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जाने क्यों धरना करने को मजबूर है पी.जी. कॉलेज मालटारी के स्ववित्तपोषित शिक्षक



डॉ सुनील कुमार ओझा

आजमगढ़।। श्री गांधी पी.जी. कॉलेज   मालटारी आजमगढ़ के स्ववित्तपोषित शिक्षक अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर 28-3- 2023.से महाविद्यालय परिसर में धरना देने को मजबूर हैं । शिक्षकों का दोष मात्र इतना ही है कि इन्होंने ई.पी.एफ. कटौती (कर्मचारी भविष्य निधि )की मांग कर दी । प्रबंधक द्वारा आधा अधूरा ई.पी.एफ. काटा गया। किंतु नाराज होकर शिक्षकों  के  वेतन का निर्धारण वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से प्राप्त ऐसे शासनादेश के आधार पर किया जो कार्य परिषद  से पास नहीं  है ।प्रबंधक ने  स्ववित्तपोषित शिक्षकों का वेतन् लगभग 5 गुना कम कर दिया और उनके आवासीय किराए को 105 की जगह लगभग 15 गुना बढ़ाते हुए रुपये 1500   प्रतिमाह दंडात्मक कर दिये ।प्रबंधक के कूट रचित चक्र से महाविद्यालय   के शिक्षक हताश और निराश हैं।उन्हें दूर तक न्याय होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए शिक्षक धरने को मजबूर हैं । मांग में नियम संगत वेतन, भविष्य निधि की कटौती  ,नियुक्ति तिथि से ई.पी.एफ. को खाते में भेजना , बढे हुए कमरे का किराया खाते मे वापस देने तक धरना जारी रहेगा।



                       एक नजर


प्राचार्य और प्रबंधक को नहीं दिखती  सेल्फ फाइनेस टीचर्स के लिए कोई महंगाई 

श्री गांधी पीजी कॉलेज मालटारी आजमगढ़ के प्राचार्य प्रबन्धक की मिली भगत से आत्महत्या को मजबूर स्ववित्तपोषित शिक्षक

2000 रूपया प्रति माह वेतन पर राज्यपाल,मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री की मंशानुरूप अनुपालित करवाया जा रहा है यूजीसी एवं विश्वविद्यालय अधिनियम का मानक

स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की आमदनी का 80% वेतन मद में शिक्षकों को देने के बजाय प्राचार्य प्रबन्धक कर रहे हैं बंदरबांट

आजमगढ़ : विगत एक वर्ष से घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्री गांधी पी जी कॉलेज माल्टारी आजमगढ़ के सेल्फ फाइनेंस टीचर्स जो प्राचार्य और प्रबंधक के दंड से इस महंगाई मे 2000 ₹ प्रतिमाह तनख्वाह पा रहे हैँ उन्हे जरा भी दर्द का एहसास विगत एक वर्ष से नहीं हो रहा कि इन टीचर्स का खर्च इतने पैसे मे कैसे चल रहा होगा । एक ओर जहाँ 7वे पे कमीशन के शिक्षक जिस मूल्य पर सामान खरीद रहे हैं वही दूसरी ओर ₹ 2000 पाने वाले सेल्फ फाइनेंस टीचर्स उसी महंगाई मे कैसे खर्च  चला रहे हैँ उन्हे इस बात से कोई लेना देना नहीं है और नहीं उनके ऊपर इसका कोई असर है । 








न्यूनतम वेतन, ई.पी.एफ. और विभिन्न बकाया पारिश्रमिक की मांग के कारण प्राचार्य और प्रबंधक यह् कार्य कर सुख की अनुभूति कर रहे हैँ। पूर्व कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. कैलाश नाथ गुप्त ने कई बार सभी के सामने कहा कि जब तक सेल्फ फाइनेंस की सैलेरी शून्य नहीं कर लेता तब तक मुझे चैन नहीं है। एक सीनियर सेल्फ फाइनेस टीचर को इन्होने कहा कि " मिश्रा जी आपके चेहरे पर 12 बज रहे हैँ ।" 


उक्त लोगों द्वारा आर्थिक कष्ट के साथ साथ मानसिक कष्ट भी लगातार दिया जा रहा है। कभी किसी सिग्नेचर की जरूरत पड़ती है तो कई दिनों तक प्राचार्य द्वारा दौड़ाया जाता है कि बाबू के पास जाइये, हेड के पास जाइये, इसमे ये नहीं है वो नहीं है आदि आदि । ये उत्पीड़न कब तक ये लोग करते रहेंगे ....