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मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों के तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन को किया सम्बोधित : भारतीय मनीषा ने आपदा को आधिदैविक आपदा, आधिभौतिक आपदा तथा आध्यात्मिक आपदा में किया विभाजित



समय से प्रशिक्षण, जागरूकता के कार्यक्रमों तथा बचाव के उचित उपाय से आपदा से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में  प्राप्त हो सकती है सफलता

 

लखनऊ।।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से भी एक बड़ा राज्य है। इस कारण प्रदेश में आपदा से सम्बन्धित चुनौतियां भी बड़ी हैं। समय से प्रशिक्षण और जागरूकता के कार्यक्रम चलाने तथा बचाव के उचित उपाय किये जाएं, तो आपदा से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में सफलता प्राप्त हो सकती है।

मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश की मेजबानी में राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों के तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि इस सम्मेलन में असम, उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, राजस्थान तथा हरियाणा प्रतिभाग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने नेशनल रिमोट सेन्सिंग सेन्टर, हैदराबाद द्वारा तैयार किये गये, उत्तर प्रदेश फ्लड हेजार्ड एटलस का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन0डी0एम0ए0) के मार्गदर्शन में 09 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों का क्षेत्रीय सम्मेलन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हो रहा है। उन्होंने विभिन्न राज्यों से आये हुए राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एस0डी0एम0ए0) के पदाधिकारियों एवं अन्य उच्चाधिकारियों का उत्तर प्रदेश शासन की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि दो दिवसीय यह क्षेत्रीय सम्मेलन अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा। हम सभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आभारी हैं, जिन्होंने आपदा जैसे संवेदनशील विषय को ध्यान में रखकर एन0डी0एम0ए0 को और अधिक सक्रिय करते हुए उनके अच्छे प्रशिक्षण तथा जनपद स्तर पर आपदा मित्रों की तैनाती की अच्छी शुरूआत की है। 

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बहुत से विषयों पर कार्य किया जा सकता है। आपदा के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित होते हैं। इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ईमानदारी के साथ आपदा पर नियंत्रण करने के लिए कार्यक्रम प्रारम्भ किये जाएं, तो यह सम्भव है। उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा की कृपा का प्रदेश है। प्रदेश में दो महीने के अन्तराल में अलग-अलग क्षेत्रों में बाढ़ आती है। विगत वर्ष राज्य के नेपाल से सटे जनपदों में पहले बाढ़ आयी थी। उसके बाद गंगा व यमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ देखने को मिली थी। इस वर्ष इसके विपरीत स्थिति दिखायी दी। पहले गंगा व यमुना से सटे जनपदों में, फिर उसके बाद नेपाल से सटे जनपदों मंे बाढ़ आयी। नेपाल से सटे जनपदों में हिमालय से आने वाली नदियों के कारण बाढ़ आती है। 

मुख्यमंत्री जी ने सरयू नदी में एल्गिन ब्रिज से सम्बन्धित घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले एल्गिन ब्रिज में बाढ़ के नाम पर प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते थे। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस क्षेत्र का दौरा किया और एल्गिन ब्रिज से सम्बन्धित प्रस्ताव पर विचार किया। उन्होंने नदी के बीच ड्रेजिंग कर नदी को चैनेलाइज्ड करने के निर्देश दिए। नदी के बीच 12 से 15 किलोमीटर लम्बा चैनल बनाया गया। नदी को चैनेलाइज्ड करने के बाद प्रथम वर्ष में मात्र 05 करोड़ रुपये के खर्च से बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान हो गया।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2017 से पूर्व 38 जनपद बाढ़ से प्रभावित थे। प्रबन्धन, नेक नीयती और समय पर किये प्रबन्धन प्रयासांे से यह आपदा मात्र 04-05 जनपदों तक सीमित रह गई है। जनपद वाराणसी तथा गाजियाबाद में एन0डी0आर0एफ0 कार्य कर रही है। प्रदेश मंे एस0डी0आर0एफ0 की तीन बटालियन वर्ष 2017 में गठित की गई थी। उनको अच्छे प्रशिक्षण के कार्यक्रम से जोड़ा गया। राज्य में पी0ए0सी0 की 17 कम्पनियां गठित की गई हैं, जो फ्लड यूनिट या आपदा के समय कहीं भी राहत कार्य के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले आपदा से सम्बन्धित विषय स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा होता था। भूकम्प, आग लगने तथा बाढ़ के समय किये जाने वाले उपाय आदि विषयों पर काफी चर्चाएं होती थी और इनके सम्बन्ध में कक्षाओं में बताया भी जाता था। आपदा मित्रों की तैनाती और उनके प्रशिक्षण के कार्यक्रम एक अच्छी शुरूआत है। इसे बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने और बच्चों की ट्रेनिंग तथा ग्राम पंचायतों को इसके साथ जोड़ना चाहिए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से प्रदेश मंे बड़े पैमाने पर मृत्यु होती है। आकाशीय बिजली गिरने से 75 से 90 फीसदी मृत्यु केवल दो जनपदों मिर्जापुर व सोनभद्र में ही होती हैं। यहां पर इसके सम्बन्ध में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाया जाना चाहिए। इसकी तकनीक विकसित हो चुकी है। आने वाले समय में 04 से 06 घण्टे पूर्व यदि सायरन बजाने अथवा किसी अन्य माध्यम से लोगों को सावधान करने की व्यवस्था की जाए, तो आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली जनहानि को बड़े पैमाने पर रोक सकते हैं। इस दिशा में एस0डी0एम0ए0 उत्तर प्रदेश कार्य कर रहा है। अग्निकांड से जुड़ी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इसके बचाव के लिए अच्छा कार्य कर सकते हैं।  

