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वाह रे, बलिया का स्वास्थ्य विभाग : जब खोलने का आदेश दिया गया था तब थी सही, अब स्वास्थ्य विभाग की ही जांच मे पाया गया अमृत फार्मेसी का संचालन अवैध, कराया गया खाली



स्वास्थ्य टीम की जांच में अमृत फार्मेसी का संचालन पाया गया अवैध


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। डॉ वेंकटेश मौआर की न्यायिक हिरासत मे मौत के बाद बांसडीह सीएचसी परिसर मे संचालित अमृत फार्मेसी के संचालन को चिकित्सकों द्वारा बंद कराने की मांग की गयी थी। सूच्य हो कि इसी फार्मेसी के संचालक द्वार कथित रूप से रिश्वत देकर विजिलेंस टीम द्वारा डॉ वेंकटेश को पकड़वा दिया गया था। जहां डॉ वेंकटेश मौआर की  वाराणसी मे न्यायिक हिरासत मे संदिग्ध परिस्थितियों मे मौत हो गयी थी। तभी से यह फसाद की जड़ हो गयी थी। बलिया का सीएमओ ऑफिस कब क्या आदेश जारी कर दे या कब अपनी ही दूसरी जांच मे गलत कहकर आदेश जारी करदे, यह कहा नहीं जा सकता है । बता दे कि बलिया का औषधि व प्रसाधन विभाग भी कितना सक्रिय है, इस एक घटना से बखूबी समझा जा सकता है। यह अमृत फार्मेसी बिना औषधि एवं प्रसाधन विभाग से रजिस्टेशन के ही चलायी जा रही थी। बलिया का ड्रग कंट्रोलिंग अथॉरिटी एकदम आंखे बंद करके बैठी हुई प्रतीत हो रही है।स्व डॉ मौआर ने इसी पर सवाल उठाया था, चिट्ठी भी लिखी थी, जिसका नतीजा उनको भुगतना पड़ा। सब से हैरान करने वाली बात तो यह है कि जब कोई आदेश दिया ही नहीं गया था तब अपर मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया डॉ आनंद कुमार ने डीपीएम बलिया और  डॉ वेंकटेश की उपस्थिति मे कैसे इस दुकान का उद्घाटन किये।

    बता दे कि जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.संजीव वर्मन ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बांसडीह परिसर में संचालित अमृत फार्मेसी की तीन सदस्यीय स्वास्थ्य टीम द्वारा जांच कराई।




          मुख्य चिकित्साधिकारी ने स्वास्थ्य टीम की जांच में अमृत फार्मेसी का संचालन अवैध पाए जाने के उपरांत जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विजय यादव की अध्यक्षता में स्वास्थ्य टीम गठित की तथा उप जिलाधिकारी बांसडीह द्वारा नायब तहसीलदार एवं थाना प्रभारी की टीम गठित की गई। इन दोनों टीमों ने संयुक्त रूप से कार्यवाही कर अमृत फार्मेसी को खाली करा दिया है। सूच्य हो कि इस फार्मेसी जब शुरू हुई थी तब सही थी और अब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच मे इसके संचालन को अवैध घोषित करके खाली करा दिया गया । सवाल यह उठ रहा है खुलने से पहले कैसे दस्तावेज सही थे? वैसे आज की इस घटना पर तुलसीदास की चौपाई याद आ रही है - जश करनी तस भोगन डाटा।