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अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने आयोजित की संगोष्ठी, भारत नेपाल के पत्रकार हुए शामिल



साहित्यकारों पत्रकारों को राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर किया गया सम्मानित 

जयनगर(मधुबनी) बिहार।।राष्ट्रीय प्रेस दिवस(16नवम्बर ) पर भारत और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास अवस्थित मधुबनी जिले के जयनगर में पत्रकारीय-साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की गई। जानकीदेवी गौड़ीशंकर सर्राफ महिला महाविद्यालय जयनगर में आयोजित इस कार्यक्रम में मधुबनी, सुपौल, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पटना, आरा(भोजपुर) समेत उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और नेपाल के सिरहा और धनुषा जिले के पत्रकार और साहित्यकार सहभागिता किये। पत्रकारों और साहित्यकारों के सबसे सक्रिय संगठन भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की मधुबनी जिला द्वारा इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।





राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को दो सत्रों में संचालित किया गया। प्रथम सत्र में साहित्यिक परिचर्चा आयोजित की गई जिसका विषय था- मिथिला में साहित्य और दर्शन की प्राचीन एवं समृद्ध परंपरा और इसका भविष्य। सबसे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। निर्धारित विषय पर सभी साहित्यकारों ने अपना मंतव्य प्रस्तुत किया। इस सत्र की अध्यक्षता साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता साहित्यकार डॉ. कमलकान्त झा ने की। डॉ. झा बोले कि मिथिला आर्थिक रूप से भले ही संपन्न नहीं है लेकिन बौद्धिक संपदा के मामले में यह बहुत ही उर्वर भूमि है।

 प्रयागराज से आए और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. भगवान प्रसाद उपाध्याय ने संगठन और समाज विषय को उद्धृत करते हुए बताया कि जिस तरह हम समाज में रहते हैं और समाज को हमारी तथा हमें समाज की आवश्यकता होती है उसी तरह संगठन होता है। मिथिला हमेशा से विद्वानों, तंत्रविद्या और दर्शन में निपुण गुणियों की धरा रही है। साहित्यकार आलोक भारती ने बताया कि मैथिली बहुत ही मधुर भाषा है और भाषा का प्रभाव व्यवहार में भी दृष्टिगोचर होता है। आईएनजेएफ के देश दर्शन प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रभारी प्रदीप सिंह ने साहित्य और जीवन यात्रा के संबंध को बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य में यात्रा वृत्तान्त का अलग और अनोखा महत्त्व रहा है।


कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम सत्र में पत्रकारिता विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई और इस सत्र का विषय था- राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका। इस विषय पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि और महिला कॉलेज जयनगर के अध्यक्ष समाजसेवी गिरधर सर्राफ ने कहा कि मीडिया का रोल हमेशा नकारात्मक नहीं होना चाहिए बल्कि जो बेहतर हो रहा है और उसे और कैसे श्रेष्ठ बनाया जा सके, इस उद्देश्य के साथ भी आगे आना चाहिए। डिग्री महिला कॉलेज जयनगर के प्राचार्य प्रो. युगुतलाल सिंह ने कहा कि आज के आधुनिक समय में मीडिया बहुत प्रभावशाली हो गया है और तकनीक के कारण इसके स्वरूप में बदलाव आया है। वहीं संगठन के राष्ट्रीय प्रकाशन सचिव और इंटर महिला कॉलेज के प्राचार्य प्रो. जगदीश प्रसाद यादव ने कहा कि अब जमाना न्यू मीडिया यानि डिजिटल और सोशल मीडिया का है और यह मीडिया पारंपरिक मीडिया से अधिक लोकतांत्रिक, जनसुलभ और प्रभावी है। 

