैं। भरतपुरा गांव में निरीक्षण के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वयना के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धर्मेंद्र यादव एवं उनकी पूरी टीम उपस्थित रही।







विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी डॉ ध्रुव पाण्डेय ने गाँव में चल रहे कालाजार उन्मूलन के छिड़काव कार्य का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव, मलेरिया विभाग केअधिकारी, डब्लूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ निशांत, पाथ संस्था के आरएनटीडीओ डॉ अबू कलीम, पाथ के जिला समन्वयक भी साथ रहे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कालाजार से प्रभावित रोगियों से मुलाकात की, छिड़काव की स्थिति देखी, एवं जनसमूह से बातचीत कर कालाजार से बचने के उपाय बताए। निरीक्षण के अंत में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जयन्त कुमार की अध्यक्षता में कालाजार को लेकर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गयी, जिसमें कालाजार से संबंधित हर बिन्दु पर चर्चा की गयी । मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कालाजार रोग को जनपद से समाप्त करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जनपद में पिछले 3 वर्षों में कालाजार से 10 ब्लॉक के 34 ग्राम प्रभावित है जिसमे 20 ग्राम में आईआरएस का कार्य संपादित हो चुका है। उन्होंने बताया कि कालाजार प्रभावित ब्लॉक में हनुमानगंज, मुरलीछपरा, कोटवा, रेवती, दुबहड़, चिलकहर, मनियर, बांसडीह,सोहाव,और पंदह शामिल है। वर्त्तमान मे छिडकाव का कार्य पंदह, रेवती और बांसडीह ब्लॉक में सम्पन्न हो चुका है। शेष ब्लॉक और ग्राम में आई आर एस चल रहा है। 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2023 से आज तक कालाजार का कोई भी मरीज नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जो कि बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह बालू मक्खी ग्रामीण क्षेत्रों में मकान की दरारों में, नमी वाले स्थानों में, चूहों के बिलों में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है। किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, रोगी में खून की कमी, लोगों का वजन घटना, रोगी की त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वहीं इसका सबसे मुख्य लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है| यदि किसी व्यक्ति में उक्त लक्षण पाया गया हो तो तत्काल अपने नजदीक के सामु०स्वा०केन्द्र/ प्रा०स्वा० केन्द्र पर जांच कराएं। जिला चिकित्सालय पर इसका इलाज उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है इसलिए चिकित्सक की सलाह पर पूरा इलाज करवाएं।