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नगर निकाय चुनाव पर आया हाई कोर्ट का फैसला, ओबीसी आरक्षण का नोटिफिकेशन रद्द, ईओ और केंद्रीकृत कर्मचारी अब नहीं काट पायेंगे चेक, जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों वाली कमेटी करेंगी भुगतान



मधुसूदन सिंह

लखनऊ ।। यूपी मे नगर निकाय चुनाव को लेकर सरकार द्वारा जारी ओबीसी के आरक्षण के नोटिफिकेशन को प्रयागराज उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने रद्द करते हुए इसके लिये दाखिल जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है।

माननीय न्यायालय ने सरकार द्वारा जारी ओबीसी आरक्षण को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिये गये ट्रिपल टी के खिलाफ बताते हुए इस नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए कहा है कि अगर सरकार चुनाव कराना ही चाहती है तो ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य माना जायेगा। वही कोर्ट ने पिछले 12 दिसंबर को शासन द्वारा नगर निकायों के कार्यों को सम्पादित करने के लिये  नगर आयुक्त / अधिशासी अधिकारियों के साथ एक केंद्रीकृत कर्मचारी (लेखाकार / लेखा लिपिक )को दिन प्रति दिन के कार्यों को सम्पादित करने के लिए अधिकृत किया गया था, को कोर्ट ने निरस्त करते हुए एक नई व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया है।








अब नगर निकायों के कार्यों को सम्पादित करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता मे तीन सदस्य वाली कमेटी गठित की जायेगी। इस कमेटी मे जिलाधिकारी अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी सदस्य और तीसरे सदस्य के रूप मे जिलाधिकारी द्वारा नामित एक अधिकारी होगा। अब कोई भी भुगतान इस तीन सदस्यों वाली कमेटी के हस्ताक्षर से ही हो पायेगा।




वही ओबीसी के आरक्षण के नोटिफिकेशन के रद्द हो जाने से ओबीसी वर्ग द्वारा इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय मे जाने की संभावना बढ़ गयी है। अगर ऐसे होता है तो चुनाव मे देर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।