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श्रीमद भागवत कथा तृतीय दिवस : भगवान को पहचानने के लिये बाहरी वेश भूषा नही, चाहिए आंतरिक दिव्यदृष्टि :साध्वी भाग्यश्री भारती



 बलिया।। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा रामलीला मैदान जिला बलिया में दिनांक 16 से 22 मार्च दोपहर 3:00 से 7:00 तक सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन आयोजित किया गया है ।  कथा के तृतीय दिवस साध्वी भाग्य श्री भारती जी ने कथा के माध्यम से बताया कि  शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाया उनके सामने उपस्थित होने पर भी उनकी लीलाओं की चर्चा सुनने के बाद भी अनेकों भक्तों का उनके प्रति आदर भाव देखने सुनने के बाद भी। केवल शिशुपाल ही नहीं बल्कि उस समय के अनेकों राजा भी भगवान श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाये तो क्या यदि आज भगवान हमारे सामने आ जाते तो हम भगवान को पहचान लेंगे? हमारे पास भगवान को पहचानने का क्या आधार होगा,क्या उनकी बाहरी वेश भूषा? यदि हम ऐसा सोचते हैं तो इसका मतलब अभी तक हमने अपने धार्मिक ग्रंथों का सही ढंग से अध्ययन ही नहीं किया। क्योंकि बाहरी वेश भूषा तो कोई भी धारण कर सकता है। इसलिए भगवान को पहचानने के लिए आवश्यकता है उस दिव्य दृष्टि की जो दिव्य दृष्टि भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को प्रदान की थी।

        भक्त प्रह्लाद प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि भक्त प्रह्लाद के जीवन में अनेकों ही संकट आए लेकिन वह अपने भकि्त पथ से विचलित नहीं हुए, क्योंकि उनका अपने श्री हरि पर अपने नारायण पर पूर्ण विश्वास था। यदि हम भी चाहते हैं कि हमारा भी विश्वास भक्त प्रह्लाद की भांति हो तो हमें भी आवश्यकता है उस ईश्वर को जानने की। आगे कथा सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि भक्त प्रह्लाद के भीतर जो अद्भुत भक्ती बल था उसके पीछे की कही न कही उनकी मां के द्वारा दिए गए संस्कार थे , जिसने उन्हें एक महान  भक्त बना दिया। इसलिए यह एक मां पर ही निर्भर करता है कि वह अपनी संतान को किस सांचे में ढालना चाहती है, क्योंकि संस्कार देने का शुभ विचार देने का जो समय है वह बाल्यावस्था ही होती है इसलिए आप अपनी संतानों को श्रेष्ठ संस्कार दे, ताकि वह आगे चलकर एक श्रेष्ठ नागरिक बन सके। समाज में श्रेष्ठ नागरिक सतगुरु की शरण में जा करके ही बन सकते हैं । सतगुरु मनुष्य में   आध्यात्मिक शक्ति का संचार करते है। सतगुर ही ईश्वर का दर्शन कराते है । श्री आशुतोष महाराज जी केवल परमात्मा की चर्चा नही बल्कि दिव्य नेत्र के द्वारा ईश्वरीय परम प्रकाश का दर्शन कराते है।






कथा का शुभारंभ वैदिक मंत्र उच्चारण और राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर के द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलन से और समापन मंगल आरती के माध्यम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रसड़ा से श्री कौशलेन्द्र गिरी,आनंद सिंह, जेपी तिवारी, श्रीमती अरुणा तिवारी, श्रीमती विनायक कुमारी, केपी ओझा,श्रीमती प्रमिला ओझा, पंकज ओझा,  संजय शुक्ला,  श्याम बाबू रौनियार,रेखा गुप्ता, आरती आदि विशिष्ट जन उपस्थित रहे।