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गंगा जमुनी तहजीब के जिंदा मिशाल रहे बुद्धिसेन शर्मा- यश मालवीय



इश्क सुल्तानपुरी बनें बुद्धिसेन के श्रवण कुमार

वरिष्ठ शायर डॉ. असलम इलाहाबादी, वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र और शायरा अना इलाहाबादी को मिला ‘बुद्धिसेन शर्मा सम्मान’

प्रयागराज। बुद्धिसेन की गजल सुनना पूरे काल खण्ड को सुनना होता है।"उनको चाहने वाले बहुत हैं" किताब बुधिसेन  शर्मा के व्यक्तित्व को बताती रहेगी। यह उद्गार कवि व साहित्यकार यश मालवीय ने उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में दिया।

गुफ़्तगू संस्था के तत्वावधान में दिवंगत शायर बुद्धिसेन शर्मा का जन्मोत्सव उनके जन्म दिवस 26 दिसंबर सोमवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में मनाया गया। इस अवसर पर बुद्धिसेन शर्मा की पुस्तक ‘हमारे चाहने वाले बहुत हैं’ व अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद' का काव्य संग्रह 'सोंधी महक' व गुफ़्तगू के नये अंक का विमोचन भी किया गया।

 गुफ़्तगू द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ शायर डॉ. असलम इलाहाबादी, वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र और शायरा अना इलाहाबादी को ‘बुद्धिसेन शर्मा सम्मान’ से नवाजा गया।








 कार्यक्रम में बुद्धिसेन शर्मा के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए गीतकार यश मालवीय ने  कहा कि बुद्धिसेन शर्मा गंगा जमुना तहजीब के जिंदा मिशाल थे। उनकी गजलों को सुनना ऐसा लगता है कि पूरा एक काल खंड को सुन रहे हैं।वो इलाहाबाद के इतिहास पुरूष रहे हैं।शर्मा जी गजल में ही रहते जीते थे।

इश्क सुल्तानपुरी ने गुरु शिष्य परंपरा में नया आयाम दिया। वह बुद्धिसेन शर्मा के श्रवण कुमार बन गए। हालांकि के के मिश्र 'इश्क सुल्तानपुरी' उन्हें पुत्र नहीं हैं लेकिन वह श्रवण कुमार से कम भी नहीं हैं। दरअसल लेखक की असल जिंदगी उसकी मौत के बाद ही शुरू होती है।इम्तियाज अहमद गाजी ने बुद्धिसेन शर्मा की किताब का सम्पादन कर  उन्हें फिर से जीवंत कर दिया। अब के० के० मिश्रा व इम्तियाज अहमद गाज़ी  पंडित जीकी दो आंखे हैं।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में अली अहमद फातमी ने कहा कि हम बुद्धिसेन शर्मा को मीर तकी के समकक्ष मान सकते हैं।सादगी से शेर कहना उनकी शख्सियत की निशानी थी। जिंदगी का जो फशलफ़ा उन्हेंने सीखा वह उनकी शायरी  में दिखता है। वो सादगी के साथ सामने के शब्द उठाते हैं। उन शब्दों को शायरी में नगीने की तरह  पिरोते थे। सर से पांव तक शायर थे खुद ही उर्दू ग़ज़ल थे।उनकी शायरी में गजब की सादगी एक फकीरी थी।


मशहूर शायर अजीत शर्मा ने अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद' पुस्तक  'सोंधी महक' पर बोलते हुए कहा कि काव्य संग्रह में 28 कविताओं में गांव के ज़न जीवन को उकेरा है।गांव की तमाम विसंगतियों एवं आडम्बरों पर करारा प्रहार किया।


वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने बुद्धिसेन शर्मा के जन्मोत्सव का आयोजन करना, उनकी रचनाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने को,ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि गुफ़्तगू परिवार से जुड़ने के बाद बुद्धिसेन शर्माजी से ज्यादा जुड़ाव हुआ। उनकी गज़ल ही उनके व्यक्तित्व का बयान करती है।हमारे चाहने वाले बहुत हैं, इसकी एक बानगी है।सोंधी महक, गांव के जीवन से जुड़ी हुई कविता संग्रह है। पुस्तक  की रचनाओं में गांव की विलुप्त होती चीजों को उठाया गया है।

मुख्य अतिथि बद्री प्रसाद  सिंह ने इश्क सुल्तानपुरी के प्रयास की सराहना की। उन्होंने गुफ़्तगू के 20 साल के सफर को मिल का पत्थर बताया।इंस्पेक्टर के०के० मिश्र'इश्क सुल्तानपुरी ने  उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्धिसेन शर्मा हमारे आत्मिक गुरु थे। उनकी सींख और यादों की सँजोने का सही तरीका उनकी नवीन रचनाओं का संग्रह कर उसका प्रकाशन रहा है। मेरे साथ रहते हुए उन्होंने वो सारे गुर हमें सिखाते रहे जिनका उन्हें इल्म था।


कार्यक्रम की अध्यक्षता  मशहूर उर्दू आलोचक अली अहमद फातमी व मुख्य अतिथि के तौर पर   बद्री प्रसाद सिंह पुलिस महानिरीक्षक,सेवानिवृत मौजूद रहे।अतिथि के रूप में गीतकार यश मालवीय, डॉ० सरोज सिंह,प्रवक्ता सीएमपी डिग्री कालेज, अजीत शर्मा रहे।कार्यक्रम का संचालन शैलेन्द्र जय व संयोजन डॉ० के०के० मिश्र'इश्क सुल्तानपुरी' ने किया।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन हुआ जिसमें देश भर के नामचीन कवि व शायरों के अपनी रचनाओं व कलामों को पेश किया।जिसमें वाराणसी से शंकर बनारसी,वेद प्रकाश शुक्ल,संजर' जौनपुर से इबरत,औरैया से अयाज अहमद अयाज, मशहूर व्यंगकार फरमूद इलाहाबादी,तलब जौनपुरी,अशोक श्रीवास्तव, अजीत शर्मा,विभा लक्ष्मी विभा,नरेश कुमार महारानी,अनिल मानव ,इश्क सुल्तानपुरी,शिवपूजन सिंह, क्षमा द्विवेदी,शाहिद सफर,विवेक सत्यांशु सरोज सिंह असद गाजीपुरी आदि शामिल रहे।