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ने भारतीय मनीषा ने आपदा को तीन भागों में विभाजित किया है। आधिदैविक आपदा, जिसे दैवीय आपदा मानते हैं। आधिभौतिक आपदा, जो किसी वन्य प्राणी के द्वारा किया जाने वाले नुकसान है। प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में अक्सर जंगली जानवरों के हमले से जन हानि होती है। इसे भी प्रदेश में आपदा की श्रेणी में रखा गया है। तीसरा आध्यात्मिक आपदा, जो किसी शारीरिक और मानसिक व्याधि के कारण होने वाला नुकसान है। कोरोना सदी की सबसे बड़ी महामारी थी। इससे अनेक मौतें हुईं। भारत में समय से लिये गये निर्णय और समय पर की गई कार्यवाही के बेहतर परिणाम रहे। भारत का कोविड प्रबन्धन दुनिया में मॉडल के रूप में देखा गया। प्रधानमंत्री जी ने स्वयं पूरे अभियान को नेतृत्व प्रदान किया।








मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क दुर्घटना की चुनौती हमारे सामने है। यह दुःखद सच है। प्रदेश मंे विगत ढाई वर्षों में कोविड से 23 हजार 600 से ज्यादा मृत्यु हुईं, जबकि सड़क दुर्घटना में प्रदेश मंे प्रति वर्ष 22 हजार से अधिक मृत्यु होती है। यह हमारे सामने बहुत बड़ी चुनौती है। समाज में जागरूकता का अभाव है। कुछ स्थानों पर इंजीनियरिंग आदि की कमी हो सकती है, लेकिन जागरूकता की कमी बड़ा कारण है। हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना, तेज गति से वाहन चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना आदि की इसमें बड़ी भूमिका है। यदि लोगों को इस सम्बन्ध में जागरूक कर दें, इसे स्कूल पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना दंे, आपदा मित्र लोगों को अवगत कराना प्रारम्भ करें तथा हैण्डबिल के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करें, तो व्यापक पैमाने पर होने वाली जनधन की हानि को रोका जा सकता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 09 राज्यांे तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से जुड़े दो दिवसीय इस आयोजन में आए एन0डी0एम0ए0 तथा एस0डी0एम0ए0 के प्रतिनिधिगण अपने-अपने सफल प्रयोगों पर अध्ययन, चिन्तन तथा मन्थन करते हुए किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। इसके माध्यम से किसी भी प्रकार की आपदा से होने वाली जन और धन की हानि को न्यूनतम करते हुए शून्य स्तर तक पहुंचाने में सफल होंगे। इसका व्यापक लाभ आने वाले समय में देश को प्राप्त होगा।

इस अवसर पर राजस्व राज्य मंत्री श्री अनूप प्रधान ‘वाल्मीकि’, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, सूचना एवं गृह श्री संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव राजस्व श्री सुधीर गर्ग, एन0डी0एम0ए0 के सदस्य सचिव श्री कमल किशोर, एन0डी0एम0ए0 के सदस्य श्री राजेन्द्र सिंह, लेफ्टिनेन्ट जनरल (सेवा निवृत्त) सैयद अता हसनैन, डॉ0 कृष्णा एस0 वत्स, यू0पी0एस0डी0एम0ए0 के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेन्ट जनरल (सेवा निवृत्त) आर0पी0 शाही, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्री संजीव कुमार जिंदल, एन0डी0एम0ए0 के संयुक्त सचिव श्री कुनाल सत्यार्थी, निदेशक एन0आर0एस0सी0 डॉ0 प्रकाश चौहान, सूचना निदेशक श्री शिशिर, 09 प्रतिभागी राज्यों के डेलिगेट्स व आपदा प्रबन्धन से जुडे़ अधिकारी उपस्थित थे।