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नगरा थाना क्षेत्र की दरिंदगी की शिकार किशोरी ने वाराणसी मे तोड़ा दम, अब बलिया पुलिस की कार्य प्रणाली कटघरे मे



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। नगरा थाना क्षेत्र के सिकरहटा में खून से लथपथ बेहोशी की हालत में मिली किशोरी  आखिर घटना के 7वें दिन जिंदगी की जंग हार गयी और बीएचयू में इलाज वे दौरान मौत के आगोश के समा गयी। उसके साथ हुई घटना के सारे राज उसके साथ ही दफन हो गए। अब देखना है कि उसके पोस्टमार्टम के बाद क्या बातें निकलकर आती है।

 बता दे कि क्षेत्र में 14 अक्टूबर की शाम को अपने गांव के इंटर कालेज में रावण बध के मेला देखने गयी 13 वर्षीय किशोरी मेले से घर नहीं पहुंची।मेले मे रावण के पुतले का तो दहन हो गया लेकिन उसकी आत्मा बाहर निकल आयी और किशोरी को अपनी दरिंदगी का शिकार बना लिया। मेले से गायब होने के अगले दिन थाना क्षेत्र के ही सिकरहटा गांव के पास सड़क किनारे खून से लथपथ बेहोशी की हालत में  किशोरी मिली थी।

घायल किशोरी के दोनों हाथ मे धारदार हथियार से काटे जाने का निशान था।उसकी हालत देख लोग दुष्कर्म के बाद हत्या के प्रयास की आशंका जता रहे थे।  जिसकी पहचान मेले में गायब किशोरी के रुप मे हुई थी।  सुबह शौच को निकले ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। जिसके बाद पुलिस  उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगरा ले गयी जहां डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

जिला अस्पताल मे भी उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुये वाराणसी के लिए डॉक्टरों ने रेफर कर दिया। उस दिन से उसका इलाज चल रहा था लेकिन घटना के बाद आखिरी क्षण तक उसको होश नहीं आया। शुक्रवार की शाम को उसकी मौत हो गयी। किशोरी की मौत के साथ ही स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवालिया निशान उठ रहे है।




स्थानीय लोगों समेत जनपद के प्रभारी मंत्री ने भी किशोरी के साथ हुई घटना को एक से अधिक लोगों द्वारा किये जाने की संभावना जतायी थी लेकिन बलिया पुलिस इस बात को मानने को तैयार ही नही थी कि इस कांड मे एक से ज्यादे लोगों का हाथ है। इस कांड मे तो एक भाजपा नेता की आरोपी के साथियों के ग्रामीणों द्वारा जब्त कराये गये मोबाइल को थाने से बिना जांच के ही वापस कराने का ऑडियो भी वायरल हुआ है।

अब जब किशोरी इस ज़ालिम दुनिया को छोड़कर जा चुकी है तो अब कई सवाल अनुतरित रह गये है जिसका जबाब बलिया पुलिस को देना जरुरी हो गया है।

सवाल नंबर 1- पुलिस को मॉक ड्रिल के माध्यम से सार्वजनिक रूप से यह प्रदर्शित करना चाहिये कि आरोपी ने अकेले कैसे इस घटना को अंजाम दिया?

सवाल नंबर 2- जो पुलिस एक छोटी सी शिकायत पर किसी को भी पकड़ कर हवालात मे डाल सकती है, उस पुलिस ने ग्रामीणों के आक्रोश और प्रभारी मंत्री के द्वारा घटना मे एक से अधिक लोगों के शामिल होने की बात सार्वजनिक रूप से कही गयी तो पुलिस ने इस एंगिल पर क्या जांच की, यह अब प्रेस वार्ता के द्वारा बतानी चाहिये।

सवाल नंबर 3- किशोरी को न्याय दिलाने के लिये धरना देने वालों पर तो पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर लिया लेकिन जिस मोटर साइकिल पर बैठाकर आरोपी किशोरी को मेले से लेकर गया था, वह मोटर साइकिल कहाँ है?

सवाल नंबर 4- पुलिस अभिरक्षा मे होते हुए जो आरोपी साक्ष्य संकलन के लिये ले जाने पर हथियारबंद पुलिस कर्मियों के ऊपर तमंचे से फायर कर देता है और पुलिस की जबाबी कार्यवाही मे घायल होता है। इस घटना के बाद सवाल उठता है कि जिस आरोपी के पास तमंचा और गोली थी, उसने किशोरी का गला दबाकर और बाद मे हाथों की नसों को काटकर हत्या करने की लम्बी प्रक्रिया चुनी? तमंचे से एक ही बार गोली मारकर हत्या क्यों नही कर दी?

उपरोक्त सवालों का जबाब अब बलिया पुलिस को देना जरुरी हो गया है। बिना सवालों के जबाब के किशोरी की मौत के बाद बलिया पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे मे रहेगी।