पत्रकार और महिला विकास मंच की मधुबनी जिला अध्यक्ष दीपशिखा सिंह ने पत्रकारिता के सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चौथे स्तंभ के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. जगदीश प्रसाद यादव ने की। कार्यक्रम में मंच संचालन संगठन के मधुबनी जिला अध्यक्ष साहित्यकार नारायण यादव ने किया और उनका सहयोग अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार सुरेश कुमार गुप्ता ने दिया।


कार्यक्रम में शामिल सभी पत्रकारों और साहित्यकारों ने दिए गए विषय पर  अपनी-अपनी बात रखा। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश कुमार गुप्ता ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, वेब और सोशल मीडिया के प्रभाव और राष्ट्र निर्माण में उसकी सकारात्मक भूमिका को रोचक ढंग से बताया। संगठन के मधुबनी जिला महासचिव मनीष सिंह यादव ने पत्रकारिता और आत्मसम्मान पर बोलते हुए कहा कि पीत पत्रकारिता राष्ट्र और समाज के लिए घातक है। जिला कोषाध्यक्ष संजय कुमार पंडित ने डिजिटल मीडिया को वंचित और आर्थिक रूप से विपन्न लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प बताया।

युवा पत्रकार लक्ष्मण सिंह यादव ने राष्ट्रवादी पत्रकारिता को मजबूत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान की बात कही। संजय तिवारी ने पत्रकारिता में राष्ट्रविरोधी तत्वों के घुसपैठ पर नियंत्रण कर राष्ट्र रक्षा पर बल दिया। समाजसेवी रामप्रसाद राउत ने पत्रकारिता को कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका से भी अधिक शक्तिशाली बताया। नेपाल के सिरहा से आए संचारकर्मी नरेश चंद्र बरबरिया ने पत्रकारिता के माध्यम से भारत और नेपाल के बीच सम्बन्ध को बेहतर बनाने में योगदान की ओर रेखांकित किया। प्रो. हर्षनाथ चौधरी ने सोशल मीडिया के महत्त्व और खतरे विषय पर बात किये। सुपौल से आए ओजस्वी पत्रकार और युवा लेखक प्रेम आनन्द उपाख्य प्रमोद कुमार ने पत्रकारिता में प्रस्तुतिकरण और वाचन शैली के महत्त्व को बताया। हरलाखी के राजू शर्मा ने ओजस्वी वाणी से सबका ध्यानाकर्षण किया।


कार्यक्रम के द्वितीय सत्र के अंत में संगठन के राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों समेत नेपाल से आए पत्रकारों और मधुबनी जिला इकाई के सदस्यों को स्मृति चिह्न और प्रमाण पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की चर्चा मधुबनी जिला और नेपाल के सिरहा के समेत सम्पूर्ण उत्तर बिहार और नेपाल की तराई क्षेत्रों में हो रही है। कार्यक्रम में युवा पत्रकारों और साहित्यकारों की भी सहभागिता रही और उनलोगों ने भी संबोधित किया।

इस कार्यक्रम में दीनानाथ पाण्डेय, अन्नपूर्णा कुमारी, मीना कुमारी, वीणा कर्ण, नीतीश कुमार प्रधान उपाख्य युवराज, प्रशान्त कुमार गुप्ता, युगेश्वर भारती, स्वाति कुमारी गुप्ता, डॉ. विभा कुमारी, वर्षा कुमारी सिंह, प्रो. कविता कुमारी, गौतम कुमार, ज्योति कुमारी, गोपाल कुमार, अमित भंडारी, रामनिवास सिंह, नरेश कुमार ठाकुर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, घुरन दास, स्वीटी कुमारी, नेहा कुमारी, बब्बी कुमारी, अजय कुमार पासवान, शंभू कुमार यादव समेत कुल 41 पत्रकार-साहित्यकार और समाजसेवी शामिल होकर इस अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा के साक्षी बने। कार्यक्रम आयोजन में घनश्याम कुमार झा उपाख्य रंजन अभिषेक और सुभाष सिंह यादव की भी बौद्धिक भूमिका रही।