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वाह रे आईजीआरएस को मॉनिटर करने वाले अधिकारी गण, योगी सरकार मे भी बने संवेदनहीन, सांड के इलाज से ईओ ने पल्ला झाड़ा




मधुसूदन सिंह

बलिया।। योगी सरकार जितनी संवेदनशील है, लगता है उसके नौकरशाहों मे वह जज्बा व संवेदनशीलता की कमी है। यह मै ऐसे ही नहीं सबूतों के आधार पर कह रहा हूं। जिस सोच के साथ हमारे मुख्यमंत्री योगी जी ने जनसुनवाई पोर्टल की शुरुआत की थी आज वह पोर्टल अधिकारियों के फर्जी आख्याओं और इसको मॉनिटर करने वाले अधिकारियो की आंख बंद कर आख्याओं पर अपनी सहमति प्रदान कर शिकायतों का निस्तारण कर देना, एक अच्छी सोच वाले मुख्यमंत्री की सोच के साथ विश्वासघात के अलावा कुछ नहीं है।







सभी को पता है कि मुख्यमंत्री जी गोवंश के संरक्षण और उनके रख रखाव के प्रति कितने संवेदनशील है। इनकी संवेदनशीलता ही है कि पूरे प्रदेश के प्रत्येक न्याय पंचायतों और शहरी / टाउन एरिया मे गो आश्रय केंद्र बनाये गये है। जहां गो वंशीय जानवरों को रखकर खिलाया जाता है, इनके इलाज की व्यवस्था की जाती है। लेकिन बलिया शहर के आनंद नगर, रामपुर मुहल्लों मे घायलावस्था मे एक सांड महीनों से घूम रहा है। ज़ब बार बार इसके इलाज के लिये नगर पालिका के ईओ और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से संपर्क करने के बाद भी ज़ब इलाज शुरू नहीं हुए तो घायल सांड के इलाज के लिये आईजीआरएस के माध्यम से शिकायत यह सोच कर की गयी कि ऊपर बैठे अधिकारियो के संज्ञान मे आते ही इसका इलाज शुरू हो जायेगा। लेकिन ज़ब इस शिकायत का निस्तारण होने की सूचना आयी तो मेरे पैरो तले की जमीन जो विश्वास पर टिकी थी, खिसकती नजर आयी है।



जिन ऊपर के अधिकारियो के संवेदनशील होने का मुझे पूरा भरोसा था, वे भी स्थानीय अधिकारियो की तरह ही संवेदनहीन निकले। अपनी आख्या मे ईओ नगर पालिका सत्यप्रकाश सिंह ने यह लिखा है कि इनका काम बछडो और गायों को रखना और खिलाना है, किसी सांड को नहीं। इसके इलाज के लिये इस शिकायत को पशु चिकित्सा विभाग को भेज दिया जाय। इनके मन मे इस बेज़ुबान के दर्द के प्रति कोई भी सहानुभूति नहीं है, क्योंकि ये अधिकारी जो ठहरे। इस प्रकरण मे केवल ईओ ही संवेदनहीन नहीं दिखे है बल्कि बलिया मे और ऊपर बैठा एक भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिखा जो इस जानवर को चिकित्साकीय सुविधा दिलाने के प्रति संवेदनशील दिखा हो।

ऐसे संवेदनहीन अधिकारियो के इस आचरण से सीएम योगी का गो वंशीय जानवरों के संरक्षण का पवित्र प्रयास भी लोगों के मध्य सवालों के घेरे मे आ गया है। ऐसे अधिकारियो की उपेक्षा के कारण ईश्वर न करें इस सांड की अगर जीवन लीला खत्म हुई तो निश्चित रूप से योगी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट की बलिया मे मौत समझी जाएगी।