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क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी बलिया ने सीएमओ को पत्र लिख कर बताया क्यों नही सीएमओ कर सकते है आयुर्वेदिक चिकित्सकों की जांच



मधुसूदन सिंह

बलिया।। झोलाछाप के नाम पर आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों की जांच पड़ताल के नाम पर मानसिक व आर्थिक शोषण की खबरों और शिकायती पत्रों को क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी बलिया डॉ संजय सिंह ने गंभीरता से लिया है। डॉ सिंह ने सीएमओ बलिया को कड़ा पत्र लिख कर समझाया है कि क्यों सीएमओ आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों की जांच पड़ताल नही कर सकते है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी द्वारा भेजें गये पत्र से साफ हो गया है कि अब अगर सीएमओ बलिया या इनके नोडल अधिकारी किसी आयुर्वेदिक या यूनानी चिकित्सक के यहां छापेमारी की तो काफ़ी विरोध और कानूनी पेंचदगी से भी रूबरू होना पड़ेगा।



क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी ने सीएमओ बलिया को पत्र भेजते हुए आयुर्वेदिक चिकित्सकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही के संबंध लिखा है कि उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में निवेदन पूर्वक अवगत कराना है कि डा० अरविन्द कुमार सिंह, सचिव इंट्रीगल मेडिकल एसोशिएशन, बलिया उ०प्र० एवं डा० एन०डी० भट्ट, अध्यक्ष, N.I.M.A. शाखा, बलिया ने अपने पत्र दिनांक 06.09.2022 के द्वारा अवगत कराया है कि आप द्वारा आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों के प्रतिष्ठानों की जाँच M.C.I. एक्ट 1956 का हवाला देकर की जा रही है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।




यहाँ आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों के शिक्षण, प्रशिक्षण, चिकित्सान्यास आदि के नियमन एवं नियंत्रण के लिये भारत सरकार व उ0प्र0 सरकार ने एक अलग मंत्रालय,आयुष मंत्रालय की व्यवस्था की है । जिसके अन्तर्गत भारत सरकार की एक संवैधानिक संस्था पूर्व नाम भारतीय केन्द्र चिकित्सा परिषद एवं वर्तमान नाम भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, है। उक्त पद्धति के समस्त चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन भी राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय स्तर पर आप से अलग संस्थान द्वारा होता है। इतना ही नहीं जिला स्तर पर भी जिला स्तरीय रजिस्ट्रेशन क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के यहाँ होता है।

ऐसे में यदि आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सकों से सम्बन्धित कोई शिकायत प्राप्त होती है तो नियमतः उसकी जाँच करने के लिये अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय को शिकायती पत्र प्रेषित किया जाना चाहिए आरोप सिद्ध होने पर आरोपी पर UP INDIAN MEDICINE ACT-1939 के प्राविधानों के अन्तर्गत कार्यवाही होगी न कि आपकी विधा के एक्ट INDIAN MEDICINE ACT 1956 के प्राविधानों के अन्तर्गत।

कृपया उपरोक्त तथ्यों का संज्ञान लेते हुये अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय में पंजीकृत आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों को झोलाछाप की श्रेणी में न रखा जाय और अनावश्यक रूप से जाँच कर उन्हें प्रताड़ित न किया जाय जिससे आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक मान-सम्मान के साथ चिकित्सा सम्बन्धी प्राप्त अधिकार से अपना चिकित्सा सम्बन्धी कार्य सम्पादित कर सकें।