Breaking News

आखिर सीएमओ बलिया क्यों है विनोद सैनी के ऊपर इतने मेहरबान?



मधुसूदन सिंह

बलिया।। सीएमओ बलिया डॉ जयंत कुमार, प्रधान सहायक विनोद कुमार सैनी पर इतने मेहरबान क्यों है? की तहकीकात करने पर बलिया एक्सप्रेस को बहुत बड़ा सबूत हाथ लगा है। सीएमओ बलिया को ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों पर ज्यादे प्रेम उमड़ता है जो काम करने की बजाय साहब की हां मे हां मिलाते है। यही कारण है कि विनोद कुमार सैनी के अपराध सार्वजनिक होने के बाद और डिस्ट्रिक्ट हेल्थ ग्रुप मे वायरल होने के बाद भी कार्यवाही करने की बजाय मौका मिलते ही सीएमओ साहब ने लेखा अनुभाग गिफ्ट कर दिया।

बता दे कि विनोद कुमार सैनी का रसूख सीएमओ साहब की रहनुमायी मे ऐसा है कि 8 अगस्त को ही 15 अगस्त तक का हस्ताक्षर बना देते है, डिस्ट्रिक्ट हेल्थ ग्रुप मे वायरल भी होता है लेकिन सीएमओ साहब कोई कार्यवाही करते ही नही जबकि यह एक अपराध है। बलिया एक्सप्रेस को लगता है कि सीएमओ साहब को ऐसा ही काबिलियत वाला बाबू लेखा अनुभाग मे चाहिये था, जो काम होने से पहले ही भुगतान लगा दे। सबसे हैरानी की बात जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष /जिलाधिकारी की प्रकरण के सार्वजनिक होने के बाद भी चुप्पी से हो रही है।



शासनादेश की अवहेलना सीएमओ साहब पहली बार नही किये है। इनके द्वारा नही किया गया है। इसके पहले निदेशक प्रशासन के हस्ताक्षर से जारी आदेश जिसमे लेखा अनुभाग का चार्ज प्रधान सहायक या वरिष्ठ सहायक स्तर के ही बाबू को दिया जा सकता है, को दर किनार कर कनिष्ठ लिपिक पुनीत श्रीवास्तव को लेखा का प्रभार दे दिया। वही विनोद सैनी को तोहफा देने के लिये फिर शासनादेश की अवहेलना करते हुए जिसमे 3 साल से अधिक  दिनों से एक ही पटल को देखने वाले बाबुओ का पटल बदलने का था और बदल दिया मात्र दो साल से पटल का कार्य देखने वाले गुलाम किब्रिया अंसारी को। 




नोडल बनाने के मानक को किया नजर अंदाज 

झोलाछाप और अवैध नर्सिंग होम्स, अल्ट्रासाउंड केन्द्रो की जांच के लिए सीएमओ एक नोडल अधिकारी बनाते है, जो लेवल 3 का चिकित्सक कम से कम होता है। लेकिन डॉ जयंत कुमार ने डॉ सिद्धि रंजन को प्रभारी बनाया है जो इस पद के लिये अर्ह ही नही है। वही इनके साथ मुरली छपरा मे कागजो मे तैनात एमपीडब्ल्यू  शैलेष श्रीवास्तव सीएमओ कार्यालय ही दिखता है और नर्सिंग होम्स, अल्ट्रासॉउन्ड केंद्रों को फोन मिलाकर अपनी गोटी सेट करता रहता है। इसकी उपस्थिति की जांच मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय मे लगे सीसीटीवी फुटेज से चेक किया जा सकता है। यह कोई भी चिकित्साधिकारी सवाल उठाता ही नही कि एक संविदा पर तैनात एमपीडब्ल्यू का रोज बलिया क्या काम है?

उपरोक्त विसंगतियों को जिलाधिकारी और निदेशक प्रशासन को तत्काल संज्ञान लेना चाहिये, नही तो मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन जायेगा।