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एम०डी०ए० अभियान : संवेदीकरण, मीडिया कार्यशाला का हुआ आयोजन




   बलिया।।  06 फरवरी 2023 को सर्वजन दवा सेवन अभियान (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया कि अध्यक्षता में बलिया जनपद के समस्त मीडिया बंधुओं का एम०डी०ए० अभियान हेतु संवेदीकरण, मीडिया कार्यशाला के माध्यम से किया गया । उक्त कार्यशाला का प्रारंभ  वी०बी०डी० नोडल डॉ० अभिषेक मिश्रा द्वारा स्वगत एवं  सर्वजन दवा सेवन अभियान  2023 के विषय में प्रस्तुतीकरण करके किया गया ।

 मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया द्वारा अवगत कराया गया कि  सर्वजन दवा सेवन अभियान जनपद में दिनांक 10 से 27 फरवरी 2023 के मध्य किया जाएगा । गौरतलब हैं कि फाइलेरिया दीर्घकालिक विकलांगता का विश्व में दूसरा प्रमुख कारण है यह आमतौर पर हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। मच्छरों के काटने से जब सूक्ष्म फाइलेरिया परजीवी मनुष्य के शरीर में पहुंच जाते हैं तब संक्रमण होता है । आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी होना, त्वचा का लाल हो जाना, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन इसके मुख्य लक्षण हैं  । दीर्घकालिक (5 से 15 वर्ष) संक्रमण के बाद व्यक्ति में हाथीपांव, हाइड्रोसील (पुरुषों के अंडकोष में सूजन) या काईल्युरिया (पेशाब में सफेद रंग के द्रव का आना), महिलओं में स्तन में सूजन, आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं । वर्त्तमान में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस 72 देशों में  एंडेमिक है और 85 करोड़ 60 लाख की जनसँख्या को फाइलेरिया होने का खतरा है ।

 यद्यपि फाइलेरिया जानलेवा नहीं है, लेकिन यह प्रभावित व्यक्तियों एवं उनके परिवारों पर गंभीर सामाजिक और आर्थिक प्रभाव डालता है । इसका प्रभाव भारत के 328 जिलों में है, उत्तर प्रदेश के 75 में से 51 जिलों में फाइलेरिया का प्रभाव है ।  लिम्फेटिक फाइलेरियासिस एक मच्छर जनित बीमारी हैं, जो तीन प्रकार के कृमि  संक्रमण से होती हैः वूचेरिया बैंक्रॉफ्टाई, ब्रुजिया मलाई एवं  ब्रुजिया टिमोरी । फाइलेरिया का  वाहक क्यूलेक्स प्रजाति का मच्छर  होता हैं यह मुख्यतः मानव आबादी के पास पनपता है। क्यूलेक्स  एक घरेलु मच्छर है जो आमतौर पर गंदे पानी में पनपता है किन्तु गन्दा पानी न मिलने पर साफ पानी में भी पनप सकता है। अंडे से लेकर वयस्क होने तक इसका जीवन चक्र 10-14 दिन का होता है । मच्छर के काटने पर फाइलेरिया कृमि मनुष्य के  शरीर में प्रवेश करता हैं, लसीका वाहनियाँ वयस्क फाइलेरिया कृमि के रहने का प्रमुख स्थान हैं ।

फाइलेरिया का संक्रमण अक्सर बचपन में ही शुरू हो जाता है । संक्रमित व्यक्तियों के रक्त में माइक्रोफाइलेरिया लम्बे समय तक निष्क्रिय रह सकता हैं । अधिकांश प्रभावित व्यक्ति के शरीर में कोई लक्षण उत्पन्न नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति फाइलेरिया परजीवी हेतु संग्राहक का काम करते हैं जिनका संचरण मच्छरों  द्वारा अन्य स्वास्थ्य व्यक्तियों के बीच किया जाता हैं। फाइलेरिया  परजीवी  शरीर की लसीका वाहनियाँ  में निवास करता हैं एवं वयस्क के रूप में विकसित होता हैं । फाइलेरिया परजीवी के लम्बे समय तक शरीर में रहने के परिणाम स्वरुप अंगों में धीरे-धीरे सूजन की शुरुआत हो जाती हैं, जो आमतौर पर पैरों बाहों, स्तनों और जननांगों में होते हैं। सूजन अधिकांशतः शरीर के एक ही अंग जैसे कि पाँव, हाथ, स्तन आदि में होता हैं परन्तु कई मामलों में यह शरीर के दोनों पाँव, हाथ, स्तनों में भी पाया जाता हैं । फाइलेरिया संक्रमण के परिणाम स्वरुप उत्पन्न सूजन को अगूठे से दबाए जाने पर गड्ढे नहीं बनाते जैसा कि अन्य बिमारियों के कारण उत्पन्न सूजन में मिलता हैं।

