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कवि सम्मेलन में कवियो ने गुदगुदया



सांडी।।बुधवार शाम को सांडी स्थित आर एस पाठक मैरिज लान मे कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे आये हुए कवियो ने श्रोताओं को जमकर गुदगुदया। 

       कवि सम्मेलन की शुरुआत मुख्य अतिथि सर्वेन्द्र जी व  पंकज त्रिवेदी जी ने दीप प्रज्जवलन व माँ शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत अल्काकृति की वाणी वंदना से हुई। गीतकार गीतेश दीक्षित ने"गमों की धूम मे हूं वफा की छांव बन जाओ,सहर की बेरुखी छोडो हमारा गांव बन जाओ !! गीत पढ़ समां बाँधा। हास्यकवि रणविजय सिंह ने "कवियों ने इस जगत में,सबको दिया पछाड़,आज कवि के रूप में,मिले मंच पर सांड़",कविता पढ़ खूब गुदगुदाया।







संचालक अजीत शुक्ल ने "दूरियाँ दिल की मिटें परिवार में अनुराग हो। न द्वेष हो, बस राग हो, ऐसा यहाँ पर फाग हो।" कविता पढ़ तालियां बटोरी। संयोजक गगनांचल तिवारी "हो शीतलता की दहर झील बाबा कमलेश्वर का धाम मिले,गर पुनर्जन्म हो मेरा तो माँ मंगला का दरवार मिले"कविता पढ़ वाह वाही लूटी। राम किशोर मस्ताना ने 'पिचकारी रंग भरी हम आज चलाएंगे।' ने गीत पढ़ा।युवा कवि अर्पित दीक्षित की "सिद्धों के अभिमंत्रित जल से लगते हैं,नयन तुम्हारे श्वेत कमल से लगते हैं।" कविता सराही गई। कवयित्री अल्काकृति ने "जब खिड़की खोलूं तो दीदार तुम्हारा हो।इस धड़कन में केवल उपहार तुम्हारा हो ।" गीत पढ़ तालियाँ बटोरी। 

वरिष्ठ कवि राज कुमार सिंह ने "रंगपर्व सुख, शान्ति दे, भेदभाव को भूल।द्वेष,द्वन्द्व,छल, छद्म सब,होवें नष्ट समूल।" गीत पढ़ वाहवाही लूटी।  कार्यक्रम मे  आयोजक वैभव पाठक , आचार्य राम जी तिवारी, .जीतू , रामपाल, विमल पाल, सुशील तिवारी आदि रहे।