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बेसिक शिक्षा में बड़ा घोटाला : दुमदुमा कम्पोजिट विद्यालय यानी घोटालों का सैरगाह



मधुसूदन सिंह

बलिया।। बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार किस कदर फैला हुआ है,इसको अगर देखना और समझना हो तो बलिया जनपद के हनुमानगंज विकास खंड के दुमदुमा के कम्पोजिट विद्यालय पर आना पड़ेगा। इस विद्यालय पर बेसिक शिक्षा विभाग में जितने प्रकार के घोटाले होते है, वो सभी मिल जायेंगे।

यहाँ पहले निलंबित हेडमास्टर आफताब आलम हो या वर्तमान प्रभारी हेडमास्टर डॉ हाफिजुल्लाह अंसारी हो, इनकी उपस्थिति दिन के बारह बजे के पहले होती ही नहीं थी।यह उपस्थिति घोटाला हुआ। कोरोना काल के दौरान ज़ब एक जगह से दूसरी जगह आवागमन पर रोक थी, शिक्षा देने के लिये सुविख्यात इस कम्पोजिट विद्यालय पर जनपद छोड़िये प्रदेश के अन्य जनपदों के और प्रदेश के बाहर से भी छात्र न सिर्फ शिक्षा ग्रहण किये बल्कि जमकर खाद्यान्न उठाये और सरकार से मिली आर्थिक सहयता भी प्राप्त किये। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में मुस्लिम समुदाय की आबादी न होते हुए भी छात्र छात्राओं में इनकी संख्या सर्वाधिक थी। यही नहीं निलंबित हेडमास्टर और प्रभारी हेडमास्टर के बच्चे भी इस विद्यालय में पढ़ते है जबकि वास्तव में ये अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में अपनी शिक्षा ग्रहण करते है। यह खाद्यान्न घोटाला है। कोरोना खत्म होते ही ज़ब विद्यालय खुलने लगे तो चोरी पकड़ी न जाय इस लिये तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की आईडी से 129 छात्रों में से बाहरी 87 छात्रों की एक बहुत बड़ी संख्या को पोर्टल से डिलीट करा दिया गया। आजतक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने कोरोना काल के इस घोटाले की जांच के लिये छात्र पंजिका की जांच की ही नहीं है।

2019-20 से यह विद्यालय कम्पोजिट हुआ है। कम्पोजिट होने से पहले एमडीएम बनाने के लिये प्राथमिक विद्यालय के तत्कालीन हेडमास्टर आफताब आलम के पास दो गैस सिलिंडर, चूल्हा और वर्तन तथा जूनियर के हेडमास्टर डॉ हाफिजुल्लाह अंसारी के पास भी दो गैस सिलिंडर, चूल्हा और वर्तन थे। लेकिन कम्पोजिट होने के बाद एक सेट की सामग्री चूल्हा सिलिंडर वर्तन सब गायब है। यही नहीं प्रति वर्ष कम्पोजिट ग्रांट के रूप में 75 हजार विद्यालय के मरम्मत के लिये आता है लेकिन विद्यालय की हालत देखने के बाद यह नहीं लगता है कि कभी इसकी बनने के बाद मरम्मत हुई है। यह अलग किस्म का घोटाला हुआ।

आज भी रजिस्टर पर इस विद्यालय में लगभग 83 छात्र छात्राएं है लेकिन अगर औचक निरीक्षण किया जाय तो यहां अधिकतम 20 संख्या मिल जाये तो बड़ी गनीमत होंगी। लेकिन आजतक किसी भी अधिकारी ने इसको जानने की कोशिश ही नहीं की है।

इसके अलावा कम्पोजिट विद्यालय होने के कारण मरम्मत के नाम पर प्रति वर्ष इस विद्यालय को 75 हजार रूपये मिलते है। नियम के अनुसार इस धनराशि को एसएमसी की बैठक के बाद एसएमसी अध्यक्ष और हेडमास्टर के संयुक्त हस्ताक्षर के बाद खाते से निकाला जा सकता है। इस विद्यालय की वर्तमान हालात देखने के बाद स्पष्ट है कि कम्पोजिट मनी का घोटाला हुआ है। विद्यालय में न बेंच ठीक है, न ही फर्श, फर्श गड्ढा युक्त है। इसको वीडियो देखने के बाद समझा जा सकता है।

 वीडियो देखिये और हालात का खुद अंदाजा लगाइये ---






यह भी सूच्य हो कि पिछले 20 सितंबर 2022 को इस विद्यालय में 30 बोरी खाद्यान्न जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा औचक निरीक्षण में पकड़ा गया था और जांच के बाद हेडमास्टर आफताब आलम को निलंबित कर दिया गया, जो आज भी निलंबित है। सूत्रों की माने तो जांच अधिकारी द्वय सुनील चौबे खंड शिक्षा अधिकारी और अजीत पाठक डीसी एमडीएम बिना विद्यालय में गये ही नहीं और जांच रिपोर्ट प्रेषित कर हेडमास्टर को क्लीन चिट  देने वाले है।जबकि यह जांच होनी चाहिए थी कि वर्ष 2019-20 और 2020-21 में छात्र पंजिका में छात्र थे, वे दुमदुमा से काफ़ी दूर के होते हुए भी कैसे पढ़ते थे, क्या उनके गांव में विद्यालय नहीं था? कैसे आजमगढ़, बक्सर, चिलकहर, सिकंदरपुर, उमरगंज, डुमरी आदि काफ़ी दूर जगहों से कैसे पढ़ने आते थे।अभी कुछ दिन पहले ही अपने जांच में वैना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सक डॉ धर्मेद्र कुमार यादव ने कमियों को पाने के बाद प्रेरणा एप्प पर रिपोर्ट भी भेजी है।

इसके अलावा इस विद्यालय पर प्राथमिक के बच्चों को खेलकूद सामग्री के लिये 5 हजार और जूनियर के बच्चों के लिये 10 हजार प्रति वर्ष मिलता है लेकिन खेल के सामान गायब बताये जा रहे है। अगर इस विद्यालय की जांच हो जाये तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। अब देखना है कि नवागत जिलाधिकारी कब इस विद्यालय का औचक निरीक्षण करके कमियों को दुरुस्त कराते है।








20 सितंबर 2022 को प्रकाशित खबर 

बलिया।। मंगलवार 20 सितम्बर 2022 को कंपोजिट विद्यालय दुमदुमा मे जांच मे रखे गये खाद्यान्न के 30 बोरो की तपिश मे आखिर हेडमास्टर साहब झुलस ही गये। बुधवार को जांच मे पहुंचे बीएसए  मणिराम सिंह ने तत्काल प्रभाव से प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया है और प्रधानाध्यापक को बीआरसी से सम्बद्ध कर दिया । 

बता दे कि यह मामला हनुमानगंज शिक्षा क्षेत्र के कम्पोजिट विद्यालय दुमदुमा का है । यहां के हेडमास्टर और बीआरसी के कम्प्यूटर ऑपरेटर की मिली भगत से पूरे कोरोना काल मे सरकार द्वारा दिये मुफ्त खाद्यान्न की जमकर लूट की गयी। जब कोरोना के बाद मे स्कूल मे पठन पाठन शुरू हुआ और नये छात्रों की संख्या बढ़ गयी तो एकाएक कम्प्यूटर से 87 बच्चों का नाम गायब कर दिया गया। यह कार्य बिना कम्प्यूटर ऑपरेटर की मिलीभगत से संभव ही नही था।

इसके साथ ही तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे मे है। वही एमडीएम के जनपद प्रभारी की भी भूमिका की जांच आवश्यक होनी चाहिये । अब देखना है जांच समिति क्या रिपोर्ट देती है। 87 बच्चे कहां गये, यह खोजना बहुत जरुरी है।










मधुसूदन सिंह

बलिया।। बेसिक शिक्षा विभाग में बड़ा गड़बड़ झाला  सामने आया । सन 2019 से आजतक 50 प्रतिशत बच्चों को कोरोना काल मे मुफ्त वितरित होने वाले खाद्यान्न का वितरण और मिलने वाली कंवर्जन मनी को उनके खातों मे भेजा ही नही गया है। या यूं कहे कि प्रधानाध्यापको ने बच्चों के निवालों पर डाका डालकर खुद ही गटक लिये है। इन सबके वितरण के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को पदेन नोडल बनाया गया था, लेकिन इन लोगों ने अपने अपने कार्यों मे घोर लापरवाही बरती और आजतक 50 प्रतिशत उपभोग प्रमाण पत्र बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय तक पहुंचा ही नही।









बता दे कि कोरोना संक्रमण काल मे 4 फेज में मिले 346 दिन के राशन का आधे बच्चो का लेखा जोखा नही मिला है ।सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार शत प्रतिशत बच्चो को मिड डे मील का सूखा राशन देना था । नामांकित 1134221 बच्चो में से मात्र 611437 बच्चो को खाद्यान्न और कन्वर्जन मनी मिल पायी ।बेसिक शिक्षाधिकारी मणि राम सिंह ने लापरवाही बरतने वाले खण्ड शिक्षा धिकारियों के वेतन को उपभोग प्रमाण पत्र मिलने तक रोक दिया है । बता दे कि वर्ष 2019 से अब तक का खेल ,522784 बच्चो को  मिड डे मील नही मिला ।

इन बच्चों को दिए जाने वाले राशन लगभग प्राथमिक स्कूल के बच्चों को 12487.56 क्विंटल और उच्च प्राथमिक में 8027.58 क्विंटल यानी कुल 20515.14 क्विंटल खाद्यान्न का उपभोग प्रमाण पत्र नही मिला है यानी बांटा ही नही गया है ।कनवर्जनी मनी जो लगभग 93195291 करोड़ है, बच्चो को यह राशि यह वितरित ही नही की गयी है।मामला तब प्रकाश में आया जब हनुमान गंज शिक्षा क्षेत्र के दुमदुमा कम्पोजिट विद्यालय में 29 बोरी खाद्यान्न मिला जो कोरोना काल मे बच्चो को वितरित किया जाना था ।अब देखने वाली बात यह  कि आगे नौनिहालों के खाद्यान्न को बीएसए दिलवा पाते है कि नही। या यूं ही कागजो में दौड़ लगाते हुए दम तोड़ देगा यह घोटाला ।


बाइट --मणि राम सिंह बीएसए बलिया



कम्पोजिट विद्यालय दुमदुमा के निलंबित प्रधानाचार्य आफताब की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही। जांच मे पकड़ी गयी 29 खाद्यान्न की बोरियों ने भी अब गवाही देनी शुरू कर दी है। कोविड 19 के समय चार चरणों मे सरकार द्वारा छात्रों मे वितरित करने के लिए जो खाद्यान्न वितरित करने के लिए मिला था, वह किसी भी चरण मे शत प्रतिशत वितरित हुआ ही नही है। ऐसे मे इसको लापरवाही को कत्तई नही कह सकते, यह तो खाद्यान्न गबन करने की साजिश है।

होना यह चाहिये था कि जब प्रथम चरण मे शतप्रतिशत खाद्यान्न का वितरण नही हुआ तो इसकी सूचना अपने विभाग के उच्चाधिकारियों को देते और अवशेष खाद्यान्न की मात्रा को कम कराकर नया उठान करते। लेकिन प्रधानाध्यापक ने पहले चरण से चौथे चरण तक यह गलती दुहारायी है। इसी के आधार पर कहने मे कोई गुरेज नही है कि यह लापरवाही नही गबन का द्योतक है।


अब तो सवाल यह है कि अभी तो चौथे चरण के खाद्यान्न का अवशेष पकड़ा गया है, तीन अन्य चरणों के अवशेष खाद्यान्न कहां है? अब जांच कमेटी की जांच मे ही खुलासा हो पायेगा।