एडिनोलिम्फैजाइटिस या एक्यूट अटैक फाइलेरिया की सबसे आम एक्यूट अभिव्यक्ति है ।  हर एक्यूट अटैक के साथ बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है एवं जीवन स्तर खराब हो जाता है । अतः एक्यूट अटैक रोकना एवं ठीक करना अति महत्वपूर्ण है। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए दो मुख्य रणनीति हैं । पहली रणनीति मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) हैं इसमें सभी पात्र व्यक्तियों को वर्ष में एक बार, दो दवाएं (एल्बेंडाजोल और डी॰ई॰सी) खिलाई जाती हैं । रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता कि रोकथाम दूसरी  रणनीति  हैं, इस रणनीति में, घर पर लिम्फेडेमा के मरीज के प्रबंधन हेतु रोगियों और उनके परिजनों को प्रशिक्षण दिया जाता है एवं जिला अस्पताल एवं ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों में हाईड्रोसील के मरीजों की सर्जरी की जाती हैं । मास ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन (एम॰डी॰ए) के दौरान लाभार्थियों को प्रति वर्ष सर्वजन दवा सेवन अभियान के अंतर्गत फाइलेरिया रोधी दवाओं की एक खुराक दी जाती है । जिसका सेवन ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने किया ही जाना चाहिए ।

 इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग कि दो सदस्यीय टीम घर-घर जाकर लोगो को दवा का सेवन कराएगी । ग्रामीण क्षेत्रों में, एक सदस्य उसी गांव की आशा बहन होंगी, दूसरा सदस्य अगंवाडी कार्यकत्री या नोडल व्यक्ति द्वारा चिन्हित कोई अन्य कार्यकर्ता होगा । प्रतिदिन कार्यक्रम का प्रारंभ प्रातः 11 बजे से किया जाएगा तथा इसका संचालन बुधवार, शनिवार एवं रविवार को नहीं होगा । प्रत्येक टीम को एक दिन की एक्टिविटी में 25 घरों का भ्रमण करना होगा । जिसमे लगभग 125 लोगों को अपने सामने दवा का सेवन कराना होगा । गतिविधि सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को होगी । दैनिक रूप से प्रत्येक दिन कि गतिविधि के बाद ब्लाक एवं जनपद स्तर पर समीक्षा बैठक होगा । दवा खिलने के बाद लाभार्थी के दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली के नाखून पर मार्कर पेन (पोलियों वाला) से निशान लगाया जाएगा तथा हाउस मार्किंग कि जाएगी । 

एम॰डी॰ए कार्यक्रम का उद्देश्य संक्रमित व्यक्तियों के रक्त में माइक्रोफाइलेरिया के  घनत्व को कम करना, समुदाय में फाइलेरिया संक्रमण को निम्न स्तर तक लाना जिससे फाइलेरिया का संचरण ना हो, फाइलेरिया रोगियों में रोग की रोकथाम एवं नए संक्रमित व्यक्तियों में रोग के घम्भीर लक्षणों को उत्पन्न होने से रोकना हैं । एम॰डी॰ए वयस्क कृमियों की प्रजनन क्षमता को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाता है और कम करता है तथा रक्त में घूमनेवाले माइक्रोफिलेरिया को कम करता है । एल्बेन्डाज़ोल तथा डी०ई०सी दवाओं के सेवन पर माइक्रोफाइलेरिया नष्ट होने से शरीर पर कुछ सामान्य प्रभाव हो सकते हैं । प्रतिकूल प्रभाव सामान्यतः उन्ही लाभार्थी में देखने को मिलता है जिनके शरीर में फाइलेरिया के कृमि होते है, अतः दवा सेवन करने पर कृमि के मरने के कारण शरीर में प्रतिक्रिया होती है । एम०डी०ए० दवाओं के सेवन से कुछ व्यक्तियों में  सरदर्द, चक्कर आना, बुखार ,  उल्टी/ मतली,  पेट में दर्द,  डायरिया आदि हो सकते हैं, ये लक्षण कुछ देर में स्वतः ही ठीक हो जाते हैं । वर्त्तमान में जनपद बलिया में फाइलेरिया के कुल 1762 मरीज संसूचित हैं, जिनमे से ज्यादातर मरीज पंदह, बलिया शहर, सोहाव, हनुमानगंज, दुबहड़, बेरुवारबरी एवं बांसडीह से हैं ।

उक्त अभियान के अंतर्गत बलिया के कुल 30,25,109 लक्षित जनसंख्या को दवा का सेवन कराया जाएगा जिसमे से  2 से 5 वर्ष के 30,9,962 लाभार्थी तथा  5 से 14 वर्ष के 6,68,070 लाभार्थी चिह्नित किये गए हैं ।  इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग कि कुल 2772 टीमें कार्य करेगी इनके पर्यवेक्षण हेतु 439 पर्यवेक्षकों कि तैनाती कि गई हैं, जिनमे आई०सी०डी०एस०, स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभागों के कार्मिक तथा स्वयंसेवक होगे । उक्त अभियान के गुणवत्तापूर्ण संचालन हेतु अल्पसंख्यक कल्याण, बेसिक शिक्षा, पूर्ति अधिकारी, विद्यालय निरीक्षक, आजीविका मिशन, आई०सी०डी०एस० तथा  पंचायत राज विभाग द्वारा आवश्यक आदेश निर्गत किये गए हैं  ।












इस अभियान के सफल संचालन हेतु जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी द्वारा भी अपील जारी कि गई हैं ।  जिला मलेरिया अधिकारी श्री सुनील कुमार यादव  द्वारा बताया गया अभियान के सफल संचालन हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न विद्यालयों का संवेदीकरण किया जा रहा हैं जिसके अंतर्गत, चित्रकारी एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, इसके साथ ही महिला समूह की बैठकें, विभिन्न विभागों का संवेदीकरण, स्कूल रैली, प्रभात फेरी, लघु बैठकें, हेल्थ स्टाल, माइकिंग आदि के माध्यम से भी जनसामान्य को सर्वजन दवा सेवन अभियान के बारे में संवेदित किया जा रहा हैं ।







 मीडिया कार्यशाला में मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया डॉ०जयंत कुमार द्वारा समस्त मीडिया कर्मियों से अपील कि गई कि वे जनसामान्य को जागरूक करे कि वे एक वर्ष से अधिक आयु के समस्त व्यक्तियों को (ड्रग डोज के अनुसार) फाइलेरिया नियंत्रण हेतु एल्बेन्डाजोल एवं डी०ई०सी० दवाओं का सेवन करने के लिए प्रेरित करें । डॉ० जयंत ने बताया कि गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोंगों से ग्रसित व्यक्तियों तथा एक वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों को यह दवा नहीं खानी हैं तथा उच्च रक्त चाप, मधुमेह, अर्थराइटिस अन्य बीमारी की दवाइयों के साथ इस दवा का सेवन कर सकते हैं।



नोडल वी०बी०डी० डॉ० अभिषेक मिश्रा द्वारा बताया गया कि फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं/ ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने ही करना हैं इस अभियान हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करना कि यह दवायें, फाइलेरिया न हो, इसलिए दी जाती हैं ।  फाइलेरिया  होने के बाद इलाज संभव नहीं है । जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि एम०डी०ए० की दवा खाली पेट नहीं खानी है तथा एल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खानी है, उन्होंने बताया कि एम०डी०ए० की दवा किसी को भी घर पर रखने या बाद में खाने के लिए नहीं दी जाएगी । इस अभियान में आशा के घर को डिपों के रूप में स्थापित किया गया हैं, जिससे छूटे हुए लोग बाद में आशा के घर जाकर आशा के सामने औषधि का सेवन कर सके । सम्पूर्ण “सर्वजन दवा सेवन अभियान” का पर्यवेक्षण पाथ तथा डब्लू०एच०ओ० संस्थाओं द्वारा किया जाएगा । कार्यशाला का समापन डॉ० मिश्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